बीएचयू में भूख हड़ताल पर बैठे कई छात्र-छात्राओं की हालत खराब

वाराणसी। बीएचयू में जारी छात्र-छात्राओं की भूख हड़ताल चौथे दिन भी जारी रही। कुछ आंदोलनकारियों की हालत लगातार खराब हो रही है। एक छात्र के अस्पताल में भर्ती किए जाने के बाद जिला प्रशासन की ओर से भेजी गयी एक मेडिकल टीम ने हड़ताल स्थल का दौरा किया। उसने बाकी 4 हड़तालियों के स्वास्थ्य की जांच की। जांच के बाद पता चला कि एक अन्य छात्र की सेहत ज्यादा खराब हो गयी है। टीम ने उसके लिए कुछ दवाइयां लिख दी हैं।

हालांकि कुछ छात्र-छात्राओं ने बीएचयू प्रशासन के निरंकुश रवैये के विरोध में मेडिकल जांच का बहिष्कार भी किया। इस बीच, आज शाम को  प्रशासन की तरफ से दो प्रोफेसर आये थे लेकिन किसी भी तरह की सहानुभूति या सद्भावपूर्ण रुख दिखाने की जगह उनका रवैया बेहद तानाशाही भरा था। दोनों शिक्षक छात्रों का पक्ष सुने बगैर वहां से चले गए। इस रुख के बाद छात्र-छात्राओं ने प्रशासन के खिलाफ जम कर नारेबाजी की।

सभी छात्र-छात्राओं ने निर्णय लिया है कि कल भगत सिंह की 122वीं जयंती धरना स्थल पर ही मनायी जाएगी। उसके तहत 3 बजे से डीएसडब्ल्यू आफिस पर एक संगोष्ठी रखी गयी है। जिसमें सभी छात्र-छात्राओं, बुद्धिजीवियों और नागरिकों से शामिल होने की अपील की गयी है।

इस बीच, आंदोलनकारी छात्र और छात्राओं का कहना है कि उन्हें बाहर के दूसरे विवि के छात्र संगठनों और छात्रसंघों का भी लगातार समर्थन मिल रहा है। इसमें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस के छात्रसंघ समेत छात्र संगठन आइसा, एसएफआई  शामिल हैं। इन संगठनों ने अपना समर्थन पत्र भी भेजा है। प्रो. बलराज पांडे व प्रमोद बागडे ने धरनास्थल पर आकर छात्रों को अपना समर्थन दिया। प्रशासन के इस असंवेदनशील रवैये को देखते हुए बीएचयू के अन्य छात्र संगठनों ने भी धरने को अपना समर्थन दिया है। जिसमें जॉइंट एक्शन कमेटी BHU, AISA, AISF, NSUI, यूथ फ़ॉर स्वराज,SC/ST/OBC/MT संघर्ष समिति प्रमुख रूप से शामिल हैं।

आंदोलनकारी छात्रों का कहना है कि उनके आंदोलन को खत्म करने के लिए प्रशासन ने गुंडे लगा रखे हैं। उनमें से कुछ धरनास्थल के बाहर पहुंच गए थे और उन्होंने गाली गलौच करने के बाद आंदोलनकारियों को पिटाई की धमकी दी है। भगत सिंह छात्र मोर्चा ने प्रशासन के इस कायराना हरकत की निंदा की है और उसने जिला प्रशासन से आंदोलनकारियों को सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की है। छात्रों ने मांगे न माने जाने पर इस आंदोलन को और व्यापक करने की चेतावनी दी है।

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