बनारस के गांधी संस्थान पर चलेगा बुलडोजर, खाली जमीन पर बनेगा पंच सितारा मॉल !

वाराणसी के सर्व सेवा संघ परिसर पर सत्ता की कुदृष्टि पड़ गई है। मोदी सरकार ने सर्व सेवा संघ परिसर में स्थित भवनों को ध्वस्त करने का नोटिस चस्पा कर दिया है। नोटिस में लिखा है कि उत्तर रेलवे प्रशासन 30 जून, 2023 को सुबह 9 बजे सर्व सेवा संघ परिसर में स्थित सभी ‘अवैध निर्माण’ को ध्वस्त करने जा रही है। नोटिस में सर्व सेवा संघ को अतिक्रमणकर्ता बताते हुए उनके द्वारा पिछले 60 वर्षों में किए गए सभी निर्माण को अवैध बताया है।

उत्तर रेलवे प्रशासन के इस नोटिस के बाद सर्व सेवा संघ के कार्यकर्ताओं में ही नहीं साबरमती, वर्धा, दिल्ली और देश भर में स्थित गांधी संस्थाओं के अस्तित्व पर संकट के बादल मडराने लगे हैं। उत्तर रेलवे द्वारा ध्वस्तीकरण की नोटिस ने न केवल गांधीजनों बल्कि हर लोकतंत्र पसंद व्यक्ति को आश्चर्य चकित कर दिया है। सवाल उठ रहा है कि 1960 में रेलवे से बैनामा ली गई जमीन अचानक अवैध कैसे हो गई?

सर्व सेवा संघ परिसर में उत्तर रेलवे ने चिपकाया नोटिस

गौरतलब है कि आचार्य विनोबा भावे की पहल पर पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के सहयोग से सर्व सेवा संघ ने 1960, 1961 एवं 1970 में रेलवे से खरीदा है, जिसका डिविजनल इंजीनियर उत्तर रेलवे, लखनऊ द्वारा हस्ताक्षरित तीन रजिस्टर्ड सेल डीड हैं। 1960 में खरीद की जमीन की रकम रुपये 26,730, 1961 में खरीद की गयी जमीन की रकम रुपये 3,240 एवं 1970 में खरीद की गयी जमीन की रकम रुपये 4,485 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, वाराणसी के क्रमश: ट्रेजरी चलान नं. 171 दि. 5 मई 1959, ट्रेजरी चलान नं. 31 दि. 27.04.1961 एवं ट्रेजरी चलान नं. 3 दि. 18.01.1968 के माध्यम से भुगतान किया गया है और यह रकम सरकार के खजाने में गयी है।

पहले उत्तर रेलवे प्रशासन ने इसे कूटरचित दस्तावेज बताया। और अब इसे अवैध अतिक्रमण बता रहा है। उत्तर रेलवे और बनारस जिला प्रशासन का यह कृत्य आचार्य विनोबा भावे, राधाकृष्ण बजाज, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन राम एवं डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे व्यक्तित्वों को लांक्षित करना है।

सर्व सेवा संघ गांधी विचार का राष्ट्रीय शीर्ष संगठन है। इसकी स्थापना मार्च 1948 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए सम्मेलन में हुआ। इस सम्मेलन में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू सहित शीर्ष राष्ट्रीय नेताओं यथा–आचार्य कृपलानी, आचार्य विनोबा भावे, मौलाना अबुल कलाम आजाद, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, जेसी कुमारप्पा एवं अन्य नेता उपस्थित थे।

प्रशासन की अंधेरगर्दी के विरोध में गांधीजन

उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज कहते हैं कि “ ये पूरा कैंपस ध्वस्त करने वाले हैं। अंधेरगर्दी है। ऐसा तो इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी में भी नहीं किया था जबकि हम लोग इंदिरा गांधी के प्रबल विरोधी थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया जैसा कि यह भाजपा सरकार कर रही है।”

रामधीरज ने बताया कि “आज 1:00 बजे जिलाधिकारी ने अपने फैसले की कॉपी सर्व सेवा संघ को दी है और 2:00 बजे रेलवे के अधिकारियों ने सभी बिल्डिंगों पर नोटिस चिपका दिया कि 30 जून को पूरे परिसर को गिराया जाएगा। ऐसा तो इमरजेंसी के समय भी नहीं हुआ था। जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी को चुनौती दी थी, फिर भी उन्होंने बहाना बनाकर परिसर को नहीं गिराया। भाजपा सरकार गांधी, विनोबा, जयप्रकाश नारायण का नाम भारत के इतिहास से मिटाना चाहती हैं। भाजपा के इस कृत्य के सामने तो शैतानियत और अंधेरगर्दी जैसे शब्द भी बेमानी है। रावण, नादिरशाह, चंगेज खां, तैमूर लंग, हिटलर जैसे तानाशाह और लुटेरे भी आज अपने को बौना महसूस कर रहे होंगे।”

पहले गांधी विद्या संस्थान पर कब्जा अब पूरे परिसर के ध्वस्तीकरण का नोटिस

15 मई, 2023 को परिसर में भारी पुलिस बल के साथ मजिस्ट्रेट और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के पदाधिकारियों का आना हुआ। और पता चला कि मण्डलायुक्त महोदय के आदेश के अनुसार गांधी विद्या संस्थान की लाइब्रेरी, प्रशासनिक भवन एवं परिसर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र को दे दिया गया है। मण्डलायुक्त का आदेश भी सर्व सेवा संघ को नहीं दिया गया।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1960 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने सर्व सेवा संघ को गांधी विचार के उच्च अध्ययन एवं शोध के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना का सुझाव दिया। तद्नुसार सर्व सेवा संघ ने अपनी जमीन पर राजघाट, वाराणसी में ‘दी गांधियन इन्स्टीट्यूट ऑफ स्टडीज’(गांधी विद्या संस्थान) की स्थापना की।

प्रदीप सिंह

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  • Congress sahi कह रही ye हिन्दू के सबसे बड़े khud विरोधी he,,,ye संविधान,,kya मनुस्मृति लागू krna चाहते,,,आने vali पीढ़ी के सींच को बदलना chah रहे,,ki देश ye हे,,ye hi देश हे,,आज sharm आती हे इन्हें सत्ता देने valo ko जनता को khud आगे आकर सोचना समझना चाहिए

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प्रदीप सिंह