कॉरपोरेट के उतारे गए नामी-गिरामी वकील भी फेल, अरावली में फार्महाउसों का टूटना तय

नई दिल्ली। अरावली ज़ोन फ़रीदाबाद में फार्म हाउसों, बैंक्वेट हॉलों, आश्रमों, मंदिरों को बचाने के लिए कॉर्पोरेट जगत ने कई नामी वकील सुप्रीम कोर्ट में खड़े कर दिए। कई अरब रूपये की हरियाणा वन विभाग की क़ब्ज़ाई गई ज़मीन कॉरपोरेट के क़ब्ज़े में है। ये क़ब्ज़े अकेले फ़रीदाबाद ही नहीं बल्कि गुड़गाँव, मेवात, रेवाड़ी अरावली ज़ोन में भी हैं। लेकिन खोरी की वजह से फ़िलहाल फ़रीदाबाद अरावली ज़ोन का मामला ज़्यादा सरगर्म है। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को इस मामले की सुनवाई हुई।

इस पूरे मामले का संक्षेप में घटनाक्रम यह है कि 7 जून 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने फ़रीदाबाद नगर निगम फ़रीदाबाद और ज़िला प्रशासन से कहा कि अरावली में वन विभाग की ज़मीन पर अवैध रूप से बसे खोरी गाँव को हटाया जाए। इसके लिए डेढ़ महीने का समय दिया जाए। इसी बीच 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट को जब बताया गया कि वहाँ खोरी के अलावा वन विभाग की ज़मीन पर फार्म हाउस, यूनिवर्सिटी, स्कूल, कॉलेज, मंदिर और आश्रम बने हुए हैं तो अदालत ने उन्हें भी हटाने का निर्देश दिया। इसके बाद वन विभाग ने अतिक्रमण करने वालों को नोटिस जारी कर दिया। जब नोटिस देने की कार्रवाई शुरू हुई तो तमाम बड़े नाम सामने आ गए। इन्हीं नामों की सूची हरियाणा के चर्चित आईएएस अफ़सर अशोक खेमका पिछले तीन साल से माँग रहे थे लेकिन हरियाणा सरकार उन्हें सूची देने में आनाकानी कर रही थी।

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जाने माने वकील मुकुल रोहतगी ने अरावली में बने अवैध बैंक्वेट हॉलों का ज़िक्र करते हुए कहा कि कुछ लोगों ने अपनी ज़मीन पर बैंक्वेट हॉल बना रखा है, वहाँ शादियाँ वग़ैरह होती हैं। वो बैंक्वेट हॉल वन क्षेत्र में नोटिफाई भी नहीं हैं। लेकिन एनजीटी ने नोटिस देकर वहाँ शादियाँ रूकवा दी हैं। अब फिर से हमें नोटिस जारी किया गया है।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अदालत का आदेश सिर्फ़ वन विभाग पर बने अवैध निर्माणों को लेकर है। अगर वो चीज़ें वन क्षेत्र में नहीं हैं तो इस कोर्ट में उनकी अर्ज़ी पर सुनवाई नहीं हो सकती। वन भूमि पर बने अवैध निर्माणों को हर हालत में हटना होगा।

नगर निगम फ़रीदाबाद (एमसीएफ) 23 अगस्त तक वन विभाग की ज़मीन पर सभी अवैध निर्माणों को हटाकर 25 अगस्त तक स्टेट्स रिपोर्ट पेश करे। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार तक उन अवैध निर्माणों को गिराने पर रोक लगा दी है, जिन पर कोई स्टे वग़ैरह है लेकिन उसकी स्थिति शुक्रवार तक साफ कर दी जाए। 

मंदिर- आश्रम टूटेंगे

अरावली ज़ोन फ़रीदाबाद में वन विभाग की ज़मीन यानी पीएलपीए लैंड पर धर्म-कर्म के नाम पर 9 विशालकाय आश्रम, मंदिर और गौशाला बनाए गए हैं। जबकि खोरी गाँव में जो मस्जिद और चर्च बनाये गए थे, उन्हें पूरी तरह गिराया जा चुका है। वन विभाग की जितनी ज़मीन पर खोरी बसा था, उससे कहीं ज़्यादा ज़मीन इन 8 आश्रमों और मंदिरों ने घेर रखी है। इन आश्रमों और मंदिरों के लिए ज़मीन हरियाणा के नेताओं ने अपने-अपने कार्यकाल में लुटाया था। 

