Saturday, April 27, 2024

छत्तीसगढ़: भूमि सुधार और हाशियाकृत समुदायों के भूमि अधिकार पर राज्य स्तरीय विमर्श

रायपुर। पीपल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज़ (पी.यू.सी.एल) छत्तीसगढ़ ने 2 मार्च 2024 को प्रदेश की राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़ में भूमि सुधार और हाशियाकृत समुदायों के भूमि अधिकारों के उल्लंघन तथा संरक्षण कानूनों के साम्प्रदायिकीकरण के मुद्दों पर एक दिवसीय राज्य सम्मेलन का आयोजन किया। आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ में उत्तर से लेकर दक्षिण तक संविधान के पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सरकारी और गैर सरकारी परियोजनाएं अपने चरम पर हैं। आदिवासी समुदायों को उनके परम्परागत जमीन पर सम्मान और उद्देश्य के साथ निवास करने के अधिकार से वंचित और विस्थापित होना पड़ा है।

मैदानी इलाकों में सदियों से दलितों को भूमि और संपत्ति के अधिकार से वंचित कर दिया गया है तथा हाशियाकृत समुदायों के मध्य भूमि के समान पुनर्वितरण और भूमि सुधार के सरकार की जबावदेही आज़ादी के आठवें दशक तक अपना राह ताक रही है। देश की आज़ादी के बाद भूमि –सुधार, सीलिंग एक्ट और भूमिहीनों के लिए भूमि आबंटन के सभी वायदे केवल कागजों में सिमट कर रह गये हैं। ब्राह्मणवाद के सांस्कृतिक आधिपत्य के काल में संवैधानिक राज्य और औद्योगिक घरानों के गठजोड़ के द्वारा एक तरफा विकास के नारों के साथ आदिवासियों के पैतृक भूमियों का लूट अबाध रूप से जारी है।

छत्तीसगढ़ में आदिवासी भूमियों पर अवैधानिक और अनुपातहीन सैन्य शिविरों की स्थापना, वैयक्तिक वन अधिकारों का निरस्तीकरण, डी-लिस्टिंग की अवैधानिक मांग, शहरी झुग्गियों तथा गुमटियों को लगातार उजाड़े जाने के विरोध में भूमि अधिकारों के लिए संघर्ष भी निरंतर जारी हैं।एक ऐतिहासिक पहल में इस सम्मेलन ने भूमि-अधिकार के मुद्दों को केवल पर्यावरण व बड़े कंपनियों के कारण विस्थापन के मुद्दे तक सीमित न रखते हुए कई ज्वलंत और महत्वपूर्ण आयामों को उजागर किया जिसके द्वारा हाशियाकृत समुदायों के भूमि अधिकारों के उल्लंगन के नज़रिए से भूमि-अधिकार के मुद्दे पर एक व्यापक व मज़बूत परिभाषा उभर के आई।

सभा की शुरुआत PUCL के अध्यक्ष डिग्री प्रसाद चौहान के उद्बोधन से हुआ। उन्होंने इस समेलन को PUCL के कार्ययोजना की कड़ी में बहुत महत्वपूर्ण बताया। हाल में PUCL ने सांप्रदायिकता एवं ईसाई समुदाय पर अत्याचार के मामलों पर जांच कर विस्तृत रिपोर्ट जारी की थी, इस रिपोर्ट के जारी होने से स्थिति में नियंत्रण आयी थी। उसके पश्चात पीयूसीएल GSS और अन्य संगठनों ने मिलकर सामाजिक बहिष्कार के विरुद्ध मोर्चा खड़ा कर प्रभावित व्यक्तियों को सहायता प्रदान कर रही है। इसी कड़ी में यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है और ज़मीन पर अपने भूमि अधिकारों के लिये लामबंद संगठनों, कार्यकर्ताओं को एक मंच पर लाया जा रहा है।

पहला सत्र महिलाओं के अधिकार, LGBTQ के अधिकार, स्ट्रीट वेंडर्स की स्तिथि पर था जिसका संचालन PUCL के संगठन सचिव श्रेया ने किया। गौतम बंधोपाध्याय, अशोक सिंह, जयेन्द्र झा, (नेशनल हॉकर फेडरेशन, फुटपाथ विक्रेता संघ) ने कहा कि सरकार फुटपाथ विक्रेताओं के साथ पूर्णतः तानाशाह बर्ताव करती है। फुटपाथ विक्रेताओं का सर्वे नहीं किया गया है, सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जा रहा, जबरन सामान जब्त किया जा रहा। नयी सरकार आने के बाद सांप्रदायिक आधार पर बुलडोज़र चलाया जा रहा एवं अल्पसंख्यकों के आजीविका पर हमला किया जा रहा है।

