पेगासस के बाद अब नये जासूसी स्पाईवेयर की तलाश में जुटी सरकार

नई दिल्ली। भारत सरकार पेगासस के मुकाबले एक नये जासूसी यंत्र की तलाश में जुट गयी है। और बाकायदा वह इसके लिए नीलामी की योजना तैयार कर रही है। इसके साथ ही इस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां भी सक्रिय हो गयी हैं।

फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के रक्षा और खुफिया अधिकारियों  ने इस सौदे को एनएसओ के मुकाबले ऐसी कंपनियों के साथ करने का फैसला लिया है जिनको बहुत लोग नहीं जानते हों। बताया जा रहा है कि सरकार इस मद में 120 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

तकरीबन एक दर्जन से ज्यादा कंपनियों के इस नीलामी में भाग लेने की संभावना है। भारत की पहल यह दिखाती है कि दुनिया भर में विरोधियों और आलोचकों के खिलाफ बेजा इस्तेमाल होने के बाद भी आधुनिक तकनीकी वाले इस यंत्र की कितनी मांग है। भारत सरकार ने सार्वजनिक तौर पर कभी भी इस बात को नहीं माना कि वह एनएसओ की कस्टमर है। हालांकि सेकुलर पत्रकारों, लेफ्ट सोच वाले बुद्धिजीवियों और विपक्षी नेताओं के फोन या फिर उनके दूसरे यंत्रों में कंपनी के मालवेयर पाए गए थे। बाद में इस प्रकरण ने एक राजनीतिक हलचल भी पैदा कर दी थी। पेगासस किसी भी फोन को खुफिया हथियार में बदल सकता है। और यहां तक कि यह एनक्रिप्टेड ह्वाट्सएप और सिग्नल मैसेज तक को भी चुपके से पढ़ सकता है।

मोदी सरकार मानवाधिकार संगठनों द्वारा पेगासस को फोरेंसिक तौर पर खोज लेने को लेकर ज्यादा चिंतित है। इसके साथ ही उसकी चिंता एपल और ह्वाट्सएप को लेकर भी है जिन्होंने निशाना बनाए गए लोगों को पहले ही चेता दिया था।

इन लोगों का कहना है कि इन्हीं हालातों ने भारत सरकार को अपने हालिया ठेके के लिए दूसरी दिशा में सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस ठेके के 160 करोड़ से बढ़कर 1200 करोड़ रुपये तक अगले कुछ सालों में बढ़ जाने की संभावना है।   

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