काले कृषि कानूनों की भेंट चढ़ा एक और किसान, टिकरी बॉर्डर पर फांसी लगाकर दे दी जान

“भारतीय किसान युनियन जिंदाबाद। प्यारे किसान भाइयों ये मोदी सरकार तारीख पर तारीख देता जा रहा है इसका कोई अंदाजा नहीं कि ये काले कानून कब रद्द होंगे। जब तक ये काले कानून रद्द नहीं होंगे तब तक हम यहां से नहीं जाएंगे।” यह शब्द हैं उस किसान के जिसने केंद्र सरकार से निराश होकर अपनी जान दे दी। कर्मबीर नाम के इस किसान ने मरने से पहले सुसाइड नोट छोड़ा है। उन्होंने देर रात टिकरी बॉर्डर पर फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। किसान आंदोलन का आज 74वां दिन है और अब तक करीब एक दर्जन आंदोलनकारियों ने आत्महत्या की है, जबकि अलग-अलग कारणों से अब तक सौ के करीब किसानों की मौत हो चुकी है।

आज खुदकुशी करने वाले 52 वर्षीय कर्मबीर हरियाणा के जींद जिला के सिंघवाल गांव का रहने वाले थे और बीती रात ही वह अपने गांव से टिकरी बॉर्डर पहुंचे थे। कर्मबीर अपने पीछे तीन बेटियां छोड़ गए हैं। अभी केवल बड़ी बेटी की शादी हुई है।

पुलिस प्रशासन ने किसान कर्मबीर का शव फंदे से निकाल कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। इससे पहले टिकरी बॉर्डर पर ही जय भगवान नाम के किसान ने जहर खा लिया था। किसान को गंभीर हालत में संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। जय भगवान ने भी जहर खाने से पहले देशवासियों के नाम एक सुसाइड नोट लिख छोड़ा था।

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