Author: मनीष आज़ाद
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हिन्दुत्ववादी फासीवादी सांस्कृतिक हमला सीधे जनता की चेतना पर हमला है
मशहूर ब्लैक फिल्ममेकर हेली गरिमा (Haile Gerima) ने एक बार महिलाओं पर हो रहे साम्राज्यवादी सांस्कृतिक आक्रमण के बारे में कहा था कि महिलाएं, विशेषकर युवा महिलाएं अपने जीवन में अनगिनत ‘सांस्कृतिक बूबी ट्रैप’ (सुन्दरता का साम्राज्यवादी पैमाना) से होकर गुजरती हैं और इस प्रक्रिया में उनके व्यक्तित्व के परखच्चे उड़ते रहते हैं और उन्हें…
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अनिता आजाद के अजन्मे बच्चे की ‘हत्या’ किसने की?
बहुत पहले एक कहानी पढ़ी थी। एक अजन्मी बिटिया अपनी मां से कहती है कि मैं तुम्हारी क्रूर दुनिया में नहीं आना चाहती। लखनऊ सेंट्रल जेल में बंद अनिता आज़ाद का 9 दिसंबर को जेल में रहते हुए ही गर्भपात हो गया। पिछले दिनों 18 अक्टूबर को जब उसे गिरफ्तार किया गया तो उसके अंदर…
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सुधा भारद्वाज की जेल डायरी ‘फ्रॉम फांसी यार्ड’: दुःख, यातना, संघर्ष और उम्मीद की अकथ गाथा
मशहूर ट्रेड यूनियनिस्ट, मानवाधिकार कार्यकर्ता और कुख्यात ‘भीमा कोरेगांव षड्यंत्र केस’ की अभियुक्त सुधा भारद्वाज के पसंदीदा लेखक चार्ल्स डिकेंस हैं। चार्ल्स डिकेंस ने अमेरिकी जेलों का भ्रमण करने के बाद कहा था कि जेल शरीर को बचाते हुए आत्मा को कुचलने का एक तरीका (soul destroying method) है। हाल ही में ‘Juggernaut’ से प्रकाशित…
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आपके घर ही छापा क्यों पड़ा.. हमारे घर क्यों नहीं पड़ा?
मेरे आवास सहित 8 जगहों पर 5 सितम्बर को NIA का जो छापा पड़ा, उसके बाद इस तरह के सवाल कि ‘आपके घर ही छापा क्यों पड़ा.. हमारे घर क्यों नहीं पड़ा?’ सुनाई देने लगे। पहली बात तो यह कह दूं कि हमें आज जिस मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है, तो हम निश्चित…
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मोदी सरकार के लिए ‘नागरिक समाज’ युद्ध का नया मैदान
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने 12 नवम्बर 2021 को आईपीएस प्रशिक्षुओं के ‘दीक्षांत परेड’ में बोलते हुए कहा था- ‘जनता सबसे महत्वपूर्ण है। युद्ध का नया मैदान अब नागरिक समाज है। इसे ही चौथी पीढ़ी का युद्ध कहा जाता है’। मूल मुद्दे पर आने से पहले ‘चौथी पीढ़ी के युद्ध’ (Fourth-generation warfare) के बारे…
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न्यूरेमबर्ग को न जानने वाले NIA के एक सदस्य ने मनीष से कहा- हथियार से ज्यादा आपकी कलम है खतरनाक
प्रयागराज। 5 सितम्बर 2023 की सुबह ठीक 5.30 बजे इलाहाबाद में मेरे घर की ओर जाने वाली गली में दंगों में इस्तेमाल होने वाला पुलिस का ‘वज्रयान’ खड़ा था। हम और अमिता ‘मार्निंग वाक’ के लिए निकलते हुए यही बात कर रहे थे कि ये दंगा कहां हुआ है। तभी मेरी मां का फोन घनघनाता…
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टीपू सुल्तान और उनका सपना
टीपू सुल्तान ने अपने सपनों और उनकी व्याख्या करते हुए एक किताब लिखी थी। इसमें कुल 37 सपनों और उसकी व्याख्या का वर्णन है। बाद में इसी किताब पर गिरीश कर्नाड ने एक नाटक भी लिखा-‘टीपू सुल्तान का सपना’। अंग्रेजों को पूरी तरह से भारत से निकाल बाहर करना, और भारत को आत्मनिर्भर बनाना टीपू…
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कार्ल मार्क्स: जिसने दुनिया बदलना और समझना सिखाया
[मार्क्सवाद के अंदर बहुत से सिद्धांत हैं, लेकिन अंतिम रूप से उन सबको सिर्फ एक पंक्ति में समेटा जा सकता है- ‘विद्रोह न्यायसंगत है- माओ त्से तुंग] एक अनुमान के अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो दूसरे नंबर पर है। पहले नंबर पर बाइबिल है। लेकिन जहां तक पढ़े जाने…
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चीन की ‘सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति’: ‘क्रांति भीतर क्रांति’
मई 1966 को शुरू हुई चीन की ‘महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति’ को 57 वर्ष पूरे हो रहे हैं। लेकिन अभी भी इतिहास के पन्नों में इसे वह जगह हासिल नहीं है जिसकी यह हकदार है। सच तो यह है कि संभवतः इतिहास की यह अकेली ऐसी घटना है जिस पर दुनिया के इतिहासकार आज भी…