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संस्कृति-समाज

गणतंत्र के 75 वर्ष : दीवारें ये गिर जातीं तो जश्‍न मनाते हम भी

75वां गणतंत्र या प्रजातंत्र दिवस हम सब के लिए गर्व और गौरव का दिवस है। संविधान लागू हुए 75 वर्ष हो गए। अगर हम समालोचना [more…]

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संस्कृति-समाज

पुस्‍तक समीक्षा: शोषणकारी, अत्‍याचारी शक्तियों और धार्मिक सामाजिक कुरीतियों का प्रतिरोध करती तसलीमा नसरीन की पुस्‍तक

तसलीमा नसरीन अपने बेबाक बोलों के लिए जानी जाती हैं। लैंगिक भेदभाव और महिला विरोधी धार्मिक कर्मकाण्‍डों पर सीधा प्रहार करती हैं। उनका यही बेबाकीपन [more…]

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संस्कृति-समाज

पुस्तक समीक्षा: आदिवासी समुदाय में बदलाव की बयार का अहसास कराती कविताएं

आदिवासी अपने जल, जंगल, जमीन और जानवरों से जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं। अपनी अलग सभ्‍यता-संस्‍कृति के लिए पहचाने जाते हैं। प्रकृति से उनका [more…]

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बीच बहस

मौजूदा दौर में क्‍यों जरूरी है सावित्रीबाई फुले को याद करना

शिक्षा मनुष्‍य में ऐसे गुणों का विकास करे जो उसे बेहतर इंसान बनाए। देश का बेहतरीन नागरिक बनाए। एक ऐसा नागरिक जो अपने संवैधानिक अधिकारों [more…]

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संस्कृति-समाज

दिल्‍ली चुनाव: ‘इस बार हम महिलाएं होंगी किंगमेकर’, देख लेना

इन दिनों दिल्‍ली में चुनावी सरगर्मियों के बीच कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। हमारी बस्‍ती के मुहाने पर जहां से चार छोटी-छोटी सड़कें चार [more…]

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ज़रूरी ख़बर

ताकि बची रहे देश की समावेशी और साझा संस्‍कृति

हाल ही में पटना में गांधी जी द्वारा गाए एक लोकप्रिय भजन पर विवाद हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी के सौंवें जन्‍मदिन पर एक कार्यक्रम [more…]

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बीच बहस

संविधान बनाम मनुस्‍मृति : किसकी श्रद्धा किसके प्रति

अतीत चाहे मानव जीवन का हो या देश की सभ्‍यता-संस्कृति का, इसमें सुखद और दुखद पहलू समाहित होते हैं। अतीत हमारे वर्तमान की प्रगति में सहायक [more…]

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संस्कृति-समाज

न्याय केवल कागज़ों पर कानून के समक्ष समानता है, लेकिन यह जमीनी हकीकत क्यों नहीं बनी ?

जेंडरिंग इक्वालिटी (भारत में महिला अधिकारों पर न्यायालय के निर्णय), जाति क्यों मायने रखती है (भारत में जातिगत भेदभाव पर न्यायालय के निर्णय), विकलांगता न्याय (भारत में विकलांगता अधिकारों पर [more…]

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संस्कृति-समाज

इस दौर के फरियादी जाएं तो कहां जाएं

हाल ही में दिल्‍ली के जंतर-मंतर पर मनरेगा मजदूरों ने अपने अधिकारों और मनरेगा के अंतर्गत हो रहे शोषण को लेकर धरना-प्रदर्शन किया। देश की [more…]

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संस्कृति-समाज

पुण्यतिथि विशेष: मौजूदा दौर में और भी प्रासंगिक हुए डॉ. अंबेडकर

आज के दौर में जब सामाजिक-आर्थिक असमानता बढ़ रही है। लोकतंत्र और संविधान संकट में हैं। समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे शब्‍दों पर सवाल उठने लगे [more…]