बर्बर पुलिसिया नरसंहार के लिए जिम्मेदार असम के मुख्यमंत्री तत्काल इस्तीफा दें: सीपीआई (एमएल)

नई दिल्ली। सीपीआई एमएल ने दरांग जिले के मुस्लिम तबके पर किए गए बर्बर पुलिसिया बहशीपन की कड़े शब्दों में भर्त्सना की है। पार्टी ने इसको प्रायोजित करने वाले मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सर्मा से तत्काल इस्तीफे की मांग की है। इसके साथ ही उसने जमीन पर इसका नेतृत्व करने वाले सीएम के भाई और दरांग जिले के एसपी को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की है।

एक प्रेस विज्ञप्ति में पार्टी की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन ने कहा कि अपने घरों को गिराए जाने से नाराज दरांग जिले के गरीब मुस्लिम प्रदर्शनकारियों का नरसंहा देखकर पूरी दुनिया हतप्रभ है। रिपोर्ट बताती है कि मरने वालों की संख्या कम से कम तीन है और यह बढ़कर 10 तक जा सकती है। बहुत लोगों को दिल दहलाने वाली गंभीर चोटें आयी हैं। यहां तक कि बच्चों तक को नहीं बख्शा गया है।

सामने आया एक वीडियो हैरतअंगेज है। जिसमें बुलेटप्रूफ जैकेट पहने हथियारंबद सुरक्षा के जवान फायरिंग करते हुए एक निहत्थे शख्स पर लाठियां बरसा रहे हैं। जमीन पर गिरते ही उस शख्स के सीने में गोली दाग दी जाती है। दरांग डीएम के दफ्तर से जुड़ा एक फोटोग्राफर जो पुलिस फोर्स के साथ नत्थी था, को उस शख्स के सीने पर कूद कर चढ़ते हुए देखा जा सकता है। और वह उस शख्स की बेजान शरीर पर यह हरकत कई बार दोहराता है। कविता कृष्णन ने कहा कि यह वीडियो देश के हर ईमानदार नागरिक के लिए एक आखिरी चेतावनी है। उसे बीजेपी शासित केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे समुदायों के सफाए के इस नफरती अभियान के खिलाफ उठ खड़े होना चाहिए। उन्होंने कहा कि असम के मुस्लिम इस समय दोहरे खतरे से गुजर रहे हैं उन्हें एक तरफ इस्लामोफोबिया से गुजरना पड़ रहा है दूसरी तरफ घुसपैठिया विरोधी नफरत के भी वो शिकार हैं।

हैरत करने वाली बात यह है कि जमीन पर इस हत्यारी फोर्स का नेतृत्व करने वाला दरांग जिले का एसपी असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सर्मा का भाई है। उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि नरसंहार किसी गलती का नतीजा नहीं है यह सीएम दफ्तर की तरफ से निर्देशित जातीय खात्मे की नीति का हिस्सा है। अगर कोई न्याय होना है तो सबसे पहले एसपी और इस नरसंहार को अंजाम देने वालों को हत्या के जुर्म में तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री को बर्खास्त किया जाना चाहिए। और तत्काल कोर्ट की निगरानी में एक उच्च स्तरीय जांच बैठायी जानी चाहिए जो केंद्रीय गृहमंत्रालय से लेकर असम के मुख्यमंत्री और फिर दरांग के एसपी को दिए गए निर्देशों की पूरी श्रृंखला की जांच कर सके।  

यह सब कुछ बीजेपी द्वारा तैयार किए गए मुस्लिम विरोधी घृणा और विदेशी लोगों के खिलाफ बनाए गए माहौल का नतीजा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एनआरसी और सीएए पर असम में बोलते हुए मुसलमानों को बार-बार दीमक की संज्ञा दी थी। सत्ता में बैठे लोगों की इस तरह की मानव विरोधी भाषा हमेशा लोगों को जातीय खात्मे के लिए उकसाने का काम करती है। क्योंकि यह राज्य की मशीनरी और पार्टी के कैडर को इंगित करती है कि उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाकर उनके खात्मे के लिए काम करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ध्वस्तीकरण के अभियान को लेकर असम के मुख्यमंत्री द्वारा इस्तेमाल की गयी भाषा ने इन नरसंहार को अंजाम दिया है और इसके साथ ही इसने ही जातीय खात्मे की इस मंशा की तरफ इशारा किया है। उन्होंने इस बात की घोषणा की थी कि अतिक्रमण को ध्वस्त कर अवैध घुसपैठियों को निकाला जाना है जिससे कि स्थानीय असमी लोगों को उसमें बसाया जा सके। यह भाषा कि कुछ निश्चित समुदायों की जमीन को अवैध तरीके से हासिल करना जिन्हें अवैध घुसपैठिया बताया जा रहा है और फिर उसे दूसरे समुदायों में वितरित करना जिन्हें देसी बताया जा रहा है, विदेशी विरोधी और सामुदायिक खात्मे के आह्वान को पूरी तरह से नंगा कर देता है। हत्या इसका दूसरा निश्चित कदम है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि ध्वस्तीकरण के अभियान को तत्काल खत्म किया जाना चाहिए। और उन सभी का जिन्हें बेघर कर दिया गया है बगैर देरी किए पुनर्वास किया जाना चाहिए।

कविता कृष्णन ने कहा कि सीपीआई एमएल की केंद्रीय टीम जल्द ही असम का दौरा करेगी। उन्होंने कहा कि हम देश के लोगों से इस नरसंहार का विरोध करने की अपील करते हैं। इसके साथ ही न्याय के साथ ही जिंदा बचे लोगों और सफाए के अभियान का सामने करने वाले समुदायों के लिए सुरक्षा की मांग उठाने की गुजारिश करते हैं।

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