यूपी के युवा चलाएंगे भाजपा हराओ अभियान

युवा मंच के बैनर तले प्रयागराज में 4 महीने से जारी रोजगार आंदोलन के क्रम में 28 दिसंबर को ईको गार्डेन लखनऊ में आयोजित युवा पंचायत में प्रदेश स्तर पर आंदोलन को संगठित करने और रोजगार आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया। पंचायत में लिए गए प्रस्ताव में योगी सरकार से मांग की गई कि प्रदेश में रिक्त पड़े 5 लाख पदों को आचार संहिता के पहले विज्ञापित करने की घोषणा और इस संबंध में ठोस कार्यवाही करें अन्यथा प्रदेश भर के युवा विधानसभा चुनाव में भाजपा हराओ, अभियान चलायेंगे। हर युवा को गरिमापूर्ण रोजगार की गारंटी, चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार-भाईभतीजावाद को खत्म करने, रोजगार न मिलने तक जीवन निर्वाह लायक बेकारी भत्ता की मांग की गई।

विपक्ष की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया, वह रोजगार जैसे महत्वपूर्ण प्रश्न पर गंभीर नहीं है इससे युवा चिंतित हैं। विपक्ष खासतौर पर अखिलेश यादव से सवाल किया गया कि कैसे उनकी सरकार बनने पर युवाओं को रोजगार देंगे, रोजगार की उनकी नीति क्या है इस संदर्भ में ठोस कदम उठाने की घोषणा करें। यह भी देखा गया कि प्रदेश में युवा महीनों से रोजगार आंदोलन चला रहे हैं लेकिन विपक्ष का इस संदर्भ में किसी तरह का ठोस वक्तव्य नहीं दिखता है। इनकी रोजगार के मुद्दे से कन्नी काट लेने की प्रवृत्ति दिखती है। उनकी इस प्रवृत्ति की भी आलोचना की गई। प्रदेश में योगी सरकार के फर्जी आंकड़ेबाजी के प्रोपेगैंडा में खर्च अरबों रुपये, सरकारी मशीनरी व मीडिया के बेजा इस्तेमाल पर भी युवाओं ने भाजपा व योगी सरकार को कटघरे में खड़ा किया। दरअसल रिकॉर्ड 4.5 लाख सरकारी नौकरी व 4.5 करोड़ नया रोजगार सृजन का दावा पूरी तरह से हास्यास्पद और फर्जी है।

सच्चाई यह है कि प्रदेश में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या में भी इन वर्षों में कमी आई है। लघु, सूक्ष्म व मध्यम उद्योग (एमएसएमई) में 2.5 करोड़, मनरेगा 1.5 करोड़ लोगों को नया रोजगार का दावा पूरी तरह से आधारहीन व झूठा है और आंकड़ों को तोड़ मरोड़ कर प्रचारित किया गया है। वास्तव में प्रदेश में जमीनी हकीकत यह है कि युवा व आम नागरिक बेकाबू हो रही बेकारी से त्रस्त हैं। गौरतलब है कि भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनावों में सभी रिक्त पदों को भरने और चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने व भ्रष्टाचार-भाईभतीजावाद खत्म करने का वादा किया था। लेकिन न सिर्फ रिक्त पदों को भरने का वादा महज जुमला  साबित हुआ है बल्कि चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार-भाईभतीजावाद पहले से भी ज्यादा है।

इन स्थितियों से युवाओं में जबरदस्त रोष है। प्रयागराज में 4 महीने तक चले आंदोलन में युवाओं की अच्छी भागीदारी रही है और 17 सितंबर, 16 अक्टूबर, 31 अक्टूबर, 30 नवंबर, 19 दिसंबर, 26 दिसंबर आदि तिथियों में प्रयागराज में बड़े प्रदर्शन भी हुए जिसमें भारी संख्या में युवाओं ने शिरकत किया। इस दौरान चले अभियान में युवाओं का अच्छा समर्थन हासिल रहा। आगामी दिनों में रोजगार का सवाल प्रदेश में प्रमुख मुद्दा बन सकता है इसकी संभावनाएं निहित हैं। प्रदेश का युवा अब योगी सरकार की उपलब्धियों के प्रचार और घोषणाओं के झांसे में नहीं आने वाले हैं और न ही दमन की कार्यवाहियों से डरने वाले हैं बल्कि अब रोजगार अधिकार का संघर्ष और तेज होगा। इसके लिए युवाओं को व्यापक स्तर पर संगठित करने की जरूरत है। युवा मंच इसके लिए प्रयासरत है।

