Author: विजय शंकर सिंह

  • मोदी अर्थव्यवस्था की अर्थी ढोएंगे या ढूंढेंगे कोई इलाज?

    मोदी अर्थव्यवस्था की अर्थी ढोएंगे या ढूंढेंगे कोई इलाज?

    सरकार ने 31 अगस्त को, जीडीपी के आंकड़े जारी कर दिए, जिसमें यह नकारात्मक रूप से 23.9 फ़ीसदी यानी माइनस 23.9% है। इस गिरावट को ऐतिहासिक और भारतीय अर्थव्यवस्था में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट माना जा रहा है। सरकार ने इसका प्रमुख कारण कोरोना महामारी के कारण लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन को बताया…

  • ‘एक्ट ऑफ गॉड’ नहीं जनाब, ये ‘एक्ट ऑफ सरकार’ है!

    ‘एक्ट ऑफ गॉड’ नहीं जनाब, ये ‘एक्ट ऑफ सरकार’ है!

    जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद मीडिया से वित्तमंत्री ने कहा, “देश की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के रूप में सामने आए असाधारण ‘एक्ट ऑफ गॉड’ का सामना कर रही है, जिसकी वजह से इस साल अर्थव्यवस्था के विकास की दर सिकुड़ सकती है।” वित्त मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, जीएसटी क्षतिपूर्ति अंतर 2.35 लाख करोड़…

  • रेल, जहाज, स्कूल अस्पताल के बाद अब जंगलों का भी निजीकरण!

    रेल, जहाज, स्कूल अस्पताल के बाद अब जंगलों का भी निजीकरण!

    रेल, जहाज, स्कूल, अस्पताल के बाद देश के जंगल भी बिकेंगे। यह सोच है, देश के सबसे बड़े और प्रभावी थिंक टैंक नीती (एनआइटीआई) आयोग की। 2014 के बाद योजना आयोग को भंग कर बड़े जोर-शोर से देश का आर्थिक कायाकल्प करने के इरादे से, नीती आयोग का गठन हुआ था। पर देश के कायाकल्प…

  • सुप्रीम कोर्ट, माफी का आग्रह और महात्मा गांधी

    सुप्रीम कोर्ट, माफी का आग्रह और महात्मा गांधी

    ट्वीट से ‘न्यायपालिका की चूलें हिल गई हैं,’ ऐसा माननीय न्यायमूर्तियों ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी ठहराते हुए कहा था। भारतीय न्यायपालिका के ऊपर कभी केरल हाई कोर्ट के एक समारोह में बोलते हुए देश के प्रसिद्ध कानूनविद् और जज जस्टिस कृष्ण अय्यर ने जो कहा था, अब उसे पढ़ें।…

  • न्यायपालिका में आयी सड़न का आखिर क्या है निदान?

    न्यायपालिका में आयी सड़न का आखिर क्या है निदान?

    लोकतंत्र को खतरा, सवाल उठाने से नहीं सवालों पर चुप्पी और मूल मुद्दों को नजरअंदाज करने से है। सुप्रीम कोर्ट ने ही कभी कहा था, “लोकतंत्र को बड़ा खतरा, लोक विमर्श को हतोत्साहित करने से है। जो विचार और सिद्धांत समाज के लिये हानिकारक हैं उनसे वैचारिक बहस से ही लड़ा जाना चाहिए।”प्रशांत भूषण के…

  • प्रशांत भूषण एक निडर व्यक्ति हैं: राजमोहन गांधी

    प्रशांत भूषण एक निडर व्यक्ति हैं: राजमोहन गांधी

    प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना का मामला, अब केवल अवमानना का ही मामला नही रह गया है। सच कहें तो इस अवमानना के मामले में अदालत अपनी सुनवाई पूरी कर चुकी है और अब वह सज़ा के ऊपर विचार कर रही है। एक मुकदमे के रूप में इस मामले में बस सज़ा की घोषणा होनी…

  • प्रशांत नहीं, अब कठघरे में खड़ी है अदालत

    प्रशांत नहीं, अब कठघरे में खड़ी है अदालत

    प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में और जटिलता आ गयी है। कानून को कानूनी तरह से ही लागू किया जा सकता है न कि कानून के इतर तरीके से। अदालत मुल्ज़िम से कह रही है कि खेद व्यक्त कीजिए और कुछ समय हम दे रहे हैं उस पर पुनर्विचार कीजिए। मुल्ज़िम का कहना है…

  • कानून के जानकारों ने कहा- प्रशांत भूषण के अवमानना फैसले में गंभीर कानूनी खामियां

    कानून के जानकारों ने कहा- प्रशांत भूषण के अवमानना फैसले में गंभीर कानूनी खामियां

    प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में जस्टिस अरुण मिश्र की बेंच ने जो फैसला दिया है, उसकी न्यायिक समीक्षा, क़ानून के जानकारों द्वारा की जा रही है। अगर कोई और अवमानना मामला होता तो न शायद इतनी चर्चा होती और न ही मीडिया या सोशल मीडिया कवरेज मिलता। पर अवमानना करने वाला सुप्रीम कोर्ट…

  • मौजूदा और आपातकाल के दौर को छोड़ दें तो शेष में गौरवशाली रहा है न्यायपालिका का इतिहास

    मौजूदा और आपातकाल के दौर को छोड़ दें तो शेष में गौरवशाली रहा है न्यायपालिका का इतिहास

    एक जमाना न्यायिक सक्रियता का हुआ करता था। सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट, जनहित के मुद्दे पर मुखर और आक्रामक थे। आज भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। एक जनहित याचिका अदालत में दायर होती है, जब उस पर अदालत का निर्णय आता है और सरकार उस पर कार्यवाही करने को बाध्य हो जाती है। जनहित…

  • सुप्रीम कोर्ट के ही हितों के खिलाफ खड़ा हो गया है उसका मौजूदा नेतृत्व

    सुप्रीम कोर्ट के ही हितों के खिलाफ खड़ा हो गया है उसका मौजूदा नेतृत्व

    प्रशांत भूषण के ट्वीट को पढ़िए तो उसमें न्यायपालिका से एक शिकायत का भाव है, और वह भाव इसलिए है कि न्यायपालिका, आज जब सारी संवैधानिक संस्थाओं का क्षरण होता दिख रहा है और वे सत्ता के अहंकारी, ढीठ, उद्दंड और उन्मत्त सागर में डूबती उतराती हुई प्रतीत हो रही है तो सुप्रीम कोर्ट का…