कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने लिखा शिक्षा मंत्री को खत, कहा- कोरोना के इस कहर में परीक्षा पर फिर से करें विचार

नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखकर उनसे कोरोना के प्रलयंकारी संकट को देखते हुए सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाओं पर फिर से विचार करने की गुजारिश की है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि रोजाना तकरीबन 1 लाख कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। इस बीच सीबीएसई बोर्ड ने मई में परीक्षा शुरू करने के अपने फैसले को लागू करने से जुड़ा एक सर्कुलर जारी किया है। उन्होंने कहा कि हालांकि छात्रों ने इसके लिए महीनों से तैयारी कर रखी है। लेकिन लाखों छात्रों और उनके अभिभावकों ने कोरोना को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है। अभिभावकों का कहना है कि छात्रों का एक स्थान पर इकट्ठा होना उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।

गांधी ने कहा कि उनकी ये आशंकाएं बेवजह नहीं हैं। उनके ठोस आधार हैं। उन्होंने कहा कि व्यवहारिक तौर पर छात्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित कर पाना तकरीबन असंभव है। और जिस गति से कोरोना बढ़ रहा है उसमें न केवल छात्र बल्कि परीक्षा हाल में उनकी गार्डी करने वाले शिक्षक से लेकर कालेज के दूसरे स्टाफ सदस्य भी इसकी चपेट में आने से बच नहीं सकेंगे। इसके अलावा अगर इस दौरान परीक्षा का कोई केंद्र हाटस्पाट बनता है तो छात्रों को परीक्षा में जबरन बैठने की खातिर मजबूर करने के लिए न केवल सरकार बल्कि सीबीएसई बोर्ड भी जिम्मेदार होगा।

उन्होंने कहा कि एक नेता के तौर पर हम लोगों की यह जिम्मेदारी बनती है कि हम युवाओं को दिशा देने के साथ ही उनकी रक्षा करें। जब हम एक राज्य के बाद दूसरे राज्य में लोगों को एक जगह इकट्ठा होने पर मना कर रहे हैं तब हमारे पास इस बात का क्या नैतिक आधार रह जाएगा कि हम छात्रों को वही करने के लिए मजबूर करें जिसको हम मना कर रहे हैं। इससे न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा बल्कि उनके मनोविज्ञान पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा। प्रियंका गांधी ने कहा कि वे पहले ही परीक्षा का दबाव महसूस कर रहे हैं। और अब उन्हें उन स्थितियों का दबाव भी झेलना पड़ेगा जिसमें वे परीक्षा दे रहे हैं। परीक्षा के दौरान इस जानलेवा बीमारी के डरावने साये में ग्लब्स, मास्क और दूसरे एहतियात के साथ बैठना उनके लिए गैरजरूरी तौर पर मानसिक दबाव की स्थिति पैदा कर देगा। और यह सब कुछ उनके प्रदर्शन को प्रभावित करेगा।

प्रियंका गांधी ने पत्र में कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में वो ठीक ही परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करती हैं कि सरकार स्कूलों, छात्रों और उनके अभिभावकों से बातचीत करेगी। और इस तरह से कोई ऐसा सुरक्षित रास्ता निकालेगी जिससे उनकी शैक्षिक जिम्मेदारियां पूरी हो सकें। बजाय इसके कि उन्हें एक खतरनाक स्थिति में जाने के लिए मजबूर किया जाए। और उनकी फिटनेस को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए यह सब कुछ आवश्यक सहयोग, उत्साहवर्धन और रक्षा के जरिये पूरा किया जाना है जो उनकी एक तरह से इस मौके की जरूरत भी बन जाती है।

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