एम्स ऋषिकेश में एक डॉक्टर की कोविड वैक्सीन लगने के बाद मौत!

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स-ऋषिकेश) में 24 वर्षीय मेडिकल इंटर्न डॉ नीरज सिंह का कोविड-9 टीका लगने के 11 दिन बाद रविवार 14 फरवरी को निधन हो गया। सूत्रों के अनुसार, इंटर्न को फरवरी की शुरुआत में कोविड इंजेक्शन दिया गया था और 5 फरवरी को कुछ चिकित्सकीय जटिलताओं के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था।  14 फरवरी तक अस्पताल में संघर्ष करने के बाद रविवार रात को उसका निधन हो गया।

एम्स के अधिकारियों ने हालांकि इस बात से इनकार किया है कि डॉ नीरज सिंह की मृत्यु वैक्सीन की किसी प्रतिक्रिया के कारण हुई थी और इसके बजाय कहा गया था कि इंटर्न को सह-रुग्ण (co-morbid) बीमारी थी। हालांकि एम्स अधिकारियों का ये दावा भी केंद्र सरकार दिशा निर्देश का उल्लंघन है। केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश कहते हैं कि सह-रुग्णता वाले व्यक्तियों को वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए।वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे अपने बयान में एम्स-ऋषिकेश के डायरेक्टर डॉ. रविकांत ने बताया है कि इंटर्न 30 जनवरी को गोरखपुर से लौटा था और उसने कभी भी किसी भी तरह के बुखार या संक्रमण के बारे में अस्पताल को सूचित नहीं किया था।एम्स निदेशक ने कहा है कि मेडिकल इंटर्न नीरज सिंह की मौत का कारण वायरल इन्सेफेलाइटिस है और इसका वैक्सीन से कोई लेना-देना नहीं है। साथ ही उन्होंने ये भी दोहराया है कि उन्हें हमें अपने बुखार के बारे में सूचित करना चाहिए था। 

वहीं एम्स ऋषिकेश के डीन डॉ यूबी मिश्रा अपने बयान में एस डायरेक्टर के दावे का खंडन करते हुए कहते हैं कि उसनेे (मरहूम डॉ नीरज सिंह) गोरखपुर से लौटने के बाद बुखार की शिकायत की थी और यहां तक ​​कि इसके लिए उसे दवा भी दी गई थी।एम्स ऋषिकेश के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर अख़बार को बताया है कि मरहूम मेडिकल इंटर्न नीरज सिंह गोरखपुर का रहने वाला था। उसे  फरवरी के दूसरे सप्ताह में कोविड वैक्सीन दिया गया और इसके दूसरे दिन से ही उसमें कॉम्प्लिकेशन पैदा होने लगे।अस्पताल के अधिकारी इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि यह टीकाकरण से संबंधित है। हालांकि संस्थान के छात्र विभिन्न व्हाट्सएप समूहों पर इस बारे में सवाल उठा रहे हैं और मामले की गंभीरता से जांच की मांग कर रहे हैं।एम्स के एक अन्य कार्यकर्ता ने उल्लेख किया कि है जब मृतक इंटर्न के परिजनों ने उसकी मौत का कारण पूछा, तो अस्पताल प्रशासन ने जवाब दिया कि वह “वायरल इंसेफेलाइटिस” से मरा है।विकलांगता अधिकार रक्षक और चिकित्सा व्यवसायी डॉ. सतेंद्र सिंह ने इस मामले में जांच की मांग करते हुए कहा है कि भले ही मौत इंसेफेलाइटिस से हुई हो, लेकिन इसकी पूरी जांच होनी चाहिए कि संक्रमण कैसे हुआ। डॉ सत्येंद्र सिंह आगे कहते हैं -” 9 फरवरी 2021 तक, कोविड वैक्सीन से 23 से अधिक मौतें हुई हैं, लेकिन उनके बारे में विवरण अभी भी बाहर नहीं आया है।”

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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