दिल्ली के अस्पतालों में स्वास्थ्य-कर्मियों का उत्पीड़न, कर्मचारियों ने लिया मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प

नई दिल्ली। ऐक्टू से संबद्ध विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों की सक्रिय यूनियनों ने आज स्वास्थ्य कर्मचारियों की आमसभा का आयोजन किया। कार्यक्रम में दिल्ली के प्रमुख अस्पतालों/संस्थानों जैसे डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, कलावती सरन अस्पताल, राजकुमारी अमृत कौर कॉलेज ऑफ नर्सिंग, NITRD इत्यादि से कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।

गरीबों के साथ गद्दारी है जन–स्वास्थ्य संस्थानों का निजीकरण

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए ऐक्टू दिल्ली राज्य कमिटी के अध्यक्ष संतोष राय ने कहा कि जिस प्रकार से मोदी सरकार जन–स्वास्थ्य संस्थानों का निजीकरण करने पर आतुर है, जल्द ही देश की जनता के लिए प्राथमिक उपचार भी मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने अपनी बात रखते हुए बताया कि जिस देश में पूरी स्वास्थ्य प्रणाली पहले से ही चरमराई हुई है, उस देश में नए और पुराने स्वास्थ्य संस्थानों में पक्की भर्ती की जगह ठेके पर कर्मचारी लिए जा रहे हैं और जन–स्वास्थ्य प्रणाली को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है–इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं हो सकता। मोदी सरकार के बड़े–बड़े वादों का खुलासा कोरोना महामारी के दौरान सबके सामने पहले ही हो चुका है।

अस्पतालों में सालों से कार्यरत स्वास्थ्य कर्मचारियों की छंटनी

गौरतलब है कि आज की आमसभा में आए स्वास्थ्य कर्मचारियों में कई ऐसे कर्मचारी मौजूद रहे जिन्हें कोरोना–काल के दौरान गैरकानूनी छंटनी का सामना करना पड़ा। कलावती सरन अस्पताल कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी यूनियन (ऐक्टू) के महासचिव सेवक राम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कलावती सरन अस्पताल में कार्यरत कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों से स्वास्थ्य मंत्रालय और अस्पताल प्रबंधन अवैध वसूली कर रहे हैं।

हर बार कॉन्ट्रैक्ट बदलने पर ठेका कर्मचारियों से घूस मांगी जाती है और यूनियन बनाने वाले कर्मचारियों की छंटनी कर दी जाती है। पिछले लगभग दो साल से दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद कलावती सरन अस्पताल ने सालों से काम कर रहे कोरोना योद्धाओं को काम से निकाल दिया है। यूनियन से ही जुड़े एक अन्य कर्मचारी ने बताया कि हमारा संघर्ष सभी मजदूरों के अंदर जाने तक लगातार जारी रहेगा।

भाजपा कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्रालय बन चुका है लूट का अड्डा

ऐक्टू के राज्य सचिव सूर्य प्रकाश ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित शायद ही कोई अस्पताल होगा जो कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के बिना चल सकता हो। लाखों की संख्या में आम जनता इन अस्पतालों पर अपनी स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए निर्भर है परंतु इन अस्पतालों में सालों से काम कर रहे कोरोना योद्धाओं के बारे में केंद्र सरकार कुछ भी नहीं सोच रही। इन्हें पक्का करना तो दूर, इनसे कॉन्ट्रैक्ट की नौकरी भी छीनी जा रही है।

आज भी डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, कलावती सरन अस्पताल, राजकुमारी अमृत कौर कॉलेज ऑफ नर्सिंग समेत कई अन्य संस्थानों के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी अपनी मांगों के लिए संघर्षरत हैं। किसी भी संस्थान में श्रम कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा है। भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय को घूस और लूट–खसोट का अड्डा बना दिया है।

कार्यक्रम के अंत में सभी कर्मचारियों ने एक स्वर में मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया और आनेवाले दिनों में स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के बीच संघर्ष को मजबूत करने की बात कही।

(जनचौक की रिपोर्ट)

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