आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर और दलित बुद्धिजीवी आनंद तेलतुंबडे को जमानत मिली

नई दिल्ली। आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर, कई चर्चित किताबों के लेखक और बुद्धिजीवी आनंद तेलतुंबडे को जमानत मिल गयी है। यह जमानत बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली है। उन्हें भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किया गया था। बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच ने पिछले हफ्ते सुनवाई के बाद जमानत पर फैसले को रिजर्व कर लिया था। जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस एमएन जाधव के नेतृत्व वाली बेंच के सामने 73 वर्षीय तेलतुंबडे के पक्ष को वरिष्ठ वकील मिहिर देसाई ने रखा था। तेलतुंबडे को 14 अप्रैल, 2020 को गिरफ्तार किया गया था।

उन्होंने बेंच के सामने कहा कि 31 दिसंबर, 2017 को हुई एलगार परिषद की बैठक में उन्होंने हिस्सा नहीं लिया था और न ही उन्होंने कोई भड़काऊ भाषण दिया था। उन्होंने कहा कि तेलतुंबडे के खिलाफ आतंकवाद का कोई मुकदमा नहीं बनता जिहाजा यूएपीए के तहत भी वह जमानत के पूरे हकदार हैं।

लेकिन एनआईए की तरफ से पेश हुए वकील संदेश पाटिल ने उनकी जमानत का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि तेलतुंबडे गुप्त रूप से अपने भाई मिलिंद तेलतुंबडे के संपर्क में थे जो माओवादी थे और जिनकी पिछले साल नवंबर महाने में एक मुठभेड़ में हत्या कर दी गयी थी। जबकि देसाई का कहना था कि आनंदर तेलतुंबडे की पिछले 25 सालों से अपने भाई से कोई मुलाकात ही नहीं हुई। 

बहरहाल तेलतुंबडे से पहले गौतम नवलखा को भी सुप्रीम कोर्ट से घर में नजरबंद रखने का निर्देश जारी हो चुका है। और यह काम आदेश आने के 48 घंटे के भीतर पूरा हो जाना था। लेकिन इस मामले में एनआईए लगातार हीला हवाली कर रही है। जिसमें उसने रहने के स्थान की सुरक्षा और तमाम कारणों का बहाना बनाकर एक बार फिर मामले में देरी कर दी है। नतीजतन आज इस मामले की एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। 

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