सात नहीं सात हज़ार तालों में बंद है भक्तों का बब्बर शेर

क्या कोरोना 20-30 फिट दूर रखे दूरदर्शन के कैमरे से निकलने का एलान कर चुका है? दूरदर्शन के पास बेहतरीन कैमरे मौजूद हैं। जो दूर से भी थोबड़े को नजदीक दिखा सकते हैं। फिर भी इस बार मोदी का मन ऑडियो पर सवार हो कर निकला।

हो न हो ये चीन की साज़िश है। जिसे होनहार चाय वाले और बचपन में नदी से मगरमच्छ पकड़ कर घर लाने वाले साहसी “बाल नरेंद्र” नरेंद्र दामोदर दास मोदी से बैर है।

अगर ऐसा न होता तो चीन, पाकिस्तान,  अमरीका, रूस और बाक़ी मुल्कों के मुखिया भला रोज़ मीडिया के सामने हाज़िर होने की जुर्रत कर पाते? ज़ाहिर है उन्हें पता है कोरोना उनके लिए नहीं है।

मोदी के पास ये ख़ास-ख़ुफ़िया जानकारी है, जिसे आम कर वो अपने प्यारे देश वासियों को पैनिक नहीं करना चाहते। भारत के ख़ुफ़िया विभाग को भले ही पुलवामा जैसे बड़े-भयानक हमले की भनक न लगे। 300 किलो आरडीएक्स उनके सामने से हवा बनके सैनिकों तक पहुंच जाए और उन्हें ख़ाक कर दे। पर… पर मोदी जैसे प्रधानमंत्री सदियों में नसीब होते हैं। हमारी पुलिस-खुफिया विभाग सबको पक्की ख़बर रहती है कि अगर कोई मक्खी-मच्छर भी मोदी पर निगाह रखे।

सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, इशरत जहां आदि-आदि के उदाहरण सामने हैं। वैसे, मोदी चाहें तो चीन की चूलें हिला दें। पर मोदी का दिल बहुत नरम और बच्चा है जी। चीन भले ही डोकलाम में आंखे दिखा रहा था पर मोदी ने चीन के मुखिया और उसकी बीवी को झूला झुलाया, सैर करवाई, अपने यहां की कलाओं-कथाओं, नाच-गान से मनोरंजन किया। इसे ही तो बड़प्पन कहते हैं।

और, एहसान फरामोश चीन ने क्या किया? कोरोना को मोदी-शाह पर हमले के लिए भेज दिया है। ताकि भारत विश्व का सबसे ताकतवर देश न बन सके।

भक्तों और गोदी मीडिया से मेरी अपील है कि वो पीएम को समझाएं कि आलिशान-विशाल पीएम हाउस में  दुबककर बैठने से अच्छा है कि वो चीन की इस साज़िश का मुंह तोड़ वैदिक जवाब उसके मुंह पर मारें। आख़िर सैकड़ों साल पहले हमारे ऋषि-मुनियों ने कोरोना साज़िश का पता लगा लिया था। गौ-गोबर-मूत्र फ़ॉर्मूले इसी दिन के लिए तो थे।

तो, प्राचीन ज्ञान का लाभ उठाते हुए अवश्य ही, पीएम को लाल किले पर जाकर कोरोना को चुनौती देनी चाहिए। श्रेष्ठ ब्राह्मणों के गगन भेदी मंत्रोच्चार की सुरक्षा घेरे में पूरे शरीर पर गाय माता के गोबर का लेप करें। और फिर निश्चित घड़ी में पूजनीय गौ-माता से हाथ जोड़कर आज्ञा लेते हुए गौ मूत्र से विधिवत स्नान करें। तथा श्रेष्ठ ब्राह्मण मोहन भागवत से आशीर्वाद लेकर श्रद्धा से गौ मूत्र पान करें। ये मोदी महायज्ञ ही पूरी दुनिया को हिंदुत्व की मान्यता और उसकी ताकत का नज़ारा दिखाएगा।

पीएम सुरक्षित, तो देश सुरक्षित। कोरोना का टारगेट तो महान मोदी हैं। तुच्छ जनता से उसे क्या? चला जाएगा अपना सा मुंह लेकर आका चीन के पास। भक्तों इस अमुल्य सुझाव पर मुंह न बनाना। पीएम स्वयं इस उपचार की उपयोगिता के हामी हैं। जो न होते तो देश भर में वायरल होते गौ-गोबर-मूत्र कोरोना उपचार का वो खंडन न करते। उन्होंने किया एक भी बार?

और अगर मेरा अनुमान ग़लत है। कोरोना से सिर्फ़ बब्बर शेर, प्रधानमंत्री को ही नहीं बल्कि देश के हर नागरिक को ख़तरा है तो ये मोटे और छोटे भाई क्या कर रहे हैं? ख़ुद, सात नहीं सात हज़ार तालों में बंद हो चुके हैं और जनता को कंचों की तरह सड़कों पर लुढ़का दिया है।

“एवं एवं विकार: अपि तरुण: साध्यते सुखम। यानि-बीमारी और उसके प्रकोप से शुरुआत में ही निपटना चाहिए। बाद में रोग असाध्य हो जाते हैं। तब इलाज भी मुश्क़िल हो जाता है।”

ये चाय वाले प्रधानमंत्री के मन की मौज है, जो आवाज़ की शक़्ल में फ़िज़ा में इतराती हुई आई है। शायद आवाज़ भी अपने ही मोबाइल से ख़ुद ही रिकॉर्ड करके भेजी है साहब ने। अपने लिए इतना डर?

क्या जो बोलते हैं उसे समझते भी हैं 56 इंच वाले साहेब? बता रहे हैं परिवारों की सुरक्षा के लिए लॉक डाउन का कठौर फैसला लेना पड़ा। सवाल है कौन से, किसके परिवार? क्या केवल वो मिडिल क्लास आपका परिवार हैं जो घर में बैठ कर, मज़े से खा-पी कर, रामायण देख कर छुट्टियों का आंनद ले रहे हैं? जी हां, आपके परिवार शब्द के दायरे में यही लोग आते हैं। जो आपकी चापलूसी को आजकल अपना धर्म बनाए बैठे हैं।  

पर उनका क्या? जिन्हें पुलिस सड़कों पर पीट-पीटकर मुर्गा बना रही है? मौत के घाट उतार रही है? सिर्फ़ इसलिए कि वो ज़िंदा रहना चाहते हैं। उनका सामना कोरोना के अनदेखे वायरस से हो न हो पर भूख का दानव उनके दुधमुहे बच्चों को निगलने सामने आ खड़ा हुआ है।

उनके ख़ुद के बिना मास के ढांचों को चकनाचूर करने पर आमादा है। और आप हट्टे-कट्ठे उन्हें उपदेश देने का एहसान करते हुए धमकी दे रहे हैं- सुधर जाओ, वरना बुरा होगा। इनकी लाशों के ढेर लगाने के पुख़्ता इंतज़ाम आप कर चुके हैं। इससे और क्या बुरा, जनाब मसीहा?

वीना
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