महिला मुक्ति मोर्चा व पी.यू.सी.एल के एक्जेक्युटिव सदस्य सरस्वती साहू ने कहा के बुलडोज़र राजनीति हाशिय के समुदाय को हाशिये पर ही रखने की राजनीति है। रायपुर के झुग्गियों में सालों से रह रहे लोगों को पट्टा नहीं दिया जा रहा। उन्होंने सुझाव दिया की फुटपाथ विक्रेता क़ानून एवं भूमिहीन लोगों को पट्टा देने वाले क़ानून पर PUCL को जागरूकता कार्यक्रम करना चाहिए। PUCL छत्तीसगढ़ के सचिव रिनचिन ने कहा कि सांप्रदायिकता फैलाने के लिए महिलाओं को ज़रिया बनाया जा रहा है।

बिरहाणपुर में हिन्दू महिलाओं के मुस्लिम समुदाय के पुरुषों से स्वतंत्रता पूर्वक विवाह को ‘लव जिहाद’ कहकर सांप्रदायिक रंग दिया गया जिसका अंतिम परिणाम दंगा था जिसमें 3 लोगों की हत्या हुई और मुस्लिम समुदाय को लगातार समाजिक व आर्थिक बहिष्कार किया जा रहा है। उन्होंने इस घटना का ज़िक्र करते हुए इस बात पर रोशनी डाली कि किस तरह धर्म व धार्मिक ताकतों के कारण महिलाओं पर अनेक प्रतिबंध लगाये जाते हैं एवं सम्पति से वंचित रखा जाता है – ऐसा हम आदिवासी समाज में भी देखते हैं।

भाजपा द्वारा बनाए जा रहे Uniform Civil Code (यू.सी.सी) कानून में हिंदू या ब्राहमणवादी पितृसत्ता की जो कलपना दिखाई देती है वही एक रूप से कानून के विरोध में हर कोने से जो बहस आई है- उसमें भी नज़र आता है कि किस तरह हर धर्म व समाज में परंपरा के नाम पर महिलाओं को भूमि व अन्य संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखा जाता है।

कंचन सेन्द्रे ने इस बात को और आगे ले जाते हुए बताया कि LGBTQ समुदाय के लोगों को परिवार से निकाल दिया जाता है एवं सम्पति का अधिकार नहीं दिया जाता। उन्होंने PUCL की सराहना की LGBTQ को मंच देने के लिए और मुद्दों को उठाने के लिए।

पीयूसीएल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने हिंदू राष्ट्र के भयावह राजनीति पर चर्चा की और कहा कि ऐसे राज्य में महिलाओं का दमन ही हो सकता है। उन्होंने उत्तराखण्ड में आयी नयी Uniform Civil Code पर चर्चा की और कहा कि यह क़ानून निजता का घोर उल्लंघन है और सिविल क़ानूनों का हिन्दूकरण है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक अधिकारों को अन्य क़ानूनों के माध्यम से रौंदा जा रहा है।

दूसरा सत्र बस्तर में सैन्यीकरण, आदिवासियों का सामुदायिक अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता पर आक्रमण पर था, इसका संचालन अखिलेश एडगर द्वारा किया गया। अमृत मारावी ने आदिवासियों के सांस्कृतिक अधिकारों पर बात रखी और कई घटनाओं का विवरण दिया जहां आदिवासियों के पूजा स्थलों एवं चिन्हों के हिन्दूकरण किया जा रहा व आदिवासियों को अपने पूजा स्थलों से बेदख़ल किया जा रहा।

बस्तर से सामाजिक कार्यकर्ता हिड्मे मरकाम ने बताया की जनवरी 2024 से फ़र्ज़ी मुठभेड़, हिंसा, फ़र्ज़ी मुक़दमों की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कई घटनाओं की विस्तृत जानकारी दी और इस बात पर भी ध्यान आकर्षित किया कि किस तरह पुलिस व पुलिस हिंसा के बल पर सैन्यीकरण को बढ़ाकर बस्तर में पुलिस कैंप के नाम पर आदिवासियों के ज़मीने छीनी जा रहीं है। उन्होंने अनुरोध किया कि इनमें जांच दल गठित करने में पी.यू.सी.एल की पहलकदमी हो।

मूलवासी बचाओ मंच के बीजापुर अध्यक्ष सुनीता पोट्टम ने भी मानव अधिकारों के उल्लंघन के घटनाओं के वृद्धि की बात कही और उन्हें मानव अधिकार कार्यकर्ता होने के नाते परेशान किए जाने की बात कही। सोनसिंह झाली, दीपक ठाकुर, ऋषभ राय, राजेंद्र चंद्राकर ने आदवासी इलाक़ों मे PESA क़ानून के साम्प्रदायीकरण पर बात रखी। ईसाई समुदाय के धार्मिक स्वतंत्रता पर चौतरफ़ा हमला किया जा रहा। उनके साथ मारपीट, सामाजिक बहिष्कार, सम्पति से वंचित करना आम बात हो गई है। मंजु मीरी, दलित आदिवासी मंच ने महासमुन्द ज़िले में जिंदल कंपनी द्वारा ज़मीन की लूट का ख़िलाफ़ सफल आंदोलन की बात बतायी।

