भूत से लेकर वर्तमान तक पीएम मोदी की गारंटी पर क्यों उठ रहे सवाल!

मोदी हैं तो मुमकिन है और मोदी का मतलब हर चीज की गारंटी। बीजेपी इसी स्लोगन को आगे बढ़ाते हुए इस लोकसभा चुनाव को लड़ रही है। बीजेपी को लग रहा है कि यही वह नारा है जिसके जरिये बीजेपी की नैया पार हो सकती है। लेकिन यह नारा केवल बीजेपी ही नहीं लगा रही है। मजे की बात तो यह है कि खुद पीएम मोदी भी बड़े ही अंदाज और गंभीरता से इसको आगे बढ़ाते हैं। सच तो यही है कि बीजेपी से भी ज्यादा गारंटी शब्दों का उपयोग खुद मोदी ही कर रहे हैं। 

 ऐसा नहीं है कि मोदी कोई नई गारंटी दे रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त भी उन्होंने काला धन लाने की बात कही थी। देश को यह गारंटी दी थी कि देश के जितना भी कालाधन दुनिया के बैंकों में जमा है उसे वापस लाया जाएगा। यह कोई मामूली गारंटी नहीं थी। मोदी की इसी गारंटी की वजह से कांग्रेस की सरकार चली गई थी। लोगों ने सोचा कि एक महान आदमी देश को बचाने की कसमें खा रहा है और बड़ी-बड़ी बातें भी कर रहा है फिर क्यों न एक बार इन्हें भी आजमाया जाए। लगे हाथ मोदी ने यह भी कह डाला था कि देश को इतना कालाधन मिलेगा जिससे देश के सभी नागरिकों के एकाउंट में 15-15 लाख रुपये तक डाले जा सकते हैं। यह कोई मामूली गारंटी थोड़े थी। 

देश का कोई शीर्ष नेता इस तरह की बातें कर रहा हो तो लोगों को विश्वास करने के सिवा बचता ही क्या है? आज भी देश के बहुत से लोग मोदी की गारंटी के फेर में ही तो बीजेपी से जुड़े हुए हैं और खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। काला धन कितना आया और देश के लोगों के खाते में कितने पैसे गए इस पर विपक्ष लगातार सवाल तो उठाता है लेकिन न तो बीजेपी इसका कोई जवाब देती है और न ही मोदी जी इस पर कुछ बोलते हैं। बाद के दिनों में मोदी के सहयोगी अमित शाह से एक पत्रकार ने जब इस बाबत सवाल किया तो उन्होंने कहा कि यह सब एक जुमला था और जुमलों पर बात नहीं की जाती। 

मोदी जी ने अपने को देश का सबसे बड़ा गारंटी मैन बनाने के फेर में यह भी कह डाला था कि देश से बेरोजगारी ख़त्म कर दी जायेगी। उन्होंने छाती पीटकर कहा था कि ”हमारी सरकार बनाओ। सरकार बनते ही हर साल दो करोड़ युवाओं को नौकरी दी जायेगी। नौकरी का नाम सुनते ही युवाओं के मन मचल उठे। उन्होंने अपनी आस्था को बदल दी। जहां और जिसको वे वोट डालते थे उसे गरियाने लगे और मोदी के साथ हो चले। चुनाव में मोदी की जीत तो हुई ही बीजेपी की भी अपार जीत हुई लेकिन नौकरी की बात और उनकी गारंटी की कहानी आगे नहीं बढ़ पाई। विपक्ष वाले आज भी मोदी को इसकी याद दिलाने से नहीं चूकते हैं लेकिन इसका जवाब कौन दे सकता है ?

मामला इतना भर का ही नहीं है। मोदी जी ने स्मार्ट सिटी बनाने की भी बात की थी। आदर्श गांव बनाने का भी हंगामा मचाया था लेकिन सब कागजी फाइल बनकर रह गए। बदले में लोगों को जो मिला उसकी कल्पना तक नहीं की गई थी। नोटबंदी का वादा नहीं था लेकिन किया गया। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत को बढ़ाने की बात थी लेकिन रुपये की कीमत घटती चली गई। पेट्रोल और डीजल की कीमत में कमी करने की बात थी लेकिन हुआ ठीक उल्टा। एलपीजी गैस की कीमत को कम करने की गारंटी दी गई थी लेकिन जो हुआ सबके सामने है। और सबसे बड़ी बात किसानों को एमएसपी देने की गारंटी दी गई थी लेकिन आज भी वो इधर-उधर फिर रहे हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि जो किसान एमएसपी की बात करते हैं उन्हें आतंकी तक मान लिया जाता है। 

आज मोदी की गारंटी फिर से चरम पर उछल रहा है। हर तरफ मोदी की गारंटी की बात की जा रही है। मोदी की गारंटी सब पर भारी के नारे लगाए जा रहे हैं। लोग उछल रहे हैं और जो नेता चुनाव जीत भी नहीं सकते वे भी मोदी की गारंटी के सहारे नेता बनने का सपना पाले आगे बढ़ रहे हैं। मौजूदा समय में राजनीति का यह झूठ कुलांचे भरते दिख रहा है। 

मोदी के काल में एक शब्द और प्रचलित हुआ। वह शब्द था अमृतकाल। इस अमृतकाल को बीजेपी और मोदी भक्तों ने बड़े ही अंदाज से लोगों के सामने पेश किया और मोदी सरकार का मतलब अमृतकाल से जोड़ दिया गया। यानी यह मोदी सरकार ही है जो अमृत के आस्मां है। यहां हर कोई अमृत का पान कर रहा है। सभी लोग अमृत का पान कर रहे हैं और अमृत पाकर देश का हर नागरिक अजर अमर होता जा रहा है। जब देश ही अमृत में डूबा हो तो फिर लोगों की क्या विसात ! 

 देश के लोग अमृत का सेवन करके अपनी सारी इच्छाओं को पूरी कर रहे हैं तो भारत देश दुनिया के सामने अमृत का घोल लिए दुनिया को ललकार रहा है। कहा गया कि भारत आज दुनिया का सिरमौर बना हुआ है। बिना भारत की इजाजत के इस धरा पर कुछ भी संभव नहीं। यह भी कहा गया कि भारत बेहद ताकतवर देश हो चला है और भारत की ताकत के सामने कोई भी देश टिकने को तैयार नहीं !

लेकिन अमृत काल भी गुजर गया। अब गारंटी की बारी है। पिछले दस साल में मोदी जी और बीजेपी के लोगों ने बहुत सारी गारंटी की बातें की है। 2014 में जब मोदी की पहली सरकार बनी थी तब से लेकर आज तक बीजेपी की झोली से जितने भी नए शब्द निकले उनमें जनता को आकर्षित करने वाले दो शब्द खासकर प्रचलित हुए हैं।

अमृतकाल और गारंटी। लेकिन इस चुनाव के दौरान गारंटी ने देश के मिजाज पर बहुत बड़ा प्रभाव डाल दिया है। एक तरफ राहुल गाँधी भी गारंटी देते फिर रहे हैं तो दूसरी बड़ी गारंटी बीजेपी और मोदी और उनके लोग देते फिर रहे हैं। लेकिन जब कोई सवाल करता है कि अगर मोदी जी आज गारंटी दे रहे हैं तो पिछली बार जो गारंटी दिए थे उसका क्या हुआ तो इस पर कोई जवाब नहीं मिलता। कहा जाता है कि वह तो चुनावी जुमला भर था और चुनावी जुमले की कोई कहानी बनती नहीं। 

(अखिलेश अखिल वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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