डोनाल्ड ट्रंप की धमकी के आगे झुककर मोदी जी ने देश को शर्मसार किया है

नरेंद्र मोदी ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में कई बार शर्मसार किया। लेकिन पता नहीं क्यों यह उम्मीद फिर भी बची थी कि जब देश की संप्रभुता एवं सम्मान का प्रश्न आएगा, तो भारत के एक नागरिक के तौर पर मुझे और मेरे जैसे अन्य लोगों को शायद वे शर्मसार नहीं होने देंगे। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के मामले में डोनाल्ड ट्रंप की धमकी के आगे पूरी तरह नतमस्तक होकर उन्होंने देश की संप्रभुता एवं सम्मान को गहरी चोट पहुंचाई है।

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मलेरिया की दवा है, जो इस समय कोरोना के खिलाफ संघर्ष में सबसे कारगर तौर पर इस्तेमाल हो रही है। जिसे अमेरिका ने मांगा और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दिया कि यदि भारत यह दवा नहीं देगा, तो अमेरिका उसके खिलाफ कार्रवाई करेगा। भारत ने कोरोना संकट को देखते हुए इस दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा था।

अपने देश को प्यार करने वाले एक नागरिक के तौर मोदी जी के इस व्यवहार से मेरा  सिर शर्म से झुक गया है। मैं सोचता था जब भी कोई देश भारत की संप्रभुता एवं सम्मान को रौंदने की कोशिश करेगा, तो मोदी जी जरूर बराबरी पर खड़े होकर उसका जवाब देंगे।

जिस मनमोहन सिंह को वे कमजोर प्रधानमंत्री कहते नहीं थकते हैं, उन्होंने भारतीय राजनयिक देवयानी खोब्रागड़े  मामले में जिस तरह अमेरिका को कड़ा जवाब दिया, वह इस बात का प्रमाण था कि देश की संप्रभुता एवं गरिमा के मामले में वे मोदी जी के बहुत अधिक मजबूत थे।

देवयानी खोब्रागड़े को वीजा धोखाधड़ी और घरेलू नौकरानी का आर्थिक शोषण करने के आरोप में दिनांक 12 दिसम्बर 2013 को सार्वजनिक रूप से हथकड़ी लगाते हुये न्यूयार्क पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया। बाद में उन्होंने न्यायालय में कहा कि वह दोषी नहीं हैं। इसके बाद उन्हें ढाई लाख डॉलर के बॉन्ड पर रिहा किया गया। गिरफ्तार भारतीय राजनयिक देवयानी खोब्रागड़े के कपड़े उतरवाकर तलाशी लेने, उनकी डीएनए स्वैबिंग और पुलिस स्टेशन में सेक्स वर्करों, अपराधियों और नशेड़ियों के साथ खड़ा करने की बात जब सामने आई तो मनमोहन सिंह की सरकार ने इसका कड़ा विरोध किया।

सख्ती बरतते हुए भारत ने नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के सामने से सारे बैरिकेड हटा लेने के निर्देश दिए। भारत ने अमेरिकी दूतावास के लिए भेजे जाने वाले खाने, शराब आदि सब चीज़ों के क्लियरेंस रोक दिया । साथ ही सरकार ने सारे डिप्लोमैटिक स्टाफ के एयरपोर्ट पास भी वापस ले लिए। अमेरिकी कॉन्स्युलेट्स में कार्यरत भारतीय स्टाफ को दिये जाने वाले वेतन का विवरण भी मांगा गया। इस मामले में कड़े ऐतराज के बाद अमेरिका को झुकना पड़ा। अमेरिकी विदेश विभाग को कहना पड़ा कि वो देवयानी मामले में गिरफ्तारी की प्रक्रिया की समीक्षा करेगा। इस पूरे प्रकरण में उनके वकील डेनियल एन अर्शहाक ने कहा कि अपने राजनयिक दर्जे के कारण खोब्रागड़े को मुकदमे से छूट मिली हुई है।

उन्हें यह भी कहना पड़ा कि यह पूरा अभियोजन फैसले में बेहद गंभीर भूल को दर्शाता है और यह अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल की शर्मनाक असफलता है। बाद में देवयानी की गिरफ्तारी और बदसलूकी मामले पर तनाव बढ़ने के बाद अमेरिका को खेद जताना पड़ा। अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन को फोन कर देवयानी मामले पर खेद प्रकट किया।

डोनाल्ड ट्रंप की धमकी के सामने पूरी तरह झुक जाने के, मोदी जी के इस व्यवहार की मैं सिर्फ एक ही व्याख्या कर पा रहा हूं, वह यह कि जिस हिंदू संस्कृति को मोदी जी अपना आदर्श मानते हैं, उसका मूल लक्षण है, अपने से ताकतवर के सामने रिरियाना-साष्टांग दंडवत- और अपने से कमजोर को शेर की तरह दहाड़ते हुए ललकारना। वर्ण-जाति व्यवस्था इसी पिरामिड़ के आधार पर खड़ी थी और है।

मोदी निरंतर अपने पड़ोसी पाकिस्तान के खिलाफ दहाड़ते रहते हैं, उसे सबक सिखाने की चेतावनी देते रहते हैं, उसके खिलाफ ऐसे बोलते हैं,जैसे कितने साहसी एवं बहादुर हों, लेकिन जिस तरह से उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप की धमकी के आगे झुक कर तुरंत ही अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात की इजाजत दे दी, उससे यह पता चलता है कि वे कमजोरों के संदर्भ में बहादुर एवं साहसी दिखते हैं, लेकिन थोड़े से मजबूत के सामने अपनी रीढ़ झुका देते हैं।

यहां एक बात स्पष्ट कर देना जरूरी है कि कोई भी इंसान आज की तारीख में इस बात का विरोध नहीं कर सकता है, न करना चाहिए कि दुनिया के देश आपस में कोरोना से पैदा हुए वैश्विक मानवीय संकट में एक दूसरे का सहयोग और सहायता  करे। यदि भारत अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन देने की स्थिति में था, तो उसे जरूर देना चाहिए। अमेरिका ही नहीं, किसी भी अन्य देश को भी दिया जाना चाहिए, जिसे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो। लेकिन इसकी दो शर्तें होनी चाहिए। पहली बात तो यह कि हम किसी की धमकी के आगे झुक कर कोई लेन-देन करने वाले नहीं हैं और दूसरी बात यह कि भारतीयों की जान की कीमत पर हम किसी की फिलहाल सहायता नहीं कर सकते हैं।

लेकिन मोदी जी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकी के सामने पूरी तरह झुक गए। उन्होंने कोई प्रतिवाद नहीं किया और अमेरिकी धमकी आते ही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर से प्रतिबंध हटा लिया और अमेरिका को भेजने की घोषणा कर दी।

भारत के प्रधानमंत्री के रूप में मोदी जी ने अमेरिकी धमकी के आगे झुककर पूरे देश को शर्मसार किया है। इतिहास में यह लिखा जाएगा कि भारत के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी थे, न कि मनमोहन सिंह।

(डॉ. सिद्धार्थ जनचौक के सलाहकार संपादक हैं। और आजकल दिल्ली में रहते हैं।)

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