Thursday, September 21, 2023

ईश मिश्रा

बैस्टिल दिवस और मोदी: फ्रांस में गणतंत्र की बुनियाद और मोदी की सांप्रदायिक अधिनायकवादी राजनीति

जिस तरह भारत में 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) और 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) को राष्ट्रीय दिवस के रूप में राष्ट्रीय पर्व मनाया जाता है, उसी तरह फ्रांस में 14 जुलाई (बैस्टिल दिवस) को राष्ट्रीय दिवस के रूप में राष्ट्रीय...

स्मृतिशेष: हर तरह के कट्टरपंथ के खिलाफ थे प्रोफेसर इम्तियाज अहमद

इम्तियाज साहब (प्रोफेसर इम्तियाज अहमद) लगभग महीने भर पहले तक फेफड़े में किसी संक्रमण के चलते एम्स (ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) में भर्ती होने के पहले, उम्र और बीमारियों को धता बताते हुए बौद्धिक रूप से सक्रिय...

जनपक्षीय कवि, लेखक, पत्रकार सुरेश सलिल की स्मृति में

हिंदी, साहित्य और पत्रकारिता में अमूल्य योगदान करने वाले 19 जून 1942 को जन्मे जनपक्षीय कवि, लेखक सुरेश सलिल अपने लेखन, संपादन, पत्रकारिता तथा अनुवाद से आजीवन मानवता की सेवा करने के बाद 22 फरवरी को दुनिया को अलविदा...

बचपन में ही हो गया था छुआछूत से मोहभंग

मेरा बचपन पूर्व-आधुनिक, ग्रामीण, वर्णाश्रमी, सामंती परिवेश में बीता, हल्की-फुल्की दरारों के बावजूद वर्णाश्रम प्रणाली व्यवहार में थी। सभी पारंपरिक, खासकर ग्रामीण, समाजों में पारस्परिक सहयोग की सामूहिकता की संस्थाएं होती थीं। हमारे गांव में भी पारस्परिक सहयोग और...

चिली के राजनीतिक आकाश पर वाम का सूरज

19 दिसंबर, 2021 को संपन्न लैटिन अमेरिकी देश चिली के चुनाव परिणाम में वामपंथी मोर्चे के उम्मीदवार गैब्रियल बोरिस की अपने धुर दक्षिणपंथी प्रतिद्वंदी जोस एंतोनियो कास्त पर स्पष्ट जीत ने, 1970 में वहां के निर्वाचित समाजवादी राष्ट्रपति अलेंदे...

स्पार्टकस जिसे छुपाने की यूरोप ने हरसंभव कोशिश की

हावर्ड फास्ट के कालजयी उपन्यास स्पार्टकस का हिंदी अनुवाद अमृत राय ने आदिविद्रोही शीर्षक से किया है। मैं इसे अनुवाद का मानक मानता हूं। अच्छा अनुवाद वह है जो मौलिक सा ही मौलिक लगे। यह दास प्रथा पर आधारित...

भीड़ का भय: 1984 पर भारी है मौजूदा दौर

मेरा नाम मुसलमानों जैसा हैमुझ को कत्ल करो और मेरे घर में आग लगा दो ।मेरे उस कमरे को लूटोजिस में मेरी बयाज़ें जाग रही हैंऔर मैं जिस में तुलसी की रामायण से सरगोशी कर केकालिदास के मेघदूत से...

निजीकरण: मिथ और हकीकत

निजीकरण का राजनैतिक अर्थशास्स्त्र समझने के लिए किसी राजनैतिक अर्थशास्त्र में विद्वता की जरूरत नहीं है। सहजबोध (कॉमनसेंस) की बात है कि कोई भी व्यापारी कभी घाटे का सौदा नहीं करता, न ही उसका काम जनकल्याण या देश की...

युवकधारा की खेती में सुरेश सलिल ने पैदा किए सैकड़ों लेखक-पत्रकार

हिंदी, साहित्य और पत्रकारिता में अमूल्य योगदान करने वाले 19 जून, 1942 को जन्मे जनपक्षीय कवि, लेखक सुरेश सलिल 79 बसंत पार कर चुके हैं। 1980 के दशक के मध्य के वर्षों में युवकधारा में सलिल जी के संपादकत्व...

अब सामाजिक और आर्थिक अन्याय के विरुद्ध अलग-अलग संघर्षों का वक्त नहीं

आज के हालात में जब दुनिया भर में राष्ट्रोनमादी, दक्षिणपंथी ताकतों की मुखरता आक्रामक है; भारत पर सांप्रदायिक फासीवाद के बादल मंडरा ही नहीं रहे हैं, किस्तों में बरस भी रहे हैं; प्रतिरोध की ताकतें खंडित-विखंडित हैं; जनपक्षीय ताकतें...

About Me

18 POSTS
0 COMMENTS

Latest News

महिला आरक्षण कानून: हकीकत कम और फसाना ज्यादा

महिलाओं को लोकसभा और दिल्ली समेत राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का कानून बनने के बेहद...