परीक्षा महाघोटालों के खिलाफ न्याय-युद्ध लड़ रहे युवाओं का समर्थन करिए!

लाल बहादुर सिंह

उन युवाओं की पीड़ा का अंदाजा लगाइये जिन्हें कालेज से लेकर कोचिंग तक यातनादायी तैयारी के बाद परीक्षा देकर निकलने पर पता चलता है कि पेपर तो पहले से ही लीक था- फिर वह परीक्षा सीबीएसई की हो या एसएससी की !

उन युवाओं और उनके अभागे मां-बाप की हताशा का अंदाजा लगाइये जिन्हें भयावह बेरोज़गारी के इस दौर में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में कोचिंगों पर लाखों खर्च करने के बाद परीक्षा देकर निकलने पर पता लगता है कि नौकरियां तो पहले ही बिक चुकी हैं! ये वही युवा हैं, चार साल पहले चांद देने का जिनसे वायदा था- 2 करोड़ रोजगार हर साल और न जाने क्या क्या ! उन्हें भ्रष्टाचारमुक्त खुशहाल भारत का सपना बेचा गया। 

4 साल बाद वे सारे सपने दुःस्वप्न में बदल चुके हैं! आंकड़े बता रहे कि न सिर्फ नया रोजगार सृजन नहीं हुआ वरन पहले से मौजूद रोजगार भी सिकुड़ गया। अर्थशास्त्रियों के अनुसार यह जाबलेस ग्रोथ से आगे जॉब डेस्ट्रोयिंग ग्रोथ मॉडल है!

देश को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने का वायदा करनेवाले युवाओं को भ्रष्टाचारमुक्त परीक्षाएं भी न दे सके !

भ्रष्टाचारविरोधी राष्ट्रीय आंदोलन की लहर पर सवार होकर सत्ता कब्ज़ा करने वालों के राज में न सिर्फ देश लुट गया, नौजवानों की नौकरियां भी लूट ली गईं!

डेमोग्राफिक डिविडेंड आज डेमोग्राफिक डिसैस्टर में तब्दील हो गया है, इसीलिए रोजगार मांगते नौजवानों के हाथ में त्रिशूल और तलवार पकड़ाई जा रही है ! बहरहाल, नौजवान अपने रोजगार और शिक्षा के सवाल पर डटे हुए हैं। देश की सभी राजधानियों, विश्वविद्यालयों, कालेजों में वे लाठियां खा रहे हैं। लेकिन अब वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं क्योंकि मैदान छोड़ने का विकल्प अब उनके पास बचा ही नहीं है! They are pushed to the wall. अब यह उनके अस्तित्व की लड़ाई है!

उनकी आवाज़ में आवाज़ मिलाइये, उनके कदम से कदम मिलाइये!

युवा पीढ़ी हमारा भविष्य है, वही इस देश का भविष्य बचाएगी!

उनकी लड़ाई का पुरज़ोर समर्थन करिये, फासीवाद और लोकतंत्र के बीच की फैसलाकुन जंग उनके दम पर ही जीती जाएगी।

(लाल बहादुर सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं। और आजकल लखनऊ में रहते हैं।)

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