पत्रकार देवेंद्र पाल।

चंडीगढ़ पुलिस ने नाजायज तरीक़े से हिरासत में लेने के बाद वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र पाल के साथ की बदसलूकी

शनिवार की शाम कुछ मिथक चंडीगढ़ में एकबारगी फिर टूटे। मसलन, सिटी ब्यूटीफुल के नाम से जाने जाने वाले इस विश्व प्रसिद्ध केंद्र शासित प्रदेश (शहर) की पुलिस अतिरिक्त संजीदा और ‘सभ्य’ है तथा विपरीत परिस्थितियों में भी जी- जान से पत्रकारिता कर रहे पत्रकार ‘आजाद प्रेस’ का हिस्सा है। इन मिथकों को तोड़ा, इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-1 के बेलगाम एसएचओ जसवीर सिंह ने। इस थानेदार ने अपनी पूरी पुलिसिया धौंस के साथ पंजाब और चंडीगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र पाल को नाजायज हिरासत में ले लिया और बीच सड़क से लेकर थाने तक उनकी फजीहत की।

दो दशक से अपनी जनपक्षीय, सरोकारी और निर्भीक पत्रकारिता के लिए सूबे में अलहदा एवं सम्मानजनक रुतबा रखने वाले देवेंद्र पाल प्रख्यात पंजाबी दैनिक अखबार ‘पंजाबी ट्रिब्यून’ में प्रमुख संवाददाता के पद पर कार्यरत हैं। ‘पंजाबी ट्रिब्यून’ ट्रिब्यून समूह का हिस्सा है, जो अपनी निष्पक्ष और ईमानदार पत्रकारिता के लिए चौतरफा जाना जाता है।               

देवेंद्र पाल का निवास कार्यालय (सेक्टर-27) के पास ही सेक्टर-29 में है। वह पैदल ऑफिस की तरफ जा रहे थे कि सेक्टर 29-30 के चौराहे पर लाल बत्ती वाली पुलिस की अपनी गाड़ी में लाव लश्कर के साथ सवार एसएचओ जसवीर सिंह ने उन्हें रोक लिया। देवेंद्र के गले में प्रेस कार्ड था और उन्होंने अपना परिचय देते हुए बताया कि वह ड्यूटी पर जा रहे हैं। पत्रकार की शिष्टता का जवाब सनकी थानेदार ने गालियों से दिया और जबरन पुलिस वाहन में धकेल कर पुलिस स्टेशन ले आया। पुलिस की ताकत का अंधा प्रदर्शन करते हुए वहां भी देवेंद्र पाल के साथ बदसलूकी की गई और उन्हें जमीन पर बैठने को मजबूर किया गया। तमाम पुलिसिया हथकंडे अपनाने की धमकी दोहराई जाती रही।

देवेंद्र पाल किसी तरह अपने संपादक, सहकर्मियों और आला पुलिस अधिकारियों को अपनी इस नाजायज हिरासत का संदेश देने में कामयाब हो गए। आधे घंटे की प्रताड़ना के बाद उन्हें थाने से रिहा किया गया। ट्रिब्यून ग्रुप द्वारा उसी रात ही लिखित तौर पर मामला चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक संजय बेनीवाल के संज्ञान में लाया गया। इस करतूत को अंजाम देने वाला थानेदार जसवीर सिंह ढिठाई के साथ जिद पर अड़ा रहा कि पत्रकार देवेंद्र पाल को इस ‘गुनाह’ के लिए फौरी तौर पर हिरासत में लिया गया कि वह कर्फ्यू और लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए सैर कर रहे थे। गोया प्रेस कार्ड, पहचान पत्र और कर्फ्यू पास के साथ अपनी पत्रकारीय ड्यूटी का निर्वाह करना और संस्थानिक गंतव्य तक जाना अपराध है!                             

वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र पाल के साथ की गई पुलिसिया गुंडागर्दी के बाद पंजाब और चंडीगढ़ के कई पत्रकार संगठनों और चंडीगढ़ प्रेस क्लब के प्रतिनिधियों ने यूटी डीजीपी संजय बेनीवाल से मिलकर तीखा रोष जाहिर किया। डीजीपी ने संबंधित थाना अधीक्षक सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच डीआईजी ओमबीर सिंह बिश्नोई को सौंप दी है। डीजीपी बेनीवाल का कहना है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मीडिया बहुत अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने निष्पक्ष कार्रवाई का भरोसा दिया है।                                       

इस बीच राज्य के तमाम छोटे-बड़े  सियासतदानों और राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ हर जिले और कस्बे के पत्रकार संगठनों ने देवेंद्र पाल के साथ की गई पुलिसिया ज्यादती की कड़े शब्दों में निंदा की है। साथ ही इसे भी शर्मनाक करार दिया है कि दोषी थानेदार जसवीर सिंह अभी भी पद पर बहाल है। जबकि साफ सुबूत हैं कि थानेदार ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए वर्दी में गुंडागर्दी की। पंजाब और चंडीगढ़ में सवाल उठ रहे हैं कि राजधानी में एक वरिष्ठ पत्रकार के साथ, जो अपने कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाना जाता है, ऐसा सुलूक कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है। गौरतलब है कि देवेंद्र पाल के साथ हुए जुल्म ने पंजाब के आतंकवाद के काले दौर की याद दिला दी है, जब पत्रकार कभी आतंकियों का शिकार होते थे तो कभी पुलिस की अंधी ताकत का। 

(अमरीक सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल जालंधर में रहते हैं।)

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