हिंदू राष्ट्र के नाम पर बहुजन समाज पर मनुवादी-पूंजीवादी गुलामी थोपने की हो रही है साजिश

बिहार। भागलपुर के नवगछिया स्थित ‘आनंद निलय भवन’ में ‘सामाजिक न्याय आंदोलन’ के बैनर तले मनुवादी-सांप्रदायिक-कॉरपोरेट फासीवाद के हमले के खिलाफ सम्मान, हिस्सेदारी और बराबरी के लिए 29 अप्रैल को बहुजन संसद आयोजित किया गया।

इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. सुभाष चन्द्र ने कहा कि देश की वर्तमान कॉरपोरेट सरकार प्राकृतिक संसाधनों और सरकारी संपत्तियों में रेल, सेल, बैंक, बीमा, हवाई अड्डे और सड़क सहित सार्वजनिक क्षेत्रों को कॉरपोरेट घरानों के हवाले तो कर ही रही है। वहीं दूसरी तरफ बहुजन विरोधी नरेन्द्र मोदी की सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य के निजीकरण के जरिए बहुजनों को गरीबी और बदहाली में धकेलने की साजिश कर रही है।

दिल्ली से आए पत्रकार-लेखक डॉ.सिद्धार्थ रामू ने कहा कि जो भाजपा के साथ हैं, वो महात्मा फुले और डॉ. आंबेडकर के साथ नहीं हो सकते। बहुजन विचारधारा, बहुजन एजेंडा और बहुजन नेतृत्व के जरिए ही भाजपा और आरएसएस को निर्णायक शिकस्त दी जा सकती है।

डॉ. विलक्षण रविदास ने कहा कि संविधान और लोकतंत्र ने ही आजादी के बाद बहुजनों के लिए जीवन के तमाम क्षेत्रों में आगे बढ़ने का रास्ता खोला। लेकिन आज मनुवादी-पूंजीवादी शक्तियां संविधान और लोकतंत्र को खत्म कर रही है।

संसद का संचालन करते हुए गौतम कुमार प्रीतम ने कहा कि बहुजनों के नाम पर चलने वाली पार्टियां और बहुजन समाज के सांसद संविधान और लोकतंत्र बचाने में कारगर भूमिका नहीं निभा रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में समाज की लोकतांत्रिक पहलकदमी को आगे बढ़ाने के लिए बहुजन संसद का आयोजन महत्वपूर्ण है।

अपने अध्यक्षीय भाषण में रिंकु यादव ने कहा कि संविधान और लोकतंत्र गहरे संकट में है। बहुजनों को भाजपा-आरएसएस के खिलाफ अंतिम हद तक अधिकतम ताकत से लड़ना होगा और 2024 में केन्द्र की सत्ता से भाजपा को बेदखल करने की चुनौती कबूल करनी होगी।

बहुजन संसद को संबोधित करते हुए डा.सिद्धार्थ रामू

पूर्व विधायक एन. के. नंदा ने कहा कि फासीवादी ताकतें देश को नीलाम कर रही हैं। हिंदू राष्ट्र बनाने के नाम पर बहुजन समाज पर मनुवादी-पूंजीवादी गुलामी थोप रही हैं। पूर्व विधायक के.डी.यादव ने कहा कि बहुजन विरासत, पहचान और एकजुटता को बुलंद कर ही भाजपा-आरएसएस से निर्णायक मुकाबला हो सकता है। ‘ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज’ के मुख्तार अंसारी ने कहा कि पसमांदा मुसलमान बहुजन समाज का हिस्सा हैं, सामाजिक न्याय की लड़ाई के साझीदार हैं। लेकिन सामाजिक न्याय की पार्टियां पसमांदा मुसलमानों के प्रतिनिधित्व और दूसरे मसलों की उपेक्षा करती है।

भाजपा-आरएसएस के सांप्रदायिक हिंसात्मक हमले के शिकार भी मुख्यतः पसमांदा मुसलमान ही होते हैं। ‘सामाजिक न्याय आंदोलन'(बिहार) के सुबोध यादव ने कहा कि भाजपा की राजनीति झूठ-लूट-दमन पर खड़ी है। नरेन्द्र मोदी सरकार विनाश कर रही है और विकास का झूठा प्रचार करती है।

पटना विश्वविद्यालय के छात्र नेता गौतम आनंद और आर्यन राय ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार बहुजन छात्रों-नौजवानों से शिक्षा-रोजगार छीन रही है और सांप्रदायिक उन्मादी गिरोह का सिपाही बनाने की कोशिश और साजिश कर रही है। बहुजन छात्र-नौजवानों को नई शिक्षा नीति-2020 और बेरोजगारी बढ़ाने वाली नीतियों के खिलाफ संघर्ष तेज करना होगा।

बहुजन संसद में  केन्द्र सरकार द्वारा जातिवार जनगणना कराने, असंवैधानिक 10 प्रतिशत EWS आरक्षण को रद्द करने, निजी क्षेत्र में आबादी के अनुपात में एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण लागू करने, सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट में कॉलेजियम सिस्टम खत्म कर राष्ट्रीय न्यायिक सेवा आयोग के जरिए एससी, एसटी और ओबीसी को आबादी के अनुपात में आरक्षण के साथ जजों की नियुक्ति करने, दलित मुसलमानों और ईसाइयों को एससी कैटेगरी और आदिवासी मुसलमानों को एसटी कैटेगरी में शामिल करने के साथ एससी और एसटी के आरक्षण का कोटा भी बढ़ाने की बात कही गई।

भागलपुर में बहुजन संसद में बोलते हुए डा.विलक्षण रविदास

इसके अलावा लोकसभा-राज्यसभा में पिछड़ों-अतिपिछड़ों को आबादी के अनुपात में आरक्षण देने, नई शिक्षा नीति-2020 और पाठ्यक्रमों में किये जा रहे बदलाव को वापस लेने, गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं को सार्वभौमिक बनाये जाने की मांग की गई।

इसके साथ ही स्वास्थ्य के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने, भूमिहीन बहुजनों को वास भूमि के साथ आवास के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने, बेहिसाब मुनाफा लूटने वाले कॉरपोरेटों को मिली लूट की छूट को रोकने और उस पर टैक्स बढ़ाने, निजीकरण रोकने, चारों श्रम कोड की वापसी, महंगाई-बेरोजगारी पर लगाम लगाने, रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने, जरूरी खाद्य पदार्थों के साथ सार्वभौमिक खाद्य सुरक्षा की गारंटी करने जैसे सवालों पर आवाज बुलंद की गई।

(भागलपुर से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।) 

विशद कुमार
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