रिहाई मंच अध्यक्ष शोएब की गिरफ्तारी की माले समेत तमाम संगठनों ने निंदा की

लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब की शनिवार को उनके आवास से की गई गिरफ्तारी की निंदा की है। इसके साथ ही, पार्टी ने सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ गत 19 दिसंबर के राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद में भाग लेने के कारण सदफ जफर, एसआर दारापुरी, मो. शोएब, दीपक कबीर जैसे लखनऊ के प्रतिष्ठित सामाजिक-सांस्कृतिक व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की अपराधियों की तरह राजधानी के चौराहे पर फोटो लगवा कर वसूली की नोटिसें चिपकाने की उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई की भी निंदा करते हुए इसे असंवैधानिक कहा है।

आज यहां जारी बयान में पार्टी ने सरकार की इस कार्रवाई को उकसानेवली और संविधान सम्मत आंदोलन को अपराध करार देने वाली बताते हुए कहा कि यह न तो कानूनन सही है