9 दिनों से अंतिम संस्कार के इंतजार में धीरूभाई का शव

कलीम सिद्दीकी

पुलिस उत्पीड़न से आजिज आकर गवाह ने दी जान

हर तीसरे दिन थाने बुलाकर की जाती थी पिटाई

खुदकुशी करने वाले धीरूभाई थे भावनाबेन बलात्कार कांड के मुख्य गवाह

भावनगर (गुजरात)। ऊपर ताबूत में रखा शव धीरूभाई गुजराती का है। ये शव पिछले दस दिनों से अपने दाहसंस्कार का इंतजार कर रहा है लेकिन परिजन बगैर धीरूभाई को न्याय दिलाए उनका अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार नहीं हैं।

आरोप है कि भावनगर के मांडवी गांव के रहने वाले धीरूभाई ने पुलिस उत्पीड़न से आजिज आकर 26 मार्च को खुदकुशी कर ली थी। उसके बाद परिजनों ने पहले शव को लेने से ही इनकार कर दिया और बाद में उसे लाकर घर पर रख लिया।

दरअसल धीरूभाई एक दिसंबर, 2016 को भावनाबेन खेमी की बलात्कार के बाद हुई हत्या के मुख्य गवाह थे। आरोप है कि घटना के बाद पुलिस ने मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार करने की जगह धीरूभाई का ही उत्पीड़न करना शुरू कर दिया।

बताया जा रहा है कि पिछले तीन महीनों से हर दूसरे-तीसरे दिन उन्हें पुलिस स्टेशन बुलाया जाता था। उनकी थाने में जमकर पिटाई की जाती थी।

धीरूभाई के पुलिस उत्पीड़न का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर जहर पीकर धीरूभाई नहीं मरते तो कुछ दिनों बाद पुलिस के दिए जख्मों से उनकी मौत हो जाती।

मौत की वजह बनी मांडवी गांव की घटना

घटना मांडवी गांव तहसील गरियाधार जिला भावनगर की है जब 1 दिसम्बर 2016 को भावनाबेन खेमी (पटेल) आयु 50 वर्ष और उनके पति भगवान जी खेमी (पटेल) आयु 52 वर्ष अपने खेत से घर लौटने को थे। तभी भगवानजी की मोटर साइकिल पंक्चर होने के कारण उन्होंने अपनी पत्नी को पैदल ही घर जाने को कहा और खुद पंक्चर बनवाने चले गए।

भगवानजी तो पंक्चर बनवाकर मोटर साइकिल से घर पहुंच गए लेकिन उनकी पत्नी रात के आठ बजे तक घर नहीं पहुंची। फिर परिवार के लोगों को बेचैनी हुई और वो लोग ढूंढते ढूंढते खेत की ओर गए। खेत के पास तालाब के किनारे भावनाबेन मृत अवस्था में मिली।

घटना की पुलिस को सूचना दी गयी। जिस अवस्था में भावनाबेन मिली थीं उससे बलात्कार के बाद उनकी हत्या की आशंका लग रही थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि भी हुई।

धीरूभाई के परिजनों का कहना है कि उनसे कहा जाता था कि तुम इस बात को कुबूल कर लो कि घटना तुमने देखी है और तुम उसके चश्मदीद गवाह हो। और हम जिसका नाम बताएं हत्या और बलात्कार में उनका नाम दर्ज करवा दो। लेकिन धीरूभाई ने पुलिस की बात मानने से इनकार कर दिया।

धीरूभाई का कहना था कि उन्होंने भावनाबेन की हत्या के समय एक आदमी को देखा था। लेकिन पुलिस उसकी जगह दूसरे लोगों का नाम लेने के लिए उन पर दबाव डाल रही थी।

17-19 मार्च के बीच पुलिस धीरूभाई को भावनगर स्थित आईजी आफिस ले गई। वहां धीरूभाई की पत्नी सोनल बेन और मां गौरी को भी बुलाया गया।

आपको बता दें कि सोनल के दो बच्चे हैं और तीसरा बच्चा अभी पेट में है। एक बार फिर यहां धीरू को मारा-पीटा गया।

आईजी आफिस में पिटाई के बाद धीरूभाई ने जिंदा रहने की पूरी उम्मीद खो दी थी। उन्होंने कहना शुरू कर दिया था कि पुलिस महकमा उन्हें जिंदा नहीं रहने देगा। पूरा विभाग उनके खिलाफ खड़ा हो गया है।

19 मार्च को धीरू भाई आईजी आफिर से घर आये। उसके बाद 19 से 26 मार्च के बीच धीरूभाई को तीन बार पुलिस स्टेशन बुलाया गया और हर दफा उन्हें टार्चर किया गया।

इस तरह से 3 महीने में तकरीबन 40 बार उन्हें थाने पर बुलाया गया और मारा-पीटा गया।

हर बार पुलिस उनसे अपना बयान बदलने और कुछ दूसरे लोगों को आरोपी बनाने की बात कहती रही। लेकिन धीरूभाई सारे उत्पीड़न के बावजूद उसके लिए तैयार नहीं हुए। उनका कहना था कि इतने संगीन मामले में वो किसी निर्दोष को नहीं फंसा सकते जिसमें फांसी तक की सजा का प्रावधान है।


आखिरी दिन

26 मार्च की सुबह धीरूभाई अपनी बेटी और मां को खेत में छोड़ने जाते हैं। और फिर पत्नी से रोटी बनाने की बात कहकर खुद सो गए।

बताया जाता है कि तभी सुबह 10.15 बजे पुलिस ने उन्हें फिर थाने बुलाया। फिर तकरीबन दो घंटे तक उनकी पिटाई की।

पुलिस की इस प्रताड़ना से धीरूभाई बिल्कुल टूट गए थे औऱ पूरी तरह से हताश हो गए थे। इसी मानसिकता के बीच उन्होंने थाने से लौटने के बाद अल्यूमिनियम फॉस्फेट की चार टैबलेट खा ली। जिसका आमतौर पर अनाज में कीड़ों को मारने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

धीरूभाई अपने जीवन से इस कदर परेशान हो गए थे कि गोलियां खाने के लिए किसी साफ पानी की जगह पशुओं को दिया जाने वाला पानी पीने से भी परहेज नहीं किया।

दरअसल बताया जा रहा है कि भावनाबेन के हत्या और बलात्कार करने वाले इलाके के दबंग लोग हैं। जिनको पुलिस और स्थानीय नेताओं का संरक्षण हासिल है।

 

धीरूभाई के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने मुख्य आरोपियों से तीन करोड़ रुपये लिए हैं और उसके एवज में उन्हें छोड़कर दूसरे निर्दोष लोगों को फंसाने में जुटी है। धीरूभाई की मौत उसी का नतीजा है। खुद धीरूभाई ने भी मौत से पहले पुलिस पर तीन करोड़ रुपये खाने का आरोप लगाया है।

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