किसानों का अल्टीमेटम! दोषी अफसर के खिलाफ हो एफआईआर, वरना होगी 6 सितंबर से करनाल मिनी सचिवालय की घेराबंदी

नई दिल्ली। हरियाणा में, घटनाओं के एक अपेक्षित मोड़ में, अब उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला 28 अगस्त 2021 को करनाल में हुई हिंसक पुलिस कार्रवाई, जिसके बाद विरोध कर रहे किसानों में से एक सुशील काजल ने दम तोड़ दिया और उनकी शहादत  हो गई, का बचाव कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे बेहद शर्मनाक करार दिया है। साथ ही उसने इसकी निंदा की है।

एसकेएम की मांग है कि एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया जाए, विरोध कर रहे किसानों पर जानलेवा हमले में शामिल सभी दोषी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें तत्काल बर्खास्त किया जाए, और शहीद किसान सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपये और घटना में घायल हुए किसानों को दो-दो लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। इसके साथ ही उनका कहना है कि हरियाणा पुलिस सभी किसानों के खिलाफ दर्ज सभी फर्जी मामलों को अविलम्ब वापस ले। यह फैसला कल करनाल के घरौंदा में किसानों की एक बड़ी सभा में लिया गया। उपरोक्त मांगों को पूरा करने के लिए प्रशासन को 6 सितंबर 2021 की समय सीमा दी गई है, जिसके बाद किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि वे करनाल में छोटे सचिवालय की अनिश्चितकालीन घेराबंदी करेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने, करनाल पुलिस की बर्बरता के विरोध में शनिवार को अंबाला के शहजादपुर पुलिस स्टेशन में गुरनाम सिंह चढूनी और अन्य किसानों के खिलाफ राजमार्ग जाम करने को लेकर हरियाणा पुलिस द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम और आईपीसी 109, 265 और 283 के तहत दर्ज मामलों के निंदा करते हुए, दर्ज मामलों को तत्काल वापस लेने की मांग की है।

इस बीच खबर है कि भाजपा नेताओं का अलग-अलग राज्यों में विरोध जारी है। उत्तर प्रदेश में खतौली निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा विधायक विक्रम सिंह सैनी को कल मीरापुर दलपत पहुंचने पर काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ा। पंजाब के फाजिल्का में भाजपा के सुरजीत कुमार ज्ञानी को आज किसानों के काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ा।

हरियाणा में भाजपा-जजपा सरकार की पुलिस बर्बरता का न केवल हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में बल्कि कई अन्य राज्यों में भी किसानों के द्वारा स्वतः विरोध और निंदा की जा रही है। इन राज्यों में विभिन्न स्थानों पर विरोध कर रहे किसानों के द्वारा राजमार्ग जाम किया गया। यह गुस्से की गूंज बिहार, झारखंड, ओडिशा और मध्य प्रदेश जैसे सुदूर राज्यों में भी दिखलाई पड़ी। हरियाणा सरकार के क्रूर किसान विरोधी दमन के खिलाफ कई राज्य के मुख्यमंत्रियों ने भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर सहित हरियाणा राज्य सरकार के अन्य मंत्रियों का बयान, कि किसानों के विरोध के पीछे पंजाब सरकार है, किसानों का एक और अपमान है। राज्य सरकार के मंत्री भी पंजाब और यूपी के किसान नेताओं पर हरियाणा के किसानों को भड़काने का आरोप लगा रहे हैं। एसकेएम ने कहा कि सीएम और उनके मंत्री अपने जोखिम पर हरियाणा के किसानों के गुस्से और संकल्प को नजरअंदाज कर रहे हैं। एसकेएम ने इन नेताओं को राज्य भर में किसानों को विभाजित करने की कोशिश के खिलाफ चेतावनी दी और कहा कि किसान एकजुट हैं और इस तरह की रणनीति के आगे नहीं झुकेंगे।

उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में कई बैठकें आयोजित की जा रही हैं, जहां ग्रामीण उत्साहपूर्वक 5 सितंबर को होने वाले मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत में अपनी भागीदारी की योजना बना रहे हैं। यह संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा मिशन यूपी और उत्तराखंड के क्रम में किया जा रहा है। हाथरस जिले के सादाबाद में आज हजारों की संख्या में किसानों की भारी संख्या इसका एक संकेत है। इसके अलावा गांव स्तर की बैठकों में भी किसान भारी संख्या में जमा हो रहे हैं। इस बीच, घबराई भाजपा के गुंडों ने 5 सितंबर से पहले राज्य में किसान नेताओं को डराना-धमकाना शुरू कर दिया है। आज सुबह ऐसे ही भाजपा के गुंडों के एक गुट ने अलीगढ़ में एक किसान नेता पर हमला करने की कोशिश की। एसकेएम ने भाजपा-आरएसएस कार्यकर्ताओं को यह घटिया रणनीति अपनाने के खिलाफ चेतावनी दी है।

(संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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