तीसरे सत्र में उत्तर छत्तीसगढ़ में आदिवासी पैतृक भूमियों का अवैधानिक लूट और कॉर्पोरेट घरानों तथा सबल गुंडा तत्वों के आगे राज्य मशीनरी का नतमस्तक हो जाना, भूमि संरक्षण के सन्दर्भ में अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण कानून, छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता की धारा 165 एवं धारा 170 ख के परिपालन के सम्बन्ध में जमीनी हकीकत और भेदभाव, और डी –लिस्टिंग और संविधान में अधिसूचित जाति-जनजाति समुदायों को सूची से बहार निकालने की कवायदों और साजिशों के पीछे के मकसद पर बाते हुई।

इतवारी दादा ने बैगा इलाकों में आदिवासियों के विरूद्ध हिंसा और आरोपियों के खिलाफ़ राज्य द्वारा कार्यवाही नहीं करने के बारे में बताया। आर के सिन्हा ने संवैधानिक आजादी, और राज्य के द्वारा साम्प्रदायिकता के प्रयोग के बारे में बताया। दीपक कुमार साहू ने पेसा नियम/पांचवीं अनुसूची के विरूद्ध नगर पंचायत का निर्माण, डी एम एफ फंड के दुरुपयोग के बारे में अपनी बात रखीं। आगे बताया की राजस्व अधिकारी किस प्रकार से अभिलेखों के साथ छेड़छाड़ करते हैं।

पवित्री मांझी ने उद्योगों के छल कपट जिसमें आदिवासियों को शराब और मुर्गा के एवज में जमीन लूटने के बारे में जानकारी दी। मनोज कुमार गुप्ता ने तहसीलदार और अनुविभागीय अधिकारी के द्वारा जमीन लूटने फर्जी जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाने की जानकारी दी। अधिवक्ता व पी.यू.सी.एल छत्तीसगढ़ के सचिव रजनी सोरेन ने आदिवासीयों के अधिकार, भूमि अधिकार के संबंध में बताया। उन्होंने बताया किस तरह कानून में संशोधन के जरिए किस प्रकार से आदिवासी अधिकारों को कमजोर किया जा रहा है। हरिचरण राठिया सरपंच ने उद्योगों के द्वारा आदिवासी भूमि को लूटने की बात दोहराई।

पी.यू.सी.एल के उपाध्यक्ष फादर जेकब कुजूर ने घर वापसी, डी-लिस्टिंग और जल जंगल जमीन की लूट और हिंदू राष्ट्र परियोजना की बात रखी। उन्होंने डी-लिस्टिंग के पीछे राजनैतिक समीकरण और उनसे उपजे द्वंद से सत्ता वर्ग को होने वाले लाभ तथा PESA क्षेत्र में आदिवासी समाज पर होनेवाले नुकसान पर भी प्रकाश डाला।तुहिन देव ने हिंदू राष्ट्र के खतरे और ब्राह्मणवाद थोपने की कोशिश पर बात रखी। पी.यू.सी.एल के उपाध्यक्ष लखन सुबोध ने बताया की धर्म तो बस एक चोला है जिसके आड़ में आर्थिक शोषण किया जा रहा है।

PUCL छत्तीसगढ़ इकाई की राज्य सम्मेलन भारी संख्या की उपस्थिति के साथ सफलता पूर्ण सम्पन्न हुई जिसमे प्रदेश के 22 जिले का प्रतिनिधि के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव भी उपस्थित रहें। सम्मेलन में PUCL द्वारा प्रकाशित बस्तर का बहिषकृत भारत का अंग्रेज़ी संस्करण “The Outcast India of Bastar” का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में PUCL के मित्र संगठन छत्तीसगढ़ प्रोग्रेसिव क्रिश्चियन अलायन्स, ऑल इंडिया पीपल्स फोरम, छत्तीसगढ़ ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस, छत्तीसगढ़, गुरु घासीदास सेवादार संघ (GSS), महिला मुक्ति मोर्चा। दलित आदिवासी मंच आदि शामिल हुए।

राज्य सम्मेलन में देश में पिछले कई दिनों से चल रहे किसान आंदोलन की मांगों को समर्थन करते हुए केंद्र सरकार से निवेदन किया की अति शीघ्र उनके समाधान कर देश के किसान और किसानी हितैषी का परिचय दे जिससे देश की कृषि व्यवस्था मजबूत हो सके। सम्मेलन में सर्व सम्मति से मणिपुर और पलेस्टाइन में हो रहे हिंसा पर अपनी चिंता जाहिर किया तथा तत्काल पीड़ितों का एवम स्वाभाविक माहौल लाए जाने की अपेक्षा की।वर्तमान समय में भूमि की बहु आयामी समस्या का समाधान हाशिये पर रह रहे है लोगों को प्राथमिकता के साथ केंद्र में रख कर RADICAL LAND REFORM की आवश्यकता है चाहे यह राजस्व भूमि, वन भूमि, सेलिंग भूमि, जला भूमि, सार्वजनिक भूमि ही क्यों न हो, संपूर्णता के साथ एक सरबंगीं भूमि नीति की जरूरत है।

(पीयूसीएल, छत्तीसगढ़ की प्रेस विज्ञप्ति)

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