प्रफुल्ल कोलख्यान
ज़रूरी ख़बर
संविधान के आईने में लोकतंत्र के सवाल का जवाब है समझदार मतदान
आम चुनाव 2024 का दूसरे चरण में आज 26 अप्रैल को चुनाव संपन्न हो गया है। इस बीच आज ही, माननीय सुप्रीम कोर्ट का मतपर्चियों के शत-प्रतिशत मिलान पर फैसला भी आ चुका है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इस...
बीच बहस
केवल सात सेकेंड की शक्ति से झूठ-सच के अदल-बदल का खेल खत्म हो सकता है!
अब 2024 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर मजबूत सरकार का मुद्दा बहुत मजबूती से उठाया है। आम नागरिकों के जीवन से जुड़े असली और वास्तविक मुद्दों की बात तो कायदे से तो वे बहुत कम...
बीच बहस
लोकतंत्र के अंतर्मन में सत्ता का शोर और समाज के निर्भय होने का स्वप्न
आम चुनाव 2024 का पहला चरण 19 अप्रैल को पूरा हुआ। राजनीतिक विश्लेषक और विशेषज्ञ मतदान प्रतिशत में गिरावट और लोकतंत्र के पर्व के प्रति लोगों के उदासीन रुझान की व्याख्या अपने-अपने ढंग से कर रहे हैं। चुनाव संघर्ष...
बीच बहस
लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान
आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।
बीच बहस
हिंसा और आतंक के विरुद्ध भारत का भविष्य और लोकतंत्र उम्मीद से है।
सामने 2024 का आम चुनाव है। इस चुनाव में भारत के लोगों को बहुत सोच-समझकर अपने मताधिकार का महत्वपूर्ण फैसला करना है। मतदाताओं के सामने उनकी जिंदगी के मुद्दे हैं। स्वतंत्र निष्पक्ष निर्भय एवं दबाव से मुक्त वातावरण में...
बीच बहस
लोकतंत्र में चुनाव लघुता का पर्व और गर्व होता है, प्रभुता का पर्व और प्रसाद नहीं
लोकतंत्र में चुनाव सबसे बड़ा पर्व होता है, लोकतंत्र का पर्व। लोकतंत्र का पर्व असल में किस का पर्व होता है? लोक का होता है। लोकतंत्र में चुनाव लघुता का पर्व और गर्व होता है, प्रभुता का पर्व और...
बीच बहस
मतदाताओं की विवेक-सम्मत रणनीतिक समझदारी महत्वपूर्ण है
लोकतंत्र में चुनाव से अधिक महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं होता है। जीवन की तरह चुनाव में भी महत्वपूर्णता का आधार सत्य से बनता है। मुश्किल यह है कि चुनाव प्रचार में सबसे अधिक अवहेलना सत्य की ही होती है।...
बीच बहस
तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद जनविवेक से स्थिति में बदलाव होगा
भारत में लोकतंत्र के भविष्य को लेकर कुछ गहरी आशंकाएं उभर रही हैं। इतिहास की गहरी घाटियों से कुछ चीखें सतह पर हैं तो भविष्य के ठहाकों की तेज ध्वनियां भी सतह पर जमा हो रही हैं। चीख और...
बीच बहस
तरह-तरह से सामने आ रही है मोदी की बौखलाहट
अब आम चुनाव 2024 के शुभारंभ की तिथि बिल्कुल सामने है। चार-पांच दिन में प्रथम चरण के चुनाव में प्रचार का दौर समाप्त हो जायेगा। विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री हैं कि सावन, नवरात्रा में मछली-मटन...
ज़रूरी ख़बर
पुरखे आते हैं देखने, कुर्बानियों की कद्र और वोट ठगेरों से बचने के उपाय
पर्व त्यौहार के दिन लोग नये-नये कपड़े पहनते हैं। अच्छा-अच्छा खाना खाते हैं। खुश रहते हैं। खुशियां मनाते हैं। घर में समाज में सभी जगह वातावरण सुहाना रखने की कोशिश मिलकर करते हैं। क्यों? इसलिए कि उस दिन देव-पितर...
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बेंगलुरु का जल संकट-मुनाफ़ाख़ोर व्यवस्था का दुष्परिणाम
जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे देश में जल संकट गहरा रहा है। क़रीब दो दशक पहले गर्मी...