विशेष सत्र के दूसरे दिन आज मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों ड्रेकोनियन कृषि कानूनों को रद्द करने वाले तीन कृषि विधेयक पंजाब विधानसभा में पेश किए गए। बता दें कि पंजाब विधानसभा का यह विशेष सत्र केंद्र के इन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए ही बुलाया गया है। इस विशेष सत्र के दूसरे दिन यानि आज सदन के नेता के तौर पर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पहले केन्द्र के तीनों कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। जिसे सदन द्वारा स्वीकार कर लिए जाने के बाद उन्होंने फिर तीनों विधेयक पेश किए ।
ये तीन विधेयक हैं:
पंजाब सरकार द्वारा पारित ऐतिहासिक बिल में प्रस्ताव किया गया है कि गेहूं एमएसपी से कम मूल्य पर खरीदने/ बेचने वालों को 3 साल की सजा और जुर्माना किया जाएगा। किसानों के लिए 2.5 एकड़ से अधिक लैंड अटैचमेंट की स्वीकृति नहीं है, जमा खोरी और काला-बाजारी पर रोक जैसी बातें मोटे तौर पर शामिल हैं।
पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पेश करने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा, “कृषि राज्य का विषय है, लेकिन केन्द्र ने इसे नजरअंदाज कर दिया। मुझे काफी ताज्जुब है कि आखिर भारत सरकार करना क्या चाहती है। केंद्र सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया हैं। पंजाब ने देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाया है। अब उन्हीं किसानों को बर्बाद किया जा रहा है। क्या यह इंसाफ़ है।”
ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय अपने इस्तीफे को याद करते हुए उन्होंने कहा, “मैं इस्तीफा देने या अपनी सरकार को बर्खास्त किए जाने से नहीं डरता हूं। मैं किसानों के साथ अन्याय होता देख खामोश नहीं रहूंगा, न ही उन्हें बर्बाद होने दूंगा।”
केंद्र सरकार के कृषि कानून को रद्द करने वाले तीनों कृषि विधेयकों को पेश करने के बाद मुख्यमंत्री ने किसानों से सड़क जाम और रेल रोको अभियान खत्म करने की अपील करते हुए कहा, “हम आपके साथ खड़े हो चुके हैं, अब हमारे साथ खड़े होने की बारी आपकी है।”
विधानसभा अध्यक्ष राणा केपी सिंह ने सदन में कहा, “विधानसभा केंद्र के कानून पर गहरा खेद व्यक्त करती है। विधानसभा ने पहले भी इनके खिलाफ प्रस्ताव पास किया था, पर फिर भी केंद्र सरकार ने कानून पारित कर दिए। केंद्र ने व्यापारियों के लिए ये कानून बनाए हैं न कि खेती या किसानों के लिए।”
कांग्रेस विधायक नवजोत सिंह सिद्धू ने चर्चा में भागीदारी करते हुए कहा, “केंद्र के नए कानून मंडियों को बर्बाद कर देंगे। जहां फ्री मंडियां हैं वहां के किसानों की हालत क्या है। जो केंद्र सरकार जीएसटी का पैसा नहीं दे रही, वह किसानों को उनके खाते में पैसे डाल देगी?”
प्रस्ताव की कॉपी के लिए आम आदमी पार्टी का धरना प्रदर्शन
नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने विधानसभा सत्र की दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहले बिल की कॉपी न मिलने पर सदन में नाराजगी जताई। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि अगर पूरा विपक्ष इस पर एकजुट है तो जानकारी क्यों छुपाई जा रही है। ऐसे में विपक्ष को साथ लेकर चलना चाहिए और प्रस्ताव की जानकारी दी जानी चाहिए।
सोमवार को आम आदमी पार्टी ने विधानसभा के अंदर ही प्रदर्शन किया। आम आदमी पार्टी का कहना है कि जो प्रस्ताव सदन में रखा जाना है, उसकी कॉपी नहीं दी गई है।इसका मतलब है कि पंजाब सरकार किसानों के खिलाफ साजिश कर रही है तभी तो प्रस्ताव से जुड़ी जानकारियां साझा नहीं कर रही है। पार्टी के नेताओं ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के लोगों और किसानों को धोखा देने के लिए जाने जाते हैं, पानी को लेकर जो एग्रीमेंट हुआ था, उसमें भी ऐसा ही हुआ था। ऐसे में अब आम आदमी पार्टी की मांग है कि केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ जो प्रस्ताव आ रहा है, उसे सार्वजनिक किया जाए ताकि किसानों की मुश्किलों का पता चल सके।
पंजाब भवन के बाहर जलाई गई केंद्र सरकार के कृषि कानून की प्रतियां
वहीं, शिरोमणि अकाली दल विधायकों ने पंजाब भवन में जाने की मंजूरी न देने पर गेट के बाहर ही धरना दिया। इस कारण पंजाब भवन में किसान नेताओं से बातचीत करने आए तीन कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया के जाने का रास्ता अवरुद्ध हो गया। रास्ता नहीं मिलने पर तीनों कैबिनेट मंत्री पार्किंग क्षेत्र में से कंटीली तार हटवा कर बाहर निकले। विधानसभा सत्र से पहले ‘आप’ और शिरोमणि अकाली दल विधायकों ने केंद्र सरकार के नए तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां अलग-अलग जलाईं।
(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)