पुचकारने से नहीं मानते भेड़िये
देर आयद की कहावत के पहले दो शब्दों को व्यवहार में उतारते हुए आखिरकार देश की सबसे बड़ी अदालत ने बुलडोजर अन्याय पर अपना फैसला [more…]
देर आयद की कहावत के पहले दो शब्दों को व्यवहार में उतारते हुए आखिरकार देश की सबसे बड़ी अदालत ने बुलडोजर अन्याय पर अपना फैसला [more…]
कुनबे की हड़बड़ी कुछ ज्यादा ही बढ़ी दिख रही है; उन्मादी ध्रुवीकरण को तेज से तेजतर और उसके तरीकों को अशिष्ट से अभद्रतम तक पहुंचाया [more…]
इस बार 5 नवम्बर को सभी को चौंकाते हुए, जो आदमी, अमरीका के राष्टपति का चुनाव जीता है वह निर्लज्ज नस्लवादी, अंग्रेजी में बोले तो [more…]
देश और दुनिया में जो अघट घट रहा है उसे एक आयामी रूप में मतलब जैसा है सिर्फ वैसा, जितना दिखाया जा रहा है सिर्फ [more…]
जाति जनगणना के सवाल पर मनु-जायों का कुनबा बिलबिलाया हुआ है । न उगलते बन रहा है न निगलते !! हजार मुंह से हजार तरीके [more…]
जैसे कोई खिलाड़ी किसी बड़े मुकाबले को जीतकर आने के बाद अपनी ट्रॉफी दिखाते हुए खुशी और संतुष्टि के साथ मीडिया को अपनी उपलब्धि गिनाता है, [more…]
शम्बूक को लेकर अनेक रामकथाओं में दर्ज प्रसंग से रूप में थोड़ा अलग किन्तु सार में यथावत पूर्ववत मंचन उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे बसे [more…]
यह निर्भया काण्ड से बहुत पहले की बात है। 1978 में दिल्ली में हुई एक बर्बरता से पूरा देश हिल गया था। राजधानी के सबसे [more…]
हाथरस मुख्यालय से कोई 35 किलोमीटर दूर सहपऊ कस्बे के करीब के गांव रसगवां में एक 11 साल के मासूम बच्चे की हत्या खुद उसके [more…]
चुनावों में सहूलियतों और राहतों का एलान बुरी बात नहीं है। लोकतंत्र में यही वक़्त होता है, जब लोक से तन्त्र को थोड़ा बहुत डर [more…]