जलवायु न्याय की मांग लेकर हजारों लोग ग्लासगो में सड़कों पर उतरे

दुनिया भर के हजारों जलवायु कार्यकर्ता और सजग नागरिक जलवायु न्याय की मांग और धरती पर जीवन को बचाने के लिये, भविष्य के लिये कल स्कॉटलैंड की राजधानी ग्लासगो की सड़कों पर उतरे, जहां संयुक्त राष्ट्र की जलवायु वार्ता चल रही है। प्रदर्शन के दौरान जलवायु न्याय की मांग दोहराई गयी।

पोप फ्रांसिस ने COP26 (United Nations Climate Change Conference) पर अपील करते हुये कहा है कि – “आइए हम अपने कॉमन होम की देखभाल करें, और अपने लिए भी, संघर्ष के बीज को खत्म करने की कोशिश करें। लालच, उदासीनता, अज्ञानता, भय, अन्याय, असुरक्षा और हिंसा, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मानवता के पास इतने साधन पहले कभी नहीं थे।

ग्रेटा थर्नबर्ग ने कहा दिखावे का मंच

“विश्व नेताओं के लिए समिट एक ऐसा मंच बन गया जहां वे इस बात का दिखावा कर सकें कि जलवायु परिवर्तन के लिए वे कार्रवाई कर रहे हैं। वास्तव में जो हमारी ज़रूरत है उससे हम काफी दूर हैं, मुझे लगता है कि यदि लोग इस COP26 की असफलता को महसूस कर लें वही सफलता होगी।”  

उपरोक्त बातें जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने ग्लासगो में चल रही संयुक्त राष्ट्र की जलवायु वार्ता अभी तक ‘विफल’ बताते हुये कही है। उन्होंने विश्व नेताओं पर नियमों में जानबूझ कर ख़ामियां छोड़ने का आरोप लगाया है। बता दें कि ग्लासगो में न्यूयार्क टाइम्स क्लाइमेट हब के मंच पर गुरुवार को पैनल इवेंट में ग्रेटा व वेनेसा नकाटे और मलाला युसुफजई  समेत कई अन्य महिलाएं शामिल हुई।

सम्मेलन स्थल के बाहर एक रैली में जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने गैर – बाध्यकारी संकल्पों के बजाय प्रदूषण करने वालों पर नकेल कसने के लिए सख्त नियमों को वैश्विक स्तर पर लागू करने का आह्वान किया।

जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने आगे कहा है कि – “विश्व के नेता निश्चित तौर पर सच्चाई से डरते हैं, फिर भी वे कितनी भी कोशिश कर लें, वे इससे बच नहीं सकते हैं। वे वैज्ञानिक सहमति को नजरअंदाज नहीं कर सकते और वे हम लोगों को अनदेखा नहीं कर सकते, जिनमें उनके अपने बच्चे भी शामिल हैं।”

बता दें कि स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर चल रहे संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में विरोध करने का फैसला कर लिया है। इसके लिए आह्वान करते हुए उन्होंने ट्वीट भी किया था। ग्रेटा थनबर्ग ने लिखा, समय समाप्त हो रहा है। COP26 जैसे सम्मेलनों से परिवर्तन तब तक नहीं आएगा जब तक कि इन पर बाहर से कोई बड़ा सार्वजनिक दबाव न हो।

उन्होंने कल शुक्रवार (केल्विंग्रोव पार्क 11 पूर्वाह्न) और शनिवार (11.30 बजे) को जलवायु मार्च हड़ताल में शामिल होने और अपनी आवाज़ बुलंद करने की भी अपील की थी।

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