नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

तो सुशासन का श्राद्ध कर रहे हैं नीतीश बाबू !

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने तथाकथित सुशासन का श्राद्ध करते नजर आ रहे हैं। फिलहाल बिहार के मौजूदा हाल से तो यही लग भी रहा है। भाजपा भी यही चाहती है। और नीतीश वही सब कर रहे हैं जो भाजपा चाहती है। बिहार में भाजपा अपना जनाधार मजबूत कर रही है। इसलिए वह भी इनका सुशासन तार-तार करना चाहती है। वैसे भी सुशासन तो बिहार में कब का निपट चुका है। अब वे अपने ही सुशासन का तर्पण कर रहे हैं। जरा यह लॉक डाउन हटे तो एक नया बिहार नजर आएगा। क्या हाल है बिहार का यह अभी लॉक डाउन से पर्दे में है।

राज्य में दो महीने में निराश हताश शिक्षकों की हालत सबसे ज्यादा ख़राब है। वे भूख और भुखमरी से भी जूझ रहे हैं। तीन दर्जन से ज्यादा शिक्षकों की जान जा चुकी है। बिहार में लाखों शिक्षक दो महीने से हड़ताल पर हैं। सरकार ने उनका वेतन रोक रखा है। फरवरी महीने में जितने दिनों शिक्षकों ने काम किया था उस अवधि का भी वेतन सरकार ने रोक रखा है। शिक्षकों की बदहाली के साथ अब कोरोना की मार झेलने के लिए बिहार को तैयार रहना चाहिए।

कोरोना के चलते सबसे ज्यादा हैरान परेशान बिहार का हाशिए का समाज हुआ है। वह समाज जो दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में लॉक डाउन के चलते अचानक फंसा तो फंसा ही रह गया। कुछ पैदल ही निकल पड़े तो कुछ किसी साधन से। पर इसमें सब अपने वतन पहुंच गए हों ऐसा भी नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के मजदूरों के लिए भी बस मुहैया कराई तो कोटा में फंसे मध्य वर्गीय परिवारों के बच्चों के लिए भी। पर नीतीश कुमार ने एक बार भी यह प्रयास नहीं किया कि प्रधानमंत्री से बात कर वे बिहार के मजदूरों को निकलने के लिए विशेष रेल का इंतजाम कराते। मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद आदि से ज्यादा से ज्यादा बीस ट्रेन से इन सभी को बिहार पहुंचाया जा सकता था।

दरअसल नीतीश कुमार ने इसका प्रयास ही नहीं किया यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू है। अगर यूपी में योगी आदित्यनाथ तीन सौ बस भेज कर कोटा से पांच हजार छात्रों को राज्य ला सकते थे तो सुशासन का नारा देने वाले नीतीश कुमार क्या यह नहीं कर सकते थे। योगी तो मठ के महंत रहे हैं पहली बार देश का सबसे बड़ा सूबा संभाल रहे हैं। ऐसे संकट के समय वे काम करते दिख रहे हैं। यह मामूली बात नहीं है। वे गाजियाबाद भी बस भेजे थे यह याद रखना चाहिए। और नीतीश बाबू।

वे तो बिहार आंदोलन से निकले। जेपी लोहिया की धारा वाले रहे। केंद्र में रहे तो कितने साल से बिहार संभाल रहे हैं। पिछली सत्ता तो वे जिन लालू प्रसाद यादव की मदद से पाए उन्हें फिर दांव दिया। और अब वे समूचे बिहार को दांव दे रहे हैं। किसे वे मूर्ख बना रहे हैं। देशभर में जारी लॉक डाउन के बीच बिहार के बीजेपी विधायक अनिल सिंह सड़क मार्ग से ही कोटा जाकर अपनी बेटी को बिहार ले आए। जबकि लॉक डाउन की वजह से कोटा में फंसे बिहार के मध्य वर्गीय परिवार के छात्रों को लेकर नीतीश कुमार ने साफ कहा कि कोटा में फंसे छात्रों को वापस नहीं बुलाया जाएगा क्योंकि ऐसा करने से लॉक डाउन का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा। ये क्या दो तरह का लॉक डाउन है।

भाजपा का अलग और जेडी यू का अलग। यूपी का अलग और बिहार का अलग। इसमें गुजरात भी जोड़ लीजिये जिनके राज्य के लोगों को यूपी और उत्तराखंड से लक्जरी बस से भेजा गया था। पर बिहार के साथ यह नहीं हो पाया। बिहार के मजदूर तो खैर क्या ये लाते मध्य वर्ग उच्च वर्ग के परिवार के छात्रों को भी सरकार ने इस लायक नहीं समझा। ये उसी मध्य वर्गीय परिवार के छात्र हैं जो थाली लोटा पीटकर इनके खेमे का समर्थन करता रहा है। ऐसा दोहरा चरित्र फिलहाल देश में किसी मुख्यमंत्री का तो नहीं दिख रहा है।

अब जरा कोरोना पर भी बात हो जाए। पटना से  फ़ज़ल इमाम मल्लिक के मुताबिक वायरस के कहर से निपटने के लिए नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री के सामने रोना रो रहे थे। उन्होंने कई सवाल उठाए थे। लेकिन अब उनके ही स्वास्थ्य मंत्री ने नीतीश कुमार की पोल खोल कर रख दी है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि उपकरण इतना ज्यादा मौजूद है कि उसका उपयोग नहीं हो रहा है। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की थी।

इसी दौरान नीतीश कुमार न कहा कि बिहार दवा से लेकर कोरोना के इलाज के लिए जरूरी उपकरण के लिए बुरी तरह परेशान है। बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा था कि हमने पांच लाख पीपीई किट मांगा था लेकिन केंद्र से सिर्फ चार हजार मिले। बिहार ने दस लाख एन-95 मास्क मांगा लेकिन सिर्फ 50 हजार मिले। दस लाख सी प्लाई मास्क की मांग की गई लेकिन सिर्फ एक लाख मिले। दस हजार आरएनए एक्सट्रैक्शन किट की मांग की गई थी लेकिन मिले सिर्फ ढाई सौ।

बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने भी मीडिया से बात करते हुए संसाधनों की कमी का रोना रोया था। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार से उन्हें जरूरी सामान नहीं मिल पा रहे हैं। लेकिन अब बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने नीतीश कुमार के दावों की हवा निकाल कर रख दी है। उन्होंने जो कहा उससे तो लगता है कि नीतीश कुमार झूठ बोल रहे हैं।

इससे नीतीश कुमार और मंगल पांडेय आमने सामने आ गए हैं। मंगल पांडेय ने ताबड़तोड़ ट्वीट कई किए। उन्होंने बिहार में कोरोना से बचाव और इलाज के लिए उपलब्ध सामानों की पूरी सूची जारी करते हुए कहा कि सामान इतना है कि उसका उपयोग नहीं हो रहा है। तो साफ़ है कि नीतीश कुमार खुद अपने सुशासन का श्राद्ध कर रहे हैं।

(अंबरीश कुमार शुक्रवार के संपादक हैं और आजकल लखनऊ में रहते हैं।)

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