आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष में एक दलित मज़दूर दंपति ने भी सपना देखा ज़िल्लत, हिकारत, छुआछूत, ग़ैरबराबरी से आज़ादी का, और अपने सपने को साकार करने के लिये...
भारतीय जनता पार्टी ने कई बार यह बात साबित किया है कि वह चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कर सकती है। इस सिलसिले में वह धार्मिक और सांप्रदायिक विभाजनकारी मुद्दे तो उठाती ही रहती है। इन्हीं मुद्दों के सहारे उसने केंद्र सहित कई राज्यों में सत्ता हासिल की है और उसी सत्ता को बरकरार रखने यानी आगामी लोकसभा चुनाव जीतने के लिए वह भाषाई विवाद पैदा करने, क्षेत्रीय अस्मिताओं का अपमान करने और राष्ट्रीय एकता को संकट में डालने जैसे मुद्दे उठाने से भी बाज नहीं आ रही है। हाल ही में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि की ओर से छेड़ा गया तमिलनाडु के नाम को लेकर उठाया गया सवाल भी भाजपा की इसी राजनीति का हिस्सा है।
आमतौर पर भाजपा की विरोधी पार्टियों के शासन वाले सूबों के राज्यपाल अपनी उटपटांग हरकतों और बयानों की वजह से अक्सर चर्चा में रहते हैं। वे अपने सूबे की सरकार के...
डॉ. आंबेडकर ने अपनी किताब ‘प्राचीन भारत में क्रांति और प्रतिक्रांति’ में भारत के इतिहास को क्रांतियों और प्रतिक्रांतियों के इतिहास के रूप में चिन्हित किया है। वे बहुजन-श्रमण...
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