राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन योजना के खिलाफ रेलवे कर्मचारियों का 19 सितंबर से अभियान

केन्द्र सरकार की राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना के सम्बंध में इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन IREF आईआरईएफ के केन्द्रीय कार्यकारणी सदस्यों की कल वर्चुअल मीटिंग हुई, जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के रेलवे समेत देश की परिसंपत्तियों को निजी हाथों में देने के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा गया कि रेलवे को बेचने के किसी भी प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया जाएगा। 

बैठक में सर्वजीत सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार की राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना देश में फिर से कम्पनी राज स्थापित करने का षड्यंत्र है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार का देश की परिसम्पत्तियों का सिर्फ छह लाख करोड़ में मुद्रीकरण करना न केवल देश में कंपनी राज को स्थापित करना है बल्कि जनता के साथ धोखा भी है। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए शहादत देने वाले हजारों शहीदों का अपमान है।

उल्लेखनीय है कि गत दिनों केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) योजना की घोषणा की गयी जिसमें मुख्यतः रेलवे के 40 रेलवे स्टेशन, 90 यात्री गाड़ियां, 15 स्टेडियम, असंख्य रेलवे कॉलोनियां, गुड्स शेड, मालगाड़ी के गलियारे, 25 हवाई अड्डे, सड़कें, कारखाने आदि बहुत ही सम्पत्तियों को चिह्नित किया गया है, जिसकी मौद्रिक वैल्यू मात्र छह लाख करोड़ बताई गई है, जबकि इसकी कीमत बहुत ज्यादा है, ये परिसंपत्तियां देश का बुनियादी ढांचा है जिसको देश के लोगों ने कई दशकों की कड़ी मेहनत एवं करोड़ों रुपये खर्च करके विकसित किया है। देश का जो चहुमुखी विकास संभव हो पाया है इसमें इन परिसंपत्तियों का महत्वपूर्ण योगदान है। इंडियन रेलवे एंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव सर्वजीत सिंह ने कहा कि रेलवे की परिसंपत्तियों को मुद्रीकरण कर देशी-विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हाथों में सौंपा जाता है तो इससे यात्री किराए एवं माल भाड़े की दरों में बेतहाशा वृद्धि होगी, देश की जनता का देशी-विदेशी कम्पनियां शोषण करेंगी।

माल भाड़े की दरों में सैकड़ों गुना वृद्धि होगी, इससे वस्तुओं की कीमत बढ़ेगी, देश में मंहगाई बढ़ जाएगी, क्योंकि निजी कम्पनियों का एकमात्र लक्ष्य मुनाफा कमाना होता है। भारत एक कल्याणकारी राज्य है, इसलिए रेलवे देश के लोगों को सस्ती सुगम यात्रा एवं माल ढोने की सुविधाएं “नो प्रॉफिट नो लॉस” के आधार पर उपलब्ध करवाती है।

ऑनलाइन वर्चुअल मीटिंग की अध्यक्षता आईआरईएफ़ के का. रवि सेन ने की।वर्चुअल मीटिंग में नार्थ सेंट्रल रेलवे वर्कर्स यूनियन के केंद्रीय महामंत्री मनोज पाण्डेय, केंद्रीय कोषाध्यक्ष संजय तिवारी व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. कमल उसरी शामिल हुये। 

मीटिंग में शामिल अलग-अलग रेलवे के पदाधिकारियों ने कहा कि इससे भारतीय रेल के ढांचे में देशी-विदेशी कम्पनियों का सीधा प्रवेश देश की आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा के लिए भी गम्भीर खतरा पैदा कर सकता है, देशी-विदेशी कम्पनियां रेलवे के संसाधनों का व मुनाफ़े का दोहन करेंगी। स्टेडियमों को निजी हाथों में देना बहुत बड़ा षड्यंत्र है, रेलवे ने देश को असंख्य ओलिम्पिक खिलाड़ी दिए जिन्होंने देश का नाम रौशन किया है। निजी कम्पनियां खिलाड़ियों का भी शोषण करेंगी, खेल स्टेडियमों के निजीकरण से खेल प्रतिभाओं का विकास रुक जाएगा। 

डॉ. कमल उसरी व अमरीक सिंह ने कहा कि आईआरईएफ केन्द्र सरकार की राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना को देश में फिर से कम्पनी राज स्थापित करने का षड्यंत्र मानती है, इसलिए हम केन्द्र सरकार के राष्ट्रीय परिसम्पत्तियों के मुद्रीकरण कर निजी कंपनियों को देने के फैसले के ख़िलाफ़ समस्त रेलवे में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन करते हुए 19 सितंबर, 2021 से 28 सितंबर, 2021 तक महाअभियान चलाएंगे, वह सरकार की राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना के खिलाफ देश भर के मज़दूरों, किसानों, बुद्धिजीवियों, युवाओं, विद्यार्थियों एवं महिलाओं को लामबंद कर बड़े आन्दोलन की ओर ले जाएंगे। 

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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