Tuesday, March 19, 2024

अरुण कुमार त्रिपाठी

मारकर भी गांधी से क्यों डरते हैं हत्यारे?

गांधी ने किसी की हत्या नहीं की। गांधी ने किसी पर लाठी चार्ज नहीं करवाया। उन्होंने आंदोलनकारी विद्यार्थियों को हास्टल और लाज में घुसकर पिटवाया नहीं और न ही आंदोलन करने वालों की कभी संपत्ति कुर्क करवाई। गांधी ने...

जन्मशती वर्ष में पुण्य स्मरण: ऐसे ही नहीं बनते मधु दंडवते

जन्मशती वर्ष में मधु दंडवते (21 जनवरी 1924-12 नवंबर 2005) का स्मरण जहां प्रेरणा देने वाली ऊर्जा से भर देता है वहीं अपने दौर के अनैतिक और बेहद कम पढ़े लिखे नेताओं पर नजर दौड़ाने से एक प्रकार की...

जीरो माइल अयोध्या यानी दूसरी परंपरा की खोज

जब राममंदिर के साथ अवतरित होती त्रेता युग की भव्य अयोध्या का डंका पूरे देश में बजाया जा रहा हो और राष्ट्रीय स्तर के लेखक और पत्रकार उसका वृहद आख्यान रचने में लहालोट हुए जा रहे हों तब कृष्ण...

गांधी में कला और कला में गांधी

सन 2005 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार पाने वाले ब्रिटिश नाटककार हेराल्ड पिंटर ने पुरस्कार प्राप्त करते समय जो व्याख्यान दिया था उसके कुछ अंश बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। उनका कहना था कि एक कलाकार को पूरा हक है कि...

इंडिया बनाम भारत के बीच हम हिंदू का क्या करें?

विलियम शेक्सपीयर का मशहूर नाटक है रोमियो जूलियट। उसकी नायिका जूलियट नायक रोमियो से कहती है कि `नाम में क्या रखा है। हम गुलाब को गुलाब कहते हैं। लेकिन अगर हम उसे किसी और नाम से बुलाने लगें तो...

लोकतंत्रः अतीत, वर्तमान और भविष्य

(वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अरुण कुमार त्रिपाठी के संपादकत्व में 'आज के प्रश्न' श्रृंखला के तहत ‘लोकतंत्र: अतीत, वर्तमान और भविष्य’ शीर्षक से एक किताब प्रकाशित हुई है। किताब में तकरीबन 12 लेखकों के लेख शामिल किए गए हैं।...

सत्ता और संपत्ति के भार से डगमग पत्रकारिता

हिन्दुस्तानियों के हित हेतु तथा उन्हें परावलंबन से मुक्ति दिलाकर स्वतंत्र दृष्टि प्रदान करने के निमित्त 30 मई 1826 को कलकत्ते के कोलू टोला नामक मुहल्ले के 37 नंबर आमड़ातल्ला गली के पते से युगल किशोर शुक्ल ने हिन्दी...

एक सच्चे अयोध्यावासी थे शीतला सिंह

शीतला सिंह नहीं रहे। शीतला सिंह अमर हैं। 1947 के भारत विभाजन और फिर 1971 के पाकिस्तान विभाजन (कश्मीर इन्हीं दोनों के भीतर का विवाद है) के बाद इस उपमहाद्वीप के सबसे बड़े विवाद के केंद्र में खड़े होकर...

सरकारें आती जाती रहेंगी, इतिहास के अनुशासन का विकास होता रहेगाः प्रोफेसर मुखिया

सरकारें आती जाती रहेंगी लेकिन ज्ञान के एक अनुशासन के रूप में इतिहास का विकास जिस अवस्था में पहुंच चुका है उसे रोका नहीं जा सकता। उसे किसी प्रकार का खतरा नहीं है। आज राजनीतिक एजेंडा के तहत इतिहास...

गांधी अभय हैं पर सावरकर में भय है

दिल्ली स्थित गांधी दर्शन और स्मृति नामक संस्थान ने अपनी पत्रिका `अंतिम जन’ का सावरकर विशेषांक निकाला है। एक तरफ इसका चारों ओर यह कहते हुए प्रचार किया जा रहा है कि इतिहास में गांधी से कम नहीं हैं...

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