Saturday, April 27, 2024

मुख्तार अंसारी की मौत का मामला प्रथमदृष्टया संदिग्ध, उच्च स्तरीय जांच हो: PUCL

लखनऊ। 28 मार्च, 2024 की रात जेल में बंद पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत की खबर आई। इसके दो दिन पहले ही 26 मार्च 2024 को मुख्तार अंसारी की खाना खाने के बाद तबियत बिगड़ने और उसके कारण उन्हें जेल से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाने की खबर आई थी। इलाज के बाद उन्हें वापस जेल भेज दिया गया था। उस दिन मुख्तार अंसारी के परिजनों ने उनके खाने में जहर देने की आशंका जाहिर की थी।

इसके पहले 21 मार्च, 2024 को मुख्तार अंसारी के वकील की ओर से एक पत्र न्यायालय को सौंपा था, जिसमें उन्हें 19 मार्च को खाने में जहर देने की बात कही गई थी, जिसके बाद उनकी तबियत बिगड़ गई थी। पत्र में खाना खाने के बाद पेट में तेज़ दर्द और हाथ पैर शिथिल पड़ जाने की बात कही गई थी। इलाज के लिए जेल के बाहर अस्पताल भेजने के साथ मामले की जांच की भी मांग की गई थी। मुख्तार के वकील रणधीर सिंह सुमन ने पीयूसीएल से हुई बात में इस बात की पुष्टि की कि 19 मार्च को उनकी तबियत खराब होने के बाद ऐसा आवेदन मुख्तार अंसारी की ओर से बाराबंकी न्यायालय में 21 मार्च को दिया गया था।

इन घटनाओं की पृष्ठभूमि में कल रात मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मृत्यु की खबर आई। बांदा मेडिकल कॉलेज की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मुख्तार अंसारी को रात 8:25 बजे उल्टी की शिकायत और बेहोशी की हालत में अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों की टीम इलाज में जुटी थी लेकिन दिल का दौरा पड़ने की वजह से उन्हें नहीं बचाया जा सका। 

मुख्तार अंसारी की मृत्यु के बाद आज उनके बेटे उमर अंसारी ने बांदा के मजिस्ट्रेट को लिखे गए पत्र में इस मृत्यु को स्वाभाविक मृत्यु न मानते हुए, इसे जेल में की गई हत्या बताया है और इस कारण शव का पोस्टमार्टम एम्स के डॉक्टरों से कराए जाने की मांग की है। मुख्तार के वकील ने भी बाराबंकी अदालत में मुख्तार अंसारी द्वारा 21 मार्च 2024 को दिए गए बयान को मृतक का बयान मानकर मामले की जांच का अनुरोध किया है, जिसमें खाने में जहर देने की बात कही गई है।

यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि उत्तर प्रदेश की सरकार से जान के खतरे की आशंका जाहिर करते हुए मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश के बाहर पंजाब की जेल में ही रहने की गुहार लगाई थी, उत्तर प्रदेश पुलिस कई बार के प्रयास के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ 2021 में उत्तर प्रदेश लेकर आई। मृत्यु वाले दिन 28 मार्च की सुबह भी मुख्तार ने अपने वकील के माध्यम से जान का खतरा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन कर अपने एक मुकदमे को दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने की मांग की थी।

इन सभी तथ्यों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की मौत संदिग्ध है, जिसकी उच्च स्तरीय न्यायिक जांच होनी ही चाहिए।

यह गंभीर चिंता का विषय है कि उत्तर प्रदेश में सत्ता पक्ष के विरोधी नेताओं और विधायकों की मृत्यु न्यायिक हिरासत में संदिग्ध तरीकों से हो रही है।

इसके पहले पूर्व अप्रैल 2023 में सांसद अतीक अहमद और अशरफ की न्यायिक हिरासत में कैमरे के सामने हत्या कर दी गई। उन दोनों ने भी मृत्यु के पहले अदालत में अपनी हत्या की आशंका व्यक्त की थी। 

अतीक अहमद, अशरफ और मुख्तार अंसारी या किसी पर भी, जो भी आपराधिक मामले का आरोप हो, हमारा संविधान कहता है कि हिरासत में भी नागरिक के जीवन का अधिकार सुनिश्चित रहता है। उसे दोषी ठहराना या बरी करना अदालत का काम है। जबकि हिरासत में मृत्यु नागरिक के मानवाधिकारों के गंभीर हनन का मामला है। इसलिए हिरासत में हुई हर मौत की जांच होनी चाहिए।

पुलिस हिरासत में हुई मौत की कई घटनाओं में सुप्रीम कोर्ट ने इसे हत्या का मामला मानते हुए सम्बन्धित पुलिस वालों के खिलाफ मुकदमा चलाने की रूलिंग दी है। सीआरपीसी की धारा 46 कहती है कि गिरफ्तारी के दौरान पुलिस किसी की हत्या नहीं कर सकती और सीआरपीसी की धारा 176(1) कहती है कि यदि पुलिस हिरासत में किसी व्यक्ति की मौत होती है, वह गायब हो जाता/जाती है या महिला के साथ बलात्कार होता है तो न्यायिक मजिस्ट्रेट उसकी न्यायिक जांच का आदेश दे सकता है। और मुख्तार अंसारी की मौत का मामला तो इसके तथ्यों के मद्देनजर पूरी तरह संदिग्ध मौत का मामला लगता है। 

उत्तर प्रदेश में ऐसी मौतों का बढ़ना बेहद चिंताजनक है। गौरतलब है कि 2020-2022 तक पूरे देश में 4,400 मौतें हिरासत में हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश में अकेले 21% मौत हुई हैं जो पूरे देश में सबसे अधिक है। यह किसी भी लोकतंत्र के लिए शर्मनाक आंकड़ा है। अगर इस तरह की घटनाओं को संज्ञान में न लेकर, कारवाही न की गई तो इसे रोका नहीं जा सकेगा। राज्य मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और इलाहाबाद हाईकोर्ट को इसे स्वत संज्ञान लेकर इसे रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए।

पीयूसीएल उत्तर प्रदेश मुख्तार अंसारी की मौत को उत्तर प्रदेश में बढ़ती हिरासत मौत की एक और दुखद कड़ी मानता है। न्यायिक हिरासत में हुई मौत की इस घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए पीयूसीएल उत्तर प्रदेश निम्नलिखित मांग करता है:

  • मुख्तार अंसारी की मौत की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराई जाय।

  • जैसा कि मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने मांग की है, शव का पोस्टमार्टम प्रदेश के बाहर एम्स के डाक्टरों के पैनल से कराई जाय और नियमानुसार पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराई जाय।
  • जैसा कि मुख्तार अंसारी के अधिवक्ताओं ने मांग की है, उनके 21 मार्च के आवेदन को, जिसमें उन्होंने खुद को जहर देने की बात कही है, उनका अंतिम बयान मानकर संबंधित लोगों पर एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच जल्द से जल्द पूरी की जाय।
  • उत्तर प्रदेश में हिरासत में बढ़ती मौतों को रोकने के लिए राज्य मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग उत्तर प्रदेश सरकार को उचित आदेश जारी करें।
  • उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में बढ़ती हिरासत मौतों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए। दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करे और मृतक आश्रितों को उचित मुआवजा देने का प्रबंध किया जाय।

(पीयूसीएल, उत्तर प्रदेश की प्रेस विज्ञप्ति)

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