देश की महिलाएं रच रही हैं नया इतिहास: रामचंद्र गुहा

अहमदाबाद। 30 जनवरी अर्थात गांधी जी के बलिदान दिवस के दिन पद्म भूषण इतिहासकार रामचंद्र गुहा बापू की कर्मभूमि अहमदाबाद में थे। गुहा के तीन कार्यक्रम थे। जिनमें पहला नेहरू ब्रिज पर CAA, NRC, NPR के विरोध में बनाई गई मानव शृंखला में खड़े होकर देश के साथ एकजुटता दिखाना तथा काले कानून का विरोध करना। दूसरा कार्यक्रम ठाकोर भाई देसाई हाल में संबोधन और अहमदाबाद का शाहीन बाग कहे जाने वाले अजीत मिल धरने के साथ एकजुटता और वहां धरने पर बैठी महिलाओं को संबोधन। 

रामचंद्र गुहा ने अपने संबोधन में कहा, ” जैसा कि आप को पता है मैं इतिहासकार हूं। मैं यहां कह रहा हूं। आप महिलाएं इतिहास बना रही हैं। और आप का इतिहास मैं लिखूंगा। बहुत समय से मैं कभी धरने प्रदर्शन में नहीं जाता था लेकिन इस समय मुझे लग रहा है यह कानून संविधान के खिलाफ है। गांधी और आंबेडकर के विचारों के खिलाफ है। इसलिए मैं भी सड़क पर आया।”

गांधीनगर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की वर्षा ने देश के जवानों पर एक कविता पढ़ी जिसमें उन्होंने देश के जवानों की बहादुरी का गुणगान करते हुए बताया कि किस तरह से देश का जवान दुश्मन से नहीं डरता लेकिन देश के अंदर की राजनीति उसे कमज़ोर बना रही है। इसी कविता को रामचंद्र गुहा ने अपने शब्दों में महिलाओं के साथ जोड़कर पढ़ा ” मैं दुश्मन से नहीं डरता मैं भारत की महिला हूं”। 

रामचंद्र गुहा गांधीजी के विचारों से बहुत प्रभावित हैं। उन्होंने गांधी के बाद भारत पुस्तक लिखा जिसे 2011 में साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया था। उन्होंने गांधी से पहले के भारत पर भी पुस्तक लिखी है। कई पुस्तकों के लेखक होने के अलावा वह कई बड़े अखबारों के स्तंभकार भी हैं। भारत समेत विदेश के कई विश्वविद्यालयों में वह अध्यापन का भी काम कर चुके हैं। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित राजनीति और इतिहास के विषयों के माहिर हैं।

देहरादून से इंडिया ग्रीन के संयोजक सुरेश नौटियाल भी अहमदाबाद के इस धरने के साथ एकजुटता और समर्थन देने अहमदाबाद आये थे। नौटियाल ने अपने संबोधन में कहा, ” नागरिकता का यह कानून संविधान विरोधी है। विविधता वाले देश में ऐसा कानून नहीं चलेगा। पूरा देश एकजुट है इसीलिए जगह-जगह शाहीन बाग़ उग आये हैं।” नौटियाल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। ग्लोबल ग्रीन कोआर्डिनेशन के सदस्य हैं। DD न्यूज़, ऑल इंडिया रेडियो, UNI में काम कर चुके हैं। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में संबोधन होता रहता है। 

एडवोकेट आनंद याग्निक ने एक बार फिर दोहराया, “1906 में जब ट्रांसवॉल की सरकार ने नागरिकता कानून के तहत गांधीजी से काग़ज़ मांगे थे तो गांधीजी ने काग़ज़ नहीं दिखाया था। हम भी 2020 में काग़ज़ नहीं दिखाएंगे। देश में 35 करोड़ ऐसे हैं जो मुसलमान भी नहीं हैं और उनके पास काग़ज़ नहीं है। वह कहां से दिखा पाएंगे।” याग्निक ने मोदी, शाह और योगी को निशाने पर लेते हुए आगे कहा, “यह लोग नफरत की राजनीति करते हैं। जो मेरा राम है वह इनका नहीं, जो राम इनका है वह मेरा नहीं। नफरत करने वाले तुम्हे छू नहीं पाएंगे। आज के दिन गांधी को मार कर उन्होंने सोचा गांधी मर गया। गांधी एक विचार थे जो करोड़ों में बस गए।” याग्निक ने मोदी शाह का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि तुम न होते तो आज हम हिंदू-मुस्लिम एक साथ एकत्र नहीं हुए होते। यह आंदोलन नहीं होता तो मैं नदी के उस पार से आज इस पार नहीं आता। मोदी योगी के कारण साबरमती की तहज़ीब फिर ज़िंदा हो रही है।”

गांधी जी की पुण्यतिथि के दिन गांधी आश्रम से गांधीवादी प्रतिनिधिमंडल ने पहले अजित मिल धरने में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी उसके बाद चरखा चला कर मोदी शाह के काले कानून का विरोध दर्ज कराया। धरने को महिलाओं के अलावा छात्रों और शिक्षकों का बड़ा समर्थन हासिल है। इस धरने में  आईआईएम, सीईपीटी, अहमदाबाद यूनिवर्सिटी के शिक्षक और छात्र लगातार उपस्थिति रह रहे हैं।

(अहमदाबाद से जनचौक संवाददाता कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।) 

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