युवक के वायरल वीडियो का महबूबा ने लिया संज्ञान, पुलिस से मांगी रिपोर्ट

जनचौक ब्यूरो

श्रीनगर/बडगाम। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बल के एक जवान की पिटाई का वीडियो वायरल होने के दो दिन बाद एक दूसरा वीडियो भी सामने आया है। इसमें एक युवक को सीआरपीएफ के जवान सेना की गाड़ी के बोनट पर आगे बांधकर परेड करा रहे हैं। माना जा रहा है कि सीआरपीएफ ने इस तरीके का इस्तेमाल पत्थरबाजों को चेतावनी देने के मकसद से किया है। घटना सामने आने के बाद रोष बढ़ने पर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने हस्तक्षेप किया है और उन्होंने पुलिस और सेना से मामले की रिपोर्ट मांगी है। उनका कहना था कि वो वीडियो की जांच कर रही हैं।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक बोनट पर बांधे गए शख्स का नाम फारूख अहमद दार है और उसकी उम्र 26 साल है। एक्सप्रेस से बातचीत में दार ने कहा कि “मैं पत्थरबाज नहीं हूं। जीवन में मैंने कभी भी पत्थर नहीं फेंका। मैं शाल की बुनाई का काम करता हूं और मुझे कुछ बढ़ईगिरी का काम भी आता है। यही मैं करता हूं।”

बडगाम के चिल में अपने घर में बैठे दार के बायें हाथ में पट्टी बंधी हुई थी। उसको 9 अप्रैल को सुबह 11 बजे से तकरीबन चार घंटे तक जीप के बोनट पर आगे बांधकर परेड करायी गई। उसका कहना है कि हर्दपानजू सीआरपीएफ कैंप के पास जीप रुकने से पहले उल्टीगाम से सोनपा, नाजन, चकपोरा, हांजीगुरू, रावलपोरा, खोसपोरा, अरीजल तक तकरीबन 25 किमी घुमाया गया।

पूरे वाकये से भयभीत दार का कहना है कि वो शिकायत नहीं दर्ज कराएगा। उसने कहा कि “गरीब लोग हैं क्या करेंगे शिकायत। मैं 75 साल की अस्थमा से पीड़ित अपनी बूढ़ी मां के साथ रहता हूं। मैं डरा हुआ हूं। मेरे साथ कुछ भी हो सकता है। मैं पत्थरबाज नहीं हूं।” उसकी मां फैजी उससे सहमति जताती हैं- “नहीं, हम किसी तरह की जांच नहीं चाहते हैं। हम गरीब लोग हैं। मैं उसे खोना नहीं चाहती। वो अकेला है जो बुढ़ापे का मेरा सहारा है।”

दार ने बताया कि वो अपने घर से 17 किमी दूर अपने रिश्तेदारी में जा रहा था जहां उसके एक रिश्तेदार की लोकसभा चुनाव के दिन मौत हो गयी थी। वो एक मोटरसाइकिल चला रहा था जबकि उसका भाई गुलाम कादिर और पड़ोसी और गांव का पंच हिलाल अहमद गुलाम मागरे एक दूसरी बाइक पर थे।

उल्टीगाम में उसने देखा कि कुछ महिलाएं चुनावों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं वो वहीं रुक गए। उसका कहना है कि यही उसकी सबसे बड़ी गल्ती थी। उसने बताया कि अभी वो बाइक से उतरा भी नहीं था कि सेना के जवानों ने उसे पकड़ लिया और उसकी पिटाई शुरू कर दी। जवानों ने पीटते हुए उसे जीप की बोनट से बांध दिया उसके बाद तकरीबन 9 गांवों की परेड कराई।

उसका कहना है कि महिलाओं ने उसे बचाने की कोशिश की लेकिन सेना ने हवा में गोली चला कर उन्हें वहां से भगा दिया। दार ने कहा कि “ मुझे जीप के आगे बांधा गया था। मेरी छाती पर एक सफेद कागज टांग दिया गया था मैं केवल उस पर लिखा अपना नाम देख सकता था।”

दार ने बताया कि “रास्ते में सेना के जवान लोगों से चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे थे कि आओ अब अपने एक आदमी के ऊपर पत्थर फेंको। लोग दूर भाग रहे थे। वो भयभीत थे। मुझसे एक भी शब्द नहीं बोलने के लिए कहा गया था वरना वो मुझे गोली से उड़ा देते”।

उसने बताया कि खोसपोरा में कुछ लोगों ने उसे छोड़ने के लिए अपील जरूर किया लेकिन जवानों ने उनकी बात मानने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ये पत्थरबाज है। दार ने कहा कि जब सीआरपीएफ कैंप में उसे उतारा गया तो उसने गाड़ियों में से 16 जवानों को उतरते देखा।

दार ने आगे बताया कि “तकरीबन 4 बजे उन लोगों ने मुझे एक रक्षक गाड़ी में फेंक दिया। मुझे नहीं पता था कि वो कहां ले जा रहे हैं। ये तभी पता चला जब गाड़ी का दरवाजा खुला। ये रैयारी में राष्ट्रीय राइफल का कैंप था”।

उसका कहना है कि न तो उससे कोई पूछताछ हुई और न ही उसे दोनों में से किसी कैंप में मारा-पीटा गया। आर-आर कैंप में तीन घंटे रखे जाने के बाद उसे चाय दी गई। दार ने बताया कि “फिर मुझे शाम को 7.30 बजे मेरे गांव के सरपंच बशीर अहमद मागरे के हवाले कर दिया गया”।

 

वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मामले का संज्ञान लिया और उन्होंने पुलिस से मामले की रिपोर्ट मांगी है। एक सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक मुख्यमंत्री ने इस घटना को अस्वीकार्य बताया है और पुलिस से पूरी रिपोर्ट देने को कहा है जिससे जरूरी कार्रवाई की पहल की जा सके। उन्होंने पूरी घटना पर रोष जताया है।

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