ईश्वर का समीकरण: कल्पना, विश्वास और आत्म-संतोष की त्रिज्या में फंसा मनुष्य

ईश्वर- यह शब्द जितना सरल प्रतीत होता है, उतना ही गूढ़ और बहुआयामी भी है। यदि हम मान लें कि…

जन्मशती पर विशेष: समाज की परंपरागत दीवारों को गुरुदत्त भी नहीं तोड़ सके

गुरुदत्त (9 जुलाई 1925-10 अक्तूबर 1964) यदि जीवित होते तो इस 9 जुलाई को सौ वर्ष के हो चुके होते।…

प्रभाष जोशी: पत्रकारिता के लौह पुरुष 

प्रभाष जोशी के बारे में लिखने से पहले मैं वह वाक़या सुनाना चाहूंगी जब मैं उनसे पहली बार मिली थी।…

‘अपरूपा’ : भारतीय क्रांति का अकल्पित दुःख 

कुछ किताबें ऐसी होती हैं, जिन्हें बिना रोये पढ़ना बहुत मुश्किल होता है। ऐसी ही एक किताब पढ़ी ‘अपरूपा’। हरेक…

एक बाप के हाथों बेटी का क़त्ल… और नफरती समाज की गंदगी !

यह बात अब साफ होती जा रही है कि संघ और उसके बनाए हुए आनुषांगिक गिरोहों ने उत्तर भारतीय समाज…

अमृता शेरगिल: कला से कहीं अधिक, जीवन की एक सजीव चित्रकथा”

इतिहास में बदलाव सिर्फ किसी कलाकार की कृतियों से नहीं आता, बल्कि वह इस बात से भी तय होता है…

नहीं रहे जौनपुर के रसूल हमजातोव

‘मेरा दागिस्तान’ से जो रिश्ता रसूल हमजातोव का है, वही अजय कुमार का जौनपुर से है। यह शहर, इसके गांव-कस्बे, गलियां-चौराहे,…

इस वर्ष का ‘लोकजतन सम्मान’ शहीद पत्रकार मुकेश चंद्राकर को, 24 जुलाई को रायपुर में होगा आयोजन

भोपाल। इस वर्ष का ‘लोकजतन सम्मान’ बस्तर के शहीद पत्रकार मुकेश चंद्राकर को उनकी निर्भीक, मैदानी तथा कॉर्पोरेट विरोधी जुझारू…

डा. लाल बहादुर वर्मा : जिनके होने की खुशबू हमेशा बनी रहेगी

‘लाल बहादुर वर्मा : इतिहास निर्माता इतिहासकार’ अपने प्रिय इतिहासकार को याद करने वाली संस्मरणों से भरी रचनाओं का संकलन…

घर परिवार के अंदर बनते रिश्ते कलंक या मज़बूरियां?

आजकल सोशल मीडिया पर ऐसे रिश्तों के समाचारों की संख्या में वृद्धि हो रही है जो एक मनोविकार की तरह…