नई दिल्ली/पटना। बामसेफ और बहुजन क्रांति मोर्चा की ओर से सीएए के खिलाफ बुलाए गए बंद का देशव्यापी असर देखा गया। राजधानी दिल्ली में जंतर-मंतर पर एक बड़ा प्रदर्शन हुआ। इसके साथ ही लखनऊ और भागलपुर समेत देश के तमाम हिस्सों में कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे। सूरत में बंद का अच्छा-खासा असर देखा गया। सीएए के खिलाफ जारी इस आंदोलन में बहुजनों की इस स्तर की भागीदारी ने इसे एक नया रंग दे दिया है।
जंतर-मंतर पर आज बहुजनों का बड़ा जमावड़ा हुआ। इस दौरान हुई सभा में नेताओं ने केंद्र सरकार से तत्काल सीएए वापस लेने की मांग की। उनका कहना था कि इसका प्रभाव सबसे ज्यादा गरीबों पर पड़ने जा रहा है। और उसकी चपेट में सबसे पहले दलित और अतिपिछड़े समेत बहुजनों का बड़ा हिस्सा आने वाला है। लिहाजा पूरा बहुजन समाज इस कानून के खिलाफ है। और सरकार अगर वापस नहीं लेती है तो इस आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
बंद के समर्थन में जगह-जगह वामदलों की कतारें भी आगे आयीं। बिहार में वामपंथी कार्यकर्ताओं ने बहुजनों के साथ मिलकर जगह-जगह जुलूस निकाले और प्रदर्शन किया। राजधानी पटना में भाकपा-माले, सीपीआई-एम और सीपीआई के कार्यकर्ताओं ने बुद्धा स्मृति पार्क से मार्च निकाला और डाकबंगला चौराहे को जाम कर दिया।
डाकबंगला चौराहा के एक छोर को बंद समर्थकों के इस जत्थे ने जाम कर दिया। अन्य छोरों के दूसरे जत्थे पहले से ही जाम किए हुए थे। वहां पर बंद समर्थक शांतिपूण तरीके से अपनी बात कह ही रहे थे कि पुलिस ने आइसा नेता संतोष आर्या पर लाठी चला दी और उनकी बर्बर तरीके से पिटाई की गई। विरोध करने पर पुलिस और उग्र हो गई और उसने धक्कामुक्की करनी शुरू कर दी। इस धक्कामुक्की में इनौस नेता सुधीर कुमार सहित कई लोग घायल हो गय। डाकबंगला चैराहा पर सीपीआई के अन्य नेतागण भी उपस्थित थे।
माले पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा ने कहा कि पुलिस दमन से ये आंदेालन रुकने वाले नहीं है। आज इसका चौतरफा विस्तार हो रहा है। नीतीश बिहार की जनता को भरमाना बंद करें। वे यह बताएं कि यदि एनपीआर पर उन्हें आपत्ति है, तो उन्होंने उसे लागू करने का नोटिफिकेशन क्यों जारी कर दिया? उन्होंने आगे कहा कि शरजील इमाम की बातों से हम सहमत नहीं हैं, लेकिन यह एकतरफा कार्रवाई है। आखिर अमित शाह, अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा जैसे लोगों और पूरे संघ गिरोह पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है, जो दिन-रात देश के संविधान का मजाक उड़ा रहे हैं।
सीपीआईएम नेता अरूण मिश्रा ने अपने वक्तव्य में कहा कि केरल की तर्ज पर बिहार विधानसभा से इन काले कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव लिए जाने की मांग पर हमारी लड़ाई जारी है। नीतीश कुमार इधर-उधर की बात करने की बजाए इन काले कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करें।
वाम नेताओं ने डाकबंगला चौराहे पर बंद समर्थकों पर लाठीचार्ज की घटना की निंदा की।
दरभंगा में आज बंद के समर्थन में माले कार्यकर्ताओं ने मार्च निकाला और पंडासराय गुमटी पर सड़क जाम कर सभा आयोजित की। बेतिया में माले नेता वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता के नेतृत्व में बंद के समर्थन में मार्च निकला। पूर्वी चंपारण में सुगौली में आम नागरिकों द्वारा भारत-नेपाल को जोड़ने वाली अंतराष्ट्रीय सड़क को तीन घंटे तक के लिए जाम किया गया।
इसके अलावा भागलपुर में भी बंद के समर्थन में युवाओं ने जुलूस निकाला। बाद में सभा हुई जिसमें मोदी सरकार से इस काले कानून को तत्काल वापस लेने की मांग की गयी।