सीजेआई ने अड़ा दी टांग और सीबीआई चीफ की दौड़ से बाहर हो गए मोदी के चहेते राकेश अस्थाना

सीबीआई के नए चीफ के नाम पर उच्चस्तरीय बैठक में चीफ जस्टिस एनवी रमना ने दिया एक नियम का हवाला दिया जिससे मोदी सरकार की पसंद राकेश अस्थाना या फिर वाईसी मोदी पर पानी फिर गया। चर्चा के दौरान चीफ जस्टिस रमना ने छह महीने के नियम का हवाला दिया, जिसका पहले सीबीआई डायरेक्टर के चयन के दौरान हमेशा अनदेखा किया गया। यानि पहली बार देश को एक ऐसा चीफ जस्टिस मिला है, जिसने प्रधानमन्त्री की चाहत के बजाय नियमों के अनुपालन को तरजीह दी है। इससे यह भी स्पष्ट हो रहा है कि जस्टिस रमना के पहले के चीफ जस्टिस ऐसे मामलों में सरकार के इच्छा के सामने लम्बवत रहते थे।   

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) के नए निदेशक की नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति ने सोमवार को चर्चा की। बैठक में उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने एक-एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे लोगों को पुलिस चीफ जैसे पदों पर नहीं बैठाना चाहिए जिनका कार्यकाल 6 महीने से कम बचा हो। चीफ जस्टिस ने कहा कि पैनल को नियम के आधार पर ही किसी नाम पर विचार करना चाहिए। इसके बाद सरकार की ओर से शॉर्टलिस्ट किए गए दो नाम राकेश अस्थाना और वाईसी मोदी रेस से बाहर हो गए हैं।

चर्चा के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमना ने ‘छह महीने के नियम’ का हवाला दिया, जिसको पहले सीबीआई डायरेक्टर के चयन के दौरान हमेशा नजरअंदाज किया गया। जस्टिस रमना ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र किया, जिसके मुताबिक जिन अधिकारियों की नौकरी में छह महीने से कम का समय बचा है, उनके नाम पर पुलिस प्रमुख पद के लिए विचार ना किया जाए।  साथ ही कहा कि चयन समिति को इस कानून का पालन करना चाहिए। पैनल में शामिल सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस नियम का समर्थन किया।

इस नियम की वजह से बीएसएफ के राकेश अस्थाना जो कि 31 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं और राष्ट्रीय जांच एजेंसी के वाईसी मोदी जो कि 31 मई को रिटायर हो रहे हैं, दोनों ही इस लिस्ट से बाहर हो गए। दोनों का नाम सरकार की लिस्ट में सबसे ऊपर था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर यह बैठक चार महीने की देरी से हुई है।  

नए निदेशक के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के महानिदेशक सुबोध कुमार जायसवाल, सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के महानिदेशक कुमार राजेश चंद्रा और केंद्रीय गृह मंत्रालय में विशेष सचिव वी. एस. के. कौमुदी ही रेस में बचे हैं। जायसवाल 1985 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी हैं और वह पूर्व में महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक पद पर रहे हैं। 90 मिनट की बैठक में पीएम मोदी, मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी वाले पैनल का पूरा फोकस महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी सुबोध कुमार जयसवाल, सशस्त्र सीमा बल के डीजी केआर चंद्र और गृह मंत्रालय के विशेष सचिव वीएसके कौमुदी पर रहा।

वर्तमान में वह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के महानिदेशक हैं। चंद्रा भी 1985 बैच के आईपीएस हैं और वह बिहार कैडर के अधिकारी हैं। वर्तमान में वह एसएसबी के महानिदेशक हैं जबकि कौमुदी 1986 बैच के आंध्र प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। वह केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा विभाग में विशेष सचिव हैं। वर्तमान में 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी और सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक प्रवीण सिन्हा सीबीआई निदेशक का प्रभार संभाल रहे हैं। सिन्हा को यह प्रभार ऋषि कुमार शुक्ला के सेवानिवृत्त होने के बाद सौंपा गया था। वह दो साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फरवरी में सेवानिवृत्त हुए थे।

CBI डायरेक्टर की पोस्ट फरवरी से खाली है। फरवरी तक इस पोस्ट पर ऋषि कुमार शुक्ल थे। उनके बाद प्रवीण सिन्हा CBI के अंतरिम प्रमुख हैं। इस पोस्ट के लिए सबसे वरिष्ठ IPS बैच यानी 1984 से 1987 के बीच के अफसरों के नामों पर विचार किया जाता है। सेलेक्शन पैनल सीनियॉरिटी, ईमानदारी, एंटी करप्शन केसों की जांच के एक्सपीरियंस के आधार पर CBI डायरेक्टर का चयन करता है।

फरवरी में पूर्व चीफ ऋषि कुमार शुक्ला का कार्यकाल खत्म होने के बाद से ये पद खाली पड़ा है। सीबीआई के एडिशनल डायरेक्टर, प्रवीण सिन्हा एजेंसी के अंतरिम चीफ का कार्यभार संभाल रहे हैं। नए सीबीआई चीफ नियुक्ति से अगले दो सालों तक के लिए ये पद संभालेंगे। कानून के मुताबिक, सरकारी पैनल सीबीआई डायरेक्टर का चयन ‘वरिष्ठता, अखंडता और एंटी करप्शन मामलों की जांच में अनुभव के आधार पर करता है।

बैठक के बाद, विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने किसी नाम पर आपत्ति तो नहीं जाहिर की, पर उन्होंने कहा कि कैंडिडेट्स के चयन में सरकार का रवैया लापरवाही भरा है। उन्होंने सेलेक्शन प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए। चौधरी ने कहा कि जिस तरह से प्रक्रिया का पालन किया गया, वह समिति के जनादेश के उलट था। चौधरी ने कहा कि 11 मई को उन्हें 109 नामों की लिस्ट दी गई थी, 24 मई दोपहर 1 बजे उन्हें शॉर्टलिस्ट किए 10 नाम दिए गए। शाम 4 बजे तक, इस लिस्ट में 6 और नाम जोड़ दिए गए।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जेपी सिंह
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