दिल्ली: रिपोर्टिंग पर गए कारवां के तीन पत्रकारों पर भगवा गैंग का हमला, महिला पत्रकार को शिश्न खोलकर दिखाया

नई दिल्ली। दिल्ली के भजनपुरा में एक रिपोर्ट के लिए गए ‘द कारवां’ मैगजीन के तीन पत्रकारों पर भगवा गैंग के लोगों ने हमला किया है। साथ में मौजूद एक महिला पत्रकार का सेक्सुअल हैरेसमेंट भी किया गया। उस महिला पत्रकार को युवा पुरुषों की एक भीड़ ने घेर लिया और फिर उसकी तस्वीरें और वीडियो बनानी शुरू कर दी। इस दौरान उसके साथ अभद्र और अश्लील व्यवहार किया गया। एक मध्यम आयु वर्ग के व्यक्ति ने अपने जननांगों को उसके सामने खोलकर दिखाया, अपने शिश्न को हिलाया और अपने चेहरे पर बेहद अश्लील भाव भंगिमा बनायी। 

जैसे ही महिला पत्रकार ने दौड़कर भजनपुरा स्टेशन तक पहुंचने का प्रयास किया, भीड़ ने उस पर फिर से हमला बोल दिया, हमलावरों ने उन्हें उनके सिर, हाथ, कूल्हों और छाती पर पीटा। महिला पत्रकारों को पीटने और बदसलूकी करने वालों में भगवा कुर्ते में वह व्यक्ति भी था जिसे भाजपा महासचिव बताया गया था, उसके साथ दो महिलाएँ भी थीं। 

खुद ‘द कारवां’ के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल ने अपने ट्विटर हैंडल पर हमले की पुष्टि की है। 

रिपोर्टिंग करने गए दोनों पत्रकार प्रभजीत सिंह और शाहिद तांत्रे हैं। सूचना के मुताबिक एक महिला सहकर्मी के साथ ‘द कारवां’ के तीन पत्रकार सांप्रदायिक तनाव पर रिपोर्टिंग के सिलसिले में गए थे। दरअसल 5 अगस्त की रात को अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास समारोह के बाद भजनपुरा के सुभाष मोहल्ला में उस वक्त तनाव फैल गया था जब राम मंदिर समारोह का जश्न मनाने वाले एक भगवा समूह ने कथित रूप से मुस्लिम विरोधी नारे लगाए थे और सुभाष मोहल्ला में उस दिन घर-घर भगवा झंडे लगाए गए थे। इन पत्रकारों को एक मस्जिद पर भगवा झंडा भी फहराए जाने की खबर मिली थी।

हमले की घटना के बाद पत्रकार नजदीकी थाने में अपने शिकायत दर्ज़ करवाने गए। 

‘द कारवां’ की ओर से ट्विटर पर जारी एक बयान में बताया गया है कि “ लोगों के एक समूह ने पत्रकारों पर शारीरिक हमला किया, उन्हें मारने की धमकी दी और सांप्रदायिक अपशब्दों का इस्तेमाल किया। उनमें से एक, भगवा कुर्ता पहने हुए था, दावा किया गया कि वह “भाजपा महासचिव (जनरल सेक्रेटरी)” है। शाहिद तांत्रे नाम पढ़ने पर, हमलावरों ने, जिसमें वो कथित भाजपा महासचिव भी शामिल था, उक्त पत्रकार को पीटा और उसके लिए सांप्रदायिक अपशब्दों का इस्तेमाल किया। और जान से मारने की धमकी दी।”

बाद में स्थानीय पुलिस कर्मी पत्रकारों को भजनपुरा पुलिस स्टेशन पर ले जाने में सफल रहे। पुलिस को दिए अपनी लिखित शिकायत में, प्रभजीत सिंह ने कहा है कि वे उपस्थित नहीं थे, पर उस भगवा-धारी व्यक्ति की अगुवाई में भीड़ ने शाहिद को उनकी मुस्लिम पहचान के लिए मारा होगा।”  

‘द कारवां’ के मुताबिक “भीड़ ने महिला पत्रकार का फिजिकल और सेक्सुअल हैरेसमेंट किया। जब भीड़ ने उक्त महिला पत्रकार पर हमला शुरू किया तो उसी दरम्यान शाहिद तान्त्रे और प्रभजीत सिंह, भगाने और पड़ोसी की गली में छुपने में कामयाब रहे।”

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में तांत्रे ने बताया, “जब हम लोग वीडियो शूट कर रहे थे, तभी दो युवक आए और पूछा कि क्यों वीडियो बना रहे हो? हमने उन्हें बताया कि हमें एक फोन कॉल पर सूचना मिली है कि मस्जिद के पास भगवा झंडा लहराया जा रहा है। इसके बाद उसने पूछा कि उसका नाम बताओ जिसने फोन किया तो हमने मना कर दिया। तब उसने मुझे और जिसने कॉल किया उसे जान से मारने की धमकी दी। थोड़ी ही देर में उस शख्स ने वहां करीब सौ से ज्यादा लोगों को बुला लिया। इन लोगों ने हमें घेर लिया, हम उनके बीच 2 बजे दोपहर से लेकर करीब 3.30 बजे तक फंसे रहे। वह शख्स बार-बार मेरा आई कार्ड मांग रहा था। जब उसने आई कार्ड पर मेरा नाम देखा तो वह भड़क गया और गाली देने लगा।”

प्रभजीत सिंह ने कहा, “भीड़ ने तांत्रे के कैमरे को छीनने की कोशिश की और उसके साथ मारपीट की।” तांत्रे ने बताया कि लोग उसे कैमरे से वीडियो और फोटो डिलीट करने को कह रहे थे, जब उसने ऐसा नहीं किया तो लोग उसे घूसे और तमाचा मारने लगे। करीब डेढ़ घंटे बाद पुलिस वहां पहुंची तो उन्हें वहां से निकाला जा सका। इन लोगों ने आरोप लगाया है कि घटना के वक्त वहां दो पुलिसकर्मी भी थे।

दिल्ली पुलिस का बयान

उत्तर पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त वेद प्रकाश सूर्या ने ‘द कारवां’ के तीन पत्रकारों पर हमले की घटना की पुष्टि की है। उनके मुताबिक “’द कारवां’ के पत्रकार जब रिपोर्ट के सिलसिले में उस इलाके में गए तो इलाके के लोग नाराज़ हो गए थे। पुलिस ने तीनों को सुरक्षित निकाला। किसी को कोई बड़ी चोट नहीं आई है। एफआईआर दर्ज करने से पहले हम एक जांच करेंगे … हमारे पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वे वहां क्यों गए।”

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

सुशील मानव
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