Monday, June 5, 2023

राम पुनियानी

संसद भवन का उद्घाटन या राजतिलक समारोह

गत 23 मई (2023) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के नए भवन का उद्घाटन किया। यह भवन पुराने भवन की तुलना में कहीं अधिक ठाठदार है। विपक्ष की अधिकांश पार्टियों ने उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार किया। उनका तर्क...

कर्नाटक चुनाव नतीजे: सांप्रदायिक राजनीति की करारी शिकस्त

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे न केवल सुकून देने वाले हैं बल्कि ये देश को एक करने और भारत के संविधान के मूल्यों को पुनर्स्थापित करने के अभियान की शुरुआत भी हो सकते हैं। कहने की ज़रुरत नहीं कि...

फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ बनी दुष्प्रचार का हथियार

केरल का नाम सुनते ही हमारे मन में उभरता है एक ऐसा राज्य जहां शांति और सद्भाव का राज है, जहां निरक्षता का निर्मूलन हो चुका है, जहां शिक्षा एवं स्वास्थ्य सूचकांक बहुत अच्छे हैं, और जहां कोविड-19 महामारी...

सच्चा इतिहासः गांधीजी की शहादत, गोडसे और आरएसएस

हाल में (अप्रैल 2023) में एनसीईआरटी ने स्कूली पाठ्यपुस्तकों में से बहुत सी सामग्री हटाने का फैसला किया। हटाई गई सामग्री में मुगलकालीन इतिहास, गुजरात दंगे, वर्ण व्यवस्था के उदय के साथ-साथ गांधीजी की हत्या से संबंधित कुछ विवरण...

जाति जनगणना होगी बाबासाहेब को सच्ची श्रद्धांजलि

इस साल (2023) बाबासाहेब आंबेडकर की 132वीं जयंती पिछले वर्षों की तुलना में बहुत जोर-शोर से मनाई गई। बड़ी संख्या में विभिन्न संगठनों ने इसमें भागीदारी की। अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए यह एक बहुत...

पाठ्यक्रम को बेहतर बनाने के नाम पर साम्प्रदायिकता को बढ़ावा

स्कूली पाठ्पुस्तकें भी राष्ट्रवाद के विभिन्न संस्करणों के बीच युद्ध का मैदान बन सकती हैं। औपनिवेशिक भारत के दो उत्तराधिकारी, भारत और पाकिस्तान इसके समानांतर किंतु विपरीत उदाहरण हैं। चूंकि पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर अस्तित्व में आया इसलिए...

भगवान राम के सहारे विघटनकारी राजनीति चमकाने की कवायद

इस साल रामनवमी पर देश के कई हिस्सों में हिंसा हुई। इनमें शामिल हैं, हावड़ा, छत्रपति संभाजी नगर (जिसे पहले औरंगाबाद कहा जाता था), मुंबई के कुछ उपनगर, दिल्ली और बिहार के कुछ कस्बे। पिछले कुछ वर्षों से रामनवमी...

ओबीसी के हितों के खिलाफ उच्च जातियों को लामबंद करने वाली भाजपा, ‘मोदियों’ की आड़ में कर रही है राहुल पर हमला 

दलितों और ओबीसी को विशेष सुविधाएं और छूटें देकर आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करने की नीति के खिलाफ उच्च जातियां काफी लंबे समय से लामबंद रही हैं। विभिन्न किस्म की यात्राएं और राम मंदिर आंदोलन इसी लामबंदी का...

भगत सिंह और उनकी शहादत आज भी प्रासंगिक

आज से लगभग 90 साल पहले महान क्रांतिकारी भगत सिंह को ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार ने फांसी पर लटका दिया था। वे देश के महानतम क्रांतिकारियों में से एक थे और समाजवाद, भारत की स्वतंत्रता और औपनिवेशिक ताकतों की खिलाफत...

जाति पर मोहन भागवत का सिद्धांत, ‘नई बोतल में पुरानी शराब’

‘‘मैं (ईश्वर) सभी प्राणियों में हूं। नाम या रंग चाहे कोई भी क्यों न हो, सबकी काबिलियत एक सी है और सबका बराबर सम्मान है। सब मेरे हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार कोई ऊंचा या नीचा नहीं है। पंडित जो...

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