दिल्ली-एनसीआर में आसमान में छाई धुंध, वायु गुणवत्ता खतरे के निशान से ऊपर

नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में दिवाली से पहले आसमान में छाई धुंध लोगों के स्वास्थ्य को लेकर एक चिंताजनक परिस्थिति पैदा कर दी है। कांग्रेस ने शुक्रवार को देश में बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की और वायु प्रदूषण अधिनियम और वायु गुणवत्ता मानकों को सख्त और प्रभावी बनाने के लिए उनमें पूर्ण सुधार का आह्वान किया। यह मांग राष्ट्रीय राजधानी और देश के अन्य हिस्सों में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच आई है।

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने को भी मानते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के आंकड़ों के अनुसार पंजाब में बुधवार को फसल अवशेष जलाने की 1,921 घटनाएं देखी गईं, लगातार चौथे दिन यह संख्या 1,000 से अधिक थी।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बताया कि वायु प्रदूषण नियंत्रण और रोकथाम अधिनियम 1981 में अस्तित्व में आया। उसके बाद, 1994 अप्रैल में परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों की घोषणा की गई और फिर उसे 1998 अक्टूबर में संशोधित किया गया।  

नवंबर 2009 में, आईआईटी कानपुर और अन्य संस्थानों द्वारा गहन समीक्षा के बाद एक दृढ़ और व्यापक राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) लागू किया गया था। उन्होंने एनएएक्यूएस के कार्यान्वयन के साथ आए प्रेस नोट को साझा करते हुए कहा कि इसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक माने जाने वाले 12 प्रदूषकों को शामिल किया गया है, जो उस समय हुए महत्वपूर्ण बदलाव की सोच को उजागर करता है।

रमेश ने कहा कि “अब समय आ गया है कि अधिनियम और एनएएक्यूएस दोनों पर फिर से विचार कर और इसमें संपूर्ण सुधार किया जाए। पिछले एक दशक और उससे भी अधिक समय में, सार्वजनिक स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभावों पर ठोस सबूत जमा हुए हैं।”

रमेश ने कहा कि “तब से राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की कमजोरी के साथ-साथ कानून और मानकों दोनों की हमारी प्रवर्तन मशीनरी की कमजोरियां शर्मनाक रूप से स्पष्ट हो गई हैं।”

कांग्रेस नेता ने कहा कि “राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम बिना किसी विशेष प्रभाव के तेजी से आगे बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण ज्यादातर नवंबर में सुर्खियों में आता है, जब देश की राजधानी जाम हो जाती है। लेकिन यह पूरे साल पूरे देश में एक दैनिक पीड़ा है।”

दिल्ली की वायु गुणवत्ता शुक्रवार की सुबह ‘तीव्र बढ़ोतरी’ श्रेणी में पहंच गई। एक ऐसा चरण जब सभी आपातकालीन उपाय, प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों, वाणिज्यिक चार पहिया वाहनों और सभी प्रकार के निर्माण पर प्रतिबंध सहित, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पहल करना और लागू करना अनिवार्य है।

इस तरह की मांग देश में पहले भी उठ चुकी है लेकिन सवाल है कि कोई इस विषय को गंभीरता से क्यों नहीं लेता है। 2021 के दौरान भारत में अनुमानित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की जनसंख्या 71 मिलियन से अधिक से अधिक है और दिल्ली में लगभग 20 मिलियन लोग रहते हैं। शहर में प्रदूषण, वायु की गुणवत्ता सीधे तौर पर अनुमानित 91 मिलियन लोगों को प्रभावित कर रही है, और बावजूद इसके प्रदेश में प्रदूषण और वायु गुणवत्ता घटने की जगह बढ़ता ही जा रहा है।

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