Author: प्रेम सिंह

  • सीएए, एनआरसी विरोधी आंदोलन से आशा और संभावनाएं

    सीएए, एनआरसी विरोधी आंदोलन से आशा और संभावनाएं

    कश्मीर-समस्या, मंदिर-मस्जिद विवाद, असम-समस्या (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) और नागरिकता संशोधन कानून पर सरकार के फैसलों की चार बातें स्पष्ट हैं: (1) फैसले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की नीयत से प्रेरित हैं। (2) फैसलों में लोकतांत्रिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं का इस्तेमाल भर किया गया है। (3) फैसलों में नागरिकों के प्रति एक उत्तरदायी सरकार का सरोकार नहीं झलकता।…

  • राजनीतिक पराजय के बाद की पुकार!

    राजनीतिक पराजय के बाद की पुकार!

    लेख के शीर्षक में राजनीतिक पराजय से आशय देश पर नवसाम्राज्यवादी गुलामी लादने वाली राजनीति के खिलाफ खड़ी होने वाली राजनीति की पराजय से नहीं है। वह पराजय पहले ही हो चुकी है, क्योंकि देश के लगभग तमाम समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के दावेदार नेता और बुद्धिजीवी नवसाम्राज्यवाद विरोधी राजनीति के विरोध में हैं। 1991,…

  • पुलिस छावनी में बदलते विश्वविद्यालय परिसर

    पुलिस छावनी में बदलते विश्वविद्यालय परिसर

    सत्तर के दशक के मध्य जब मैं हरियाणा के एक छोटे गांव से दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में पढ़ने आया तो कॉलेज या विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस या प्राइवेट सुरक्षा गार्ड नहीं होते थे। कॉलेज, हॉस्टल और फैकल्टी के गेट पर विश्वविद्यालय के चौकीदार होते थे जिनसे सभी छात्र-छात्राएं परिचित हो जाते थे। पूरे उत्तरी परिसर…

  • क्या जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा गांधी के नाम पर होना चाहिए?

    क्या जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा गांधी के नाम पर होना चाहिए?

    कल (1 अक्तूबर 2019) ‘हिंद स्वराज : नवसभ्यता विमर्श’ के लेखक वीरेंद्र कुमार बरनवाल के साथ कार में कुछ देर सफ़र करने का अवसर मिला। हम दोनों को दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिण परिसर जाना था, जहां उन्हें ‘गांधी और साहित्य’ विषय पर बोलना था। कई तरह की बातों के बीच चर्चा जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा…

  • कारपोरेट राजनीति के बदलाव का गांधीवादी तरीका

    कारपोरेट राजनीति के बदलाव का गांधीवादी तरीका

    लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने पर कई संजीदा साथियों ने गहरी चिंता व्यक्त की कि नरेंद्र मोदी की एक बार फिर जीत संविधान और लोकतंत्र के लिए बहुत बुरा संकेत हैं। पिछले पांच सालों के दौरान धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील साथियों से यह बात अक्सर सुनने को मिलती है कि हम बहुत बुरे समय से…

  • दिल्ली विश्वविद्यालय: क्या थमेगा मूर्ति विवाद!

    दिल्ली विश्वविद्यालय: क्या थमेगा मूर्ति विवाद!

    अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) की 30 अगस्त 2019 की रैली में हुए भाषणों से यह स्पष्ट लगता है कि 12 सितम्बर को होने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में हाल का मूर्ति-विवाद प्रमुख मुद्दा रहेगा। चुनाव परिणाम के बाद भी यह विवाद बने रहने की आशंका है। 20-21 अगस्त 2019 की देर…

  • “भारत छोड़ो आंदोलन” की विरासत की कब्र पर बन रहा है मोदी का ‘नया भारत’

    “भारत छोड़ो आंदोलन” की विरासत की कब्र पर बन रहा है मोदी का ‘नया भारत’

     9 अगस्त 2019 को अगस्त क्रांति के नाम से मशहूर और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में मील का पत्थर माने जाने वाले भारत छोड़ो आंदोलन की 77वीं सालगिरह है। भारतीय जनता की स्वतंत्रता की तीव्र इच्छा से प्रेरित इस महत्वपूर्ण आंदोलन की 75वीं सालगिरह दो साल पहले 9 अगस्त 2017 को मनाई गई…

  • लद्दाख और घाटी में भी अब पहुंच जाएगा बाजारवादी राष्ट्रवाद

    लद्दाख और घाटी में भी अब पहुंच जाएगा बाजारवादी राष्ट्रवाद

    अब जम्मू-कश्मीर का संविधान की धारा 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया है। साथ ही धारा 370 से जुड़ा आर्टिकल 35ए भी निरस्त हो गया है। फैसले के मुताबिक जम्मू-कश्मीर पूर्ण राज्य भी नहीं रहेगा। पूरा क्षेत्र दो केंद्र शासित इकाइयों – जम्मू-कश्मीर (विधानसभा सहित) और लद्दाख (विधानसभा रहित) – में…