Author: शैलेंद्र चौहान

  • जन्मदिन पर विशेष: अपने जीवनकाल में ही किंवदंती बन गए थे फिदेल

    जन्मदिन पर विशेष: अपने जीवनकाल में ही किंवदंती बन गए थे फिदेल

    फिदेल ऐलेजैंड्रो कास्त्रो रूज़ (जन्म: 13 अगस्त 1926) एक अमीर परिवार में पैदा हुए और कानून की डिग्री प्राप्त की। हवाना विश्वविद्यालय में अध्ययन करते हुए उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की और क्यूबा की राजनीति में एक चिर परिचित व्यक्ति बन गए। उनका राजनीतिक जीवन क्यूबा के राष्ट्रहित में फुल्गेंकियो बतिस्ता शासन और…

  • भारत में जन इतिहास लेखन

    भारत में जन इतिहास लेखन

    इतिहास को लेकर, वतर्मान में हो रहे बदलाव इतिहासकारों के नजरिए को किस तरह बदल देते हैं यह जानना आवश्यक है। भारत के इतिहास के बारे में जब यह विचार पैदा हुआ कि भारत का जन इतिहास लिखा जाना चाहिए तब इरफ़ान हबीब जैसे जन इतिहासकार ने इस विषय पर सुचिंतित काम शुरू किया। उनका…

  • जयंती पर विशेष: प्रेमचंद की दृष्टि में मध्यवर्ग और किसान

    जयंती पर विशेष: प्रेमचंद की दृष्टि में मध्यवर्ग और किसान

    सामान्यत: यह माना जाता है कि मध्य वर्ग की किसी भी आंदोलन, क्रांति और विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। मध्यवर्ग का एक हिस्सा शासन का पैरोकार और दूसरा हिस्सा आंदोलनों की आवश्यकता का हिमायती होता है। यह दूसरा हिस्सा वैचारिक परिस्थितियों का निर्माण करने में तो अपनी भूमिका का निर्वाह करता है पर आंदोलन…

  • भारत में फैलती जा रही है भ्रष्टाचार की विषबेल

    भारत में फैलती जा रही है भ्रष्टाचार की विषबेल

    वर्ष की शुरुआत में ट्रांस्पेरेन्सी इंटरनेशनल द्वारा जारी करप्शन पर्सेप्शन्स इंडेक्स- 2020 में भारत को 180 देशों की सूची में 86वें पायदान पर रखा गया है। गौरतलब है कि हर साल दुनिया भर में भ्रष्टाचार की स्थिति को बताने वाला यह इंडेक्स ट्रांस्पेरेन्सी इंटरनेशनल द्वारा जारी किया जाता है। इस इंडेक्स में भारत को कुल 40 अंक…

  • 400 से ज्यादा नेताओं, बुद्धिजीवियों और एक्टिविस्टों ने क्यूबा से प्रतिबंध हटाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति को लिखा पत्र

    400 से ज्यादा नेताओं, बुद्धिजीवियों और एक्टिविस्टों ने क्यूबा से प्रतिबंध हटाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति को लिखा पत्र

    (कोरोना और ऊपर से अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते क्यूबा की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गयी है। नागिरकों में भी उसके खिलाफ विक्षोभ देखा जा रहा है। इसी का नतीजा था कि पिछले दिनों कुछ जगहों पर लोगों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किए। लेकिन इन प्रदर्शनों को पश्चिमी मीडिया ने कुछ इस तरह…

  • भारतीय ग्रामीण पारंपरिक रंगमंच के पुरोधा थे बादल सरकार

    भारतीय ग्रामीण पारंपरिक रंगमंच के पुरोधा थे बादल सरकार

    बादल सरकार उर्फ सुधीन्द्र सरकार का जन्म 15 जुलाई, 1925 को कोलकाता के एक ईसाई परिवार में हुआ। पिता महेन्द्र लाल सरकार ‘स्कॉटिश चर्च कॉलेज’ में पढ़ाते थे और विदेशियों द्वारा संचालित इस संस्था के वे पहले भारतीय प्रधानाचार्य बने थे। मां, सरलमना सरकार से बादल सरकार को साहित्य की प्रेरणा मिली। 1941 में प्रथम…

  • हिंदुत्व की भ्रामक अवधारणा के बरक्स विवेकवादी परंपरा

    हिंदुत्व की भ्रामक अवधारणा के बरक्स विवेकवादी परंपरा

    भारत की विवेकवादी परंपरा में लोकायत प्राचीनतम परंपराओं में से एक है जिसे तांत्रिक बौद्ध और वेदांती हिंदुत्व के अनुयायियों द्वारा बहुत बदनाम किया गया है और बड़ा नुकसान पहुंचाया गया। संसार के प्रति इनका दृष्टिकोण अपने समय के अनुसार वैज्ञानिक था और वे नास्तिक कहलाते थे। उनका न तो पुनर्जन्म में विश्वास था और…

  • क्यूबा में विरोध प्रदर्शनों के पीछे अमेरिका का हाथ

    क्यूबा में विरोध प्रदर्शनों के पीछे अमेरिका का हाथ

    रविवार 11 जुलाई को क्यूबा की राजधानी हवाना में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर सरकार का विरोध करने के लिए उतरे, जो दशकों में कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा संचालित द्वीप पर सबसे बड़ा सरकार विरोधी प्रदर्शन था। सुरक्षाबलों की भारी मौजूदगी के बीच लोगों ने शहर के कई हिस्सों में प्रदर्शन किए। इस दौरान पुलिस…

  • भारत में मानव अपशिष्ट निष्पादन एक गंभीर समस्या

    भारत में मानव अपशिष्ट निष्पादन एक गंभीर समस्या

    अगर हम शहरी स्वच्छता की बात करें तो इस मामले में प्रमुख चुनौती है समस्या की विराटता की अनदेखी। शहरी स्वच्छता की चुनौतियां कई तरह की हैं और इसकी उपेक्षा करना स्वच्छता के मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन पीछे करने जैसा होगा। सुरक्षित स्वच्छता सुविधाओं के अभाव में रहने वाली बड़ी आबादी के कारण विश्व…

  • जन्मदिन पर विशेष: अपने समय के अनूठे कथाकार पं चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’

    जन्मदिन पर विशेष: अपने समय के अनूठे कथाकार पं चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’

    कहा जा सकता है जिन दिनों हिंदी कहानी घुटनों के बल सरक रही थी तब चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की मात्र तीन कहानियां पांव के बल चलकर चौकड़ी भरने में समर्थ थीं। हिंदी कथा जगत में गुलेरी जी मात्र तीन कहानियां लिखकर अमर हो गए। उनकी कहानी ‘उसने कहा था’ आज भी उतनी ही प्रासंगिक है…