नई दिल्ली। सुशांत सिंह राजपूत मामले में मीडिया के घिनौने रवैये को देखते हुए अब लोगों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है। अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती के साथ मीडिया का गिद्धों सरीखा व्यवहार देश के हर सभ्य नागरिक को परेशान कर रहा है। इस मामले में अब महिला संगठनों ने भी पहल की है। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन यानी ऐपवा ने एक बयान जारी कर रिया चक्रवर्ती के हो रहे मीडिया ट्रायल पर कड़ा एतराज जाहिर किया है। संगठन ने कहा है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच जरूरी है लेकिन उसके लिए किसी के मीडिया ट्रायल की जरूरत नहीं है। यह एजेंसियों और अदालत का काम है और उन्हें अपना काम करने देना चाहिए।
संगठन की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि “सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु से हर संवेदनशील व्यक्ति मर्माहत है और सुशांत व उसके परिवार को न्याय मिले यह हर बिहारवासी चाहेगा, देश के आम प्रगतिशील लोग चाहेंगे। लेकिन सुशांत सिंह की मृत्यु के लिए रिया चक्रवर्ती दोषी है या नहीं यह अदालत को तय करने दिया जाए”।
इसके आगे ऐपवा ने कहा कि इस मामले में जिस तरीके से मीडिया रिया की छवि पेश कर रही है वह शर्मनाक और आपराधिक कृत्य है। कल जिस तरीके से रिया के साथ मीडिया कर्मियों ने धक्का मुक्की की, उसकी जितनी भी भर्त्सना की जाए कम है। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
संगठन ने इस सिलसिले में मीडिया से भी अपील की। उसने कहा कि “ऐपवा की ओर से मीडिया से भी हम अपील करना चाहते हैं कि कानून व्यवस्था को अपना काम करने दें। हम समाज के आम लोगों से भी अपील करना चाहते हैं कि मीडिया के कुछ लोग जो आज सरकार के चारण बने हुए हैं उनकी मंशा को समझें। देश में बढ़ रही बेरोजगारी, आर्थिक तंगहाली, बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार के प्रवासी मजदूरों, किसानों की बदहाली, बिहार में अपराधियों का बढ़ता मनोबल, महिलाओं पर बलात्कार, अत्याचार आदि मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए इस मुद्दे को इस्तेमाल करने की कोशिश हो रही है”।
संगठन ने आगे कहा कि हमें इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि कल ही बिहार भाजपा के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ ने सुशांत सिंह मामले को बिहार विधानसभा चुनाव का मुद्दा बनाने की बात की है। जो ताकतें पद्मावत फिल्म के समय सुशांत सिंह का दुश्मन बनी हुई थीं वह आज सुशांत की हितैषी नहीं हो सकतीं। बल्कि वह इस मुद्दे पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने में लगी हैं।
ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि किसी महिला को अगर वह दोषी है तब भी अपनी बात कहने का मौका दिया जाना चाहिए और जांच एजेंसियों को निष्पक्ष तरीके से काम करना चाहिए। मीडिया अगर खुद एक अदालत का काम हड़प लें तो यह माहौल को निष्पक्ष नहीं रहने देता है और न्याय और सच का दुश्मन बन जाता है।
संगठन की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन ने कहा कि हम अदालत, राष्ट्रीय महिला आयोग, और न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी से भी अपील करते हैं कि मीडिया जिस तरह महिला विरोधी भाषा और सोच के साथ रिया के बारे में प्रसारण कर रही है उसे सख्ती से रोका जाए।
सुशांत जिस प्रगतिशील विचार का होनहार नौजवान था शायद उसे भी यह पसंद नहीं होता कि किसी महिला को उसके नाम पर सार्वजनिक रूप से इस तरह जलील किया जाए। इसलिए हम सुशांत के प्रति सम्मान रखने वाले हर व्यक्ति से अपील करते हैं कि वे मीडिया के इस रवैये के प्रति अपनी असहमति जताएं।