नई दिल्ली। देश के अलग-अलग राज्यों में हुए विधानसभा उप चुनाव के नतीजे केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी गठबंधन के लिए खतरे की घंटी है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आए इन नतीजों ने जनता की सोच का वैरोमीटर क्या है उसको सामने ला दिया है। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम 7 विधान सभा के इन उप चुनावों में चार विपक्ष और तीन सत्तारूढ़ गठबंधन की झोली में जाते दिख रहे हैं। इनमें त्रिपुरा की दो सीटें भी शामिल हैं जहां दोनों पर बीजेपी की जीत हुई है।
बहरहाल वोटों का सबसे दिलचस्प रुझान यूपी के घोसी का है। मुख्यमंत्री योगी के इलाके से जुड़े इस विधानसभा क्षेत्र को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे थे। इसको जीतने के लिए पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। चुनाव से ठीक पहले उसने पूर्वांचल में और खासकर राजभरों के बीच अपना अच्छा खासा असर रखने वाले ओम प्रकाश राजभर को सपा से खींच कर अपने पाले में किया था। दारा सिंह चौहान सपा छोड़कर बीजेपी में गए ही थे और यह उनकी अपनी सीट थी। माना जा रहा था कि बीजेपी के परंपरागत सवर्ण वोट, दारा सिंह चौहान का अपना जातीय सामाजिक आधार और अति पिछड़ों के साथ ही राजभर और निषाद समुदाय के समर्थन से पार्टी चुनाव जीत लेगी। लेकिन यहां तो बीजेपी का पूरा गणित ही फेल हो गया। सपा की ओर से सुधाकर सिंह मैदान में उतारे गए और उन्हें इंडिया गठबंधन के सभी दलों का सक्रिय समर्थन मिला। बताया तो यहां तक जा रहा है कि ठाकुर वोट तक बीजेपी को नहीं गया।
आज़मगढ़ में सक्रिय और एक पुराने राजनीतिज्ञ जो घोसी चुनाव प्रचार में गए थे और पूर्वांचल की राजनीति में बेहद गहरी समझ रखते हैं, का कहना था कि ठाकुरों का 80 फीसदी तक वोट सपा प्रत्याशी को मिला है। इसके अलावा यादव और अल्पसंख्यक पूरे के पूरे विपक्ष यानी सपा के साथ रहे। साथ ही राजभर वोटों में भी विभाजन हुआ। जिसका नतीजा यह है कि सुधाकर सिंह ने बीजेपी के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान पर तकरीबन 28 हजार मतों की बढ़त बना ली है। और इसे निर्णायक बढ़त माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले माना जा रहा था कि यूपी और गुजरात बीजेपी की झोली में हैं। लेकिन घोसी की चुनावी तस्वीर बीजेपी के लिए किसी और ही संकट की ओर इशारा कर रही है। क्या बीजेपी का हाईकमान इसको सुन रहा है? खबर लिखे जाने के समय सुधाकर सिंह को 88701 मत मिले थे जबकि दारा सिंह चौहान को 60712।
इसके अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा ने झारखंड की डुमरी सीट जीत ली है लेकिन नतीजा अभी नहीं घोषित किया गया है। यहां जेएमएम की बेबी देवी को 100317 मत मिले हैं जबकि एजेएसयू यानि ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियनकी यशोदा देवी को 83184 मत। बीच में एक ऐसा भी मौका आया था जब एजेएसयू आगे हो गया था। इस तरह से जेएमएम यहां 17153 मतों से आगे है। यहां भी इंडिया गठबंधन ने बढ़त हासिल कर ली है। इस सीट पर सभी चक्रों की मतगणना हो गयी है। लेकिन नतीजा अभी नहीं घोषित हुआ है। लेकिन इस बढ़त के साथ ही समझा जा सकता है कि सीट जेएमएम की झोली में चली गयी है।
कुछ यही हाल पश्चिम बंगाल के धुपगुरी सीट की है। यहां सभी 11 चक्रों की मतगणना हो गयी है। टीएमसी यानी त्रिणमूल कांग्रेस के निर्मल चंद्र राय 4309 वोटों की बढ़त बनाए हुए हैं। उनको 97613 वोट हासिल हुए हैं। जबकि बीजेपी की तापसी रॉय को 93304 मत मिले हैं। सीपीएम के ईश्वर चंद्र रॉय को 13758 वोट हासिल हुए हैं।
इसके साथ ही केरल के पुथुप्पल्ली सीट पर कांग्रेस का कब्जा हुआ है। यह सीट ओमान चांडी की मौत के बाद खाली हुई थी। पार्टी ने यहां से उनके बेटे एडवोकेट चांडी ओमेन को अपना प्रत्याशी बनाया था। उन्हें 80144 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी और सीपीएम के प्रत्याशी जैक सी थॉमस को 42425 मत मिले।
बीजेपी की जीती हुई सीटों में उत्तराखंड की बागेश्वर और त्रिपुरा की दो सीटें बोक्सा नगर और धानपुर हैं। बागेश्वर में बीजेपी ने पार्वती दास को मैदान में उतारा था। उन्हें 33247 मत मिले जबकि उनके सामने कांग्रेस ने बसंत कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया था। उन्हें 30842 मत मिले। इस तरह से कांग्रेस महज 2405 वोटों से मात खा गयी। लेकिन यह बताता है कि विपक्ष यहां सत्ता पक्ष को कड़ी टक्कर दे रहा है।
त्रिपुरा में बोक्सानगर सीट पर बीजेपी के तफाज्जल हुसैन जीते हैं। यह जीत उन्होंने 30237 मतों से हासिल की है। उन्हें 34146 वोट मिले हैं जबकि उनके सामने सीपीएम प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरने वाले मिजान हुसैन को महज 3909 वोटों से संतोष करना पड़ा है। इस तरह से कहा जा सकता है कि सीपीएम की यहां बुरी तरीके से हार हुई है।
सूबे की दूसरी सीट धानपुर थी। यहां से बीजेपी के ही बिंदू देवनाथ जीते हैं। उन्हें कुल 30017 वोट मिले जबकि उनके सामने सीपीएम ने कौशिक चंदा को उतारा था। उन्हें 11146 मत मिले। इस तरह से बीजेपी प्रत्याशी 18871 मतों से जीत गया।
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