रोजगार के ही सवाल पर एक और पंचायत इलाहाबाद में हुई। पूरे उत्तर प्रदेश में विभिन्न विभागों में खाली पड़े 25 लाख पदों पर भर्ती की मांग को लेकर आज इलाहाबाद में बालसन चौराहे पर यूपी मांगे रोजगार अभियान के नेतृत्व में विभिन्न छात्र संगठनों व प्रदेश भर से रोजगार आंदोलनों के नेताओं का जमावड़ा हुआ।

इंकलाबी नौजवान सभा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में रोजगार का मुद्दा राजनीतिक पार्टियों के घोषणा पत्र में शामिल करवाने और भाजपा की सांप्रदायिक नफरत वाली धर्म की राजनीति को परास्त करने के लिए पूरे प्रदेश के युवाओं को हमे रोजगार के मुद्दे पर संगठित व आंदोलित करना होगा, साथ ही शिक्षा को बाजार के हवाले करने की मंशा से लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को वापस करवाने के लिए हम अपने संघर्ष को तेज करना होगा।

डॉ आर.पी. गौतम ने कहा कि सरकार लगातार रोजगार के अवसर ख़त्म कर रही है और आरक्षण घोटाला करके वंचित तबके से आने वाले छात्रों को रोजगार से बाहर करके उन्हे हाशिए पर धकेलने के लिए आमादा है।

प्रोग्रेसिव फार्मर्स फ्रंट के राज्य सचिव मारूति मानव ने कहा की किसान आंदोलन जिस तरह से अपने संघर्षों के बल पर एक ऐतिहासिक लड़ाई को जीता, उसी तरह से हमारे युवा साथी अपने रोजगार के सवाल को लेकर अगर अपने संघर्षों को तेज करें तो जीत सुनिश्चित है, क्योंकि बड़े से बड़े तानाशाह व फासिस्ट सरकार को संघर्षों के बल पर ही झुकाया जा सकता है।

रोजगार पंचायत में अपनी बात रखते हुए आइसा इलाहाबाद विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष विवेक सुल्तानवी ने कहा कि रेलवे में लगातार पदों को खत्म किया जा रहा है जिससे रोजगार के अवसर कम होते जा रहे हैं। रेलवे देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने के लिए जाना जाता था। हमें पूरे शहर से प्रतियोगी छात्रों को गोलबंद करके रोजगार को प्रमुख सवाल बनाना होगा तभी सरकारें रोजगार के समाधान की ओर ध्यान देंगी।

रोजगार महापंचायत ने लखनऊ में आंदोलनरत प्रतियोगी छात्रों पर हुए लाठीचार्ज व गिरफ्तारी को अमानवीय बताया। संचालन यूपी मांगे रोजगार के संयोजक सुनील मौर्य ने किया।

रोज़गार पंचायत से यूपी मांगे रोज़गार अभियान को इलाहाबाद में व्यापक स्वरूप देने लिए 13 सदस्यीय “रोजगार संघर्ष समिति इलाहाबाद” का गठन किया गया। जिसमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता जितेंद्र धनराज को संयोजक व शशांक को सहसंयोजक चुना गया। पंचायत से इलाहाबाद में मोहल्ला स्तरीय पंचायत करने का निर्णय लिया है।

महापंचायत में आइसा, आईसीएम, एसएफआई, आरवाईए सहित विभिन्न जनवादी संगठनों से शिवम, कमलेश यादव, विवेक, प्रदीप ओबामा, जोया, गिरधारीलाल, पंकज सोनकर, पंकज पांडे, रणविजय, सीमांत गुप्ता, सोनू यादव, विकास, सुमन, राजू कुरैशी, सुनील, मनोज, राजू शिवम, राजीव गुप्ता, ठाकुर प्रसाद, अविनाश, अंतस, चंदन, हरिओम आदि शामिल रहे।

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