इनकी सूची इस तरह है – सिद्धदाता आश्रम, राधास्वामी सत्संग,  परमहंस आश्रम, जगत गुरू धाम, गोपाल गौशाला, नारायण गौशाला, शिव मंदिर, हनुमान मंदिर (तिलकराज बैसला), माँगर पहाड़ी का मंदिर। कुछ ज़मीनों को मंदिर के नाम पर क़ब्ज़ाया गया लेकिन उसका इस्तेमाल व्यावसायिक गतिविधियों के लिए हो रहा है।

बैंक्वेट हॉल का धंधा

अरावली ज़ोन में सबसे पहले डिलाइट गार्डन खुला। उसकी कामयाबी देखकर बाक़ियों ने भी यहाँ बैंक्वेट हॉल खड़े कर दिए। वन विभाग की ज़मीन पर यहाँ क़रीब 30 बैंक्वेट या मैरिज हॉल हैं। इनके मालिकों ने दबंगों से यहाँ ज़मीनें ख़रीदीं। दबंगों ने इसे अपनी पुश्तैनी जायदाद बताते हुए बेचा। लेकिन बहुत सारी ज़मीनें पावर आफ अटार्नी पर हैं। बैंक्वेट हॉल मालिक ने जिससे ये ज़मीनें लीं, दरअसल वकील मुकुल रोहतगी उन्हीं को उसका मालिक कह रहे हैं। लेकिन हक़ीक़त में वो ज़मीन वन विभाग की है। जहां पीएलपीए लागू है। 

मानव रचना यूनिवर्सिटी को बचाने की तैयारी

17 जुलाई 2021 को सूरजकुंड रोड पर स्थित मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल के कन्वेन्शन हॉल में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की केंद्रीय प्रबंध समिति की बैठक हुई थी जिसमें चंपत रॉय और आलोक कुमार से लेकर तमाम बड़े बड़े विहिप और संघ के पदाधिकारी आए थे। यह कोई साधारण बैठक नहीं थी। इस बैठक के हित मानव रचना इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं। बैठक का पूरा खर्च मानव रचना के मालिक ने उठाया था। खोरी जब टूट रहा था, उसी दौरान यह बैठक हो रही थी। दरअसल, खोरी पर सुप्रीम कोर्ट का हथौड़ा चलने के बाद तमाम शिक्षण संस्थानों और फार्म हाउस मालिकों में खलबली मची हुई है कि कैसे और किसकी शरण में जाकर वे तोड़फोड़ के दायरे में आने से बच सकते हैं। मानव रचना के मालिक को लगता है कि अयोध्या में मंदिर की जमीन का कथित घोटाला करने वाला चंपत रॉय उनकी यूनिवर्सिटी को टूटने से बचा लेगा।    

 अरावली में मानव रचना इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, मॉडर्न विद्या निकेतन (एमवीएन) स्कूल और अरावली इंटरनेशनल स्कूल की बिल्डिंगों को जिन लोगों ने देखा होगा, उन्हें लगा होगा कि इसके मालिकों ने बड़ी मेहनत से इन इमारतों को खड़ा किया होगा।  लेकिन जिस जमीन पर ये भव्य इमारतें खड़ी हैं,  उन्हें गलत ढंग से खड़ा किया गया है।

मानव रचना इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, मॉडर्न विद्या निकेतन (एमवीएन) स्कूल और अरावली इंटरनेशनल स्कूल वन विभाग हरियाणा की जमीन पर हैं, इसकी पुष्टि कुछ और तथ्यों की पड़ताल से भी होती है। जिसमें केन्द्रीय पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का पक्ष स्पष्ट है। बंधुआ मुक्ति मोर्चा के रमेश आर्य ने 22 और 23 जनवरी 2020 को आरटीआई के तहत केन्द्रीय पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से पूछा कि क्या मंत्रालय ने इन तीनों शिक्षण संस्थानों को कोई एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) और वन क्षेत्र को अनारक्षित घोषित करने का कोई प्रमाणपत्र जारी किया है। इसके जवाब में केन्द्र सरकार के इस मंत्रालय ने 14 फरवरी 2020 को जवाब दिया कि इस तारीख तक अब तक 12  प्रस्ताव हरियाणा सरकार ने एनओसी और अनारक्षित घोषित करने के भेजे हैं। मंत्रालय ने इन 12 प्रस्तावों में से तीन पर विचार किया। लेकिन इन तीनों शिक्षण संस्थानों का जिक्र मंत्रालय की सूची में नहीं है।

(यूसुफ किरमानी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं) 

यूसुफ किरमानी
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