Saturday, April 27, 2024

स्वदेश सिन्हा

बेंगलुरु का जल संकट-मुनाफ़ाख़ोर व्यवस्था का दुष्परिणाम

जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे देश में जल संकट गहरा रहा है। क़रीब दो दशक पहले गर्मी के मौसम में केवल कुछ इलाक़ों में ही जल संकट होता था, लेकिन अब यह देशव्यापी परिघटना बन गई है,...

झूठी ख़बर फैलाने में गोदी मीडिया दुनिया में पहले पायदान पर

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के‌ बाद पराजय की आशंका से ग्रस्त होकर प्रधानमंत्री एक‌ बार फिर अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ नफ़रती झूठी ख़बरें फैलाने लगे हैं। इसके साथ ही पूरा गोदी मीडिया उनके नफ़रती प्रचार अभियान में...

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

विश्व विरासत दिवस विशेष: क्यों ज़रूरी है विरासतों को बचाना?

विश्व विरासत दिवस हर वर्ष 18 अप्रैल को मनाया है,इस दिवस को  मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि पूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाई जा सके। संयुक्त...

एनसीईआरटी की इतिहास की पुस्तकों में हड़प्पा सभ्यता पर बड़ा बदलाव: सरकार की असली नीयत क्या है?

केन्द्र की भाजपा सरकार एनसीआरटी (NCERT) पुस्तकों में व्यापक बदलाव के लिए पिछले दिनों से काफ़ी चर्चा में रही थी, विशेष रूप से इतिहास की पुस्तकों से मुगलराज को हटाने के संबंध में। इस वर्ष बारहवीं कक्षा के इतिहास...

ग्रेट निकोबार द्वीप की प्राचीन जनजातियों के अस्तित्व पर संकट, द्वीप को सैन्य और व्यापार केंद्र में बदलने की योजना

आज दुनिया भर में सरकारें और कॉर्पोरेट मुनाफ़े की होड़ में सदियों पुराने जंगलों को नष्ट कर रही हैं, जिसके फलस्वरूप वहां रह रही प्राचीन जनजातियों के अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो गया है, इसके साथ ही पर्यावरण...

शहीद दिवस: आज भगत सिंह के समाजवादी विचारों की हमें क्यों ज़रूरत है?

आज से 93 साल पहले 23 मार्च 1931 की काली रात को देश के तीन सपूतों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को गुपचुप लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी पर लटका दिया गया था। उस समय इन सपूतों की देश...

क्या भारत में साम्प्रदायिकता केवल उपनिवेशवाद की उपज है?

भारत में वर्तमान संघ परिवार की फासीवादी राजनीति के संदर्भ में इतिहासकारों, समाजशास्त्रियों तथा राज्ञनीतिज्ञों के बड़े वर्ग द्वारा इस तथ्य को बड़े ज़ोर-शोर से स्थापित किया जा रहा है कि हमारे देश में इतिहास के हर दौर में...

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: क्या स्त्री मुक्ति का संघर्ष फासीवाद के ख़िलाफ़ हो रहे संघर्षों से जुड़ा है?

70 का दशक आंदोलनों का दशक था। सारी दुनिया में विभिन्न प्रकार के सामाजिक और राजनैतिक आंदोलन चल रहे थे। यूरोप-अमेरिका इनके केन्द्र बने थे। अमेरिका में उसके द्वारा वियतनाम में हो रही अमेरिकी बर्बरता के ख़िलाफ़ व्यापक आंदोलन...

समुद्र में डूबी द्वारका: मिथक को इतिहास बनाने की एक और साज़िश

दो दिन पहले हमारे प्रधानमंत्री जी समुद्र में डूबी द्वारका के दर्शन करने गए। वे गोताखोर की पोशाक पहनकर समुद्र में गए तथा कथित रूप से उन्होंने ध्यान लगाया, जब बाहर निकले तो बड़े प्रसन्न थे, उन्होंने...

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