नई दिल्ली। शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ आज दिल्ली में एक मार्च निकाला गया। मार्च फॉर एजुकेशन के बैनर के तहत हुए इस कार्यक्रम में एक हजार से ज्यादा छात्रों और शिक्षकों ने हिस्सा लिया। डूटा और फेडरेशन ऑफ सेंट्रल यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन जैसे शिक्षक संगठनों की अगुवाई में निकाले गए इस मार्च में आइसा और एनएसयूआई के छात्रों ने भी शिरकत की। मार्च की सबसे खास बात ये रही है कि इसमें दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया भी शामिल हुए।
मंडी हाउस से संसद मार्ग तक निकाले गए इस जुलूस में लोग शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे थे। उन्होंने एक सुर में सरकार की शिक्षा को बेचने की नीति की आलोचना की। वक्ताओं ने कहा कि स्वायत्तता के नाम पर विश्वविद्यालयों का निजीकरण किया जा रहा है। इसकी छात्र और शिक्षक कतई इजाजत नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि 62 विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता देने का सरकार का फैसला उन्हें शिक्षा की दुकानों में तब्दील करने की कोशिश का हिस्सा है। और इसे किसी भी कीमत पर नहीं सफल होने दिया जाएगा। गौरतलब है कि हाल में स्वायत्त किए गए विश्वविद्यालयों में जेएनयू, अलीगढ़, बीएचयू, यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद तथा इंग्लिश एंड फारेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी, तेलंगाना शामिल हैं।
डूटा के नेताओं ने कहा कि “हम शिक्षक के तौर पर छात्रों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। संगठन अपने सदस्यों से अपील करता है कि वो इस तरह के तरीके अपनाएं जिससे हड़ताल के चलते छात्रों की शिक्षा प्रभावित न होने पाए। विश्वविद्यालय समुदाय के सभी हिस्सों की ये सामूहिक लड़ाई है और छात्रों की भागीदारी के बढ़ने का मतलब होगा इसकी ताकत में बढ़ोतरी।”
कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी के लोग भी शामिल हुए। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपनी बात रखी तथा शिक्षकों और छात्रों को हर तरह के सहयोग का भरोसा दिलाया।
इसके अलावा बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तजेस्वी यादव ने भी छात्रों-शिक्षकों के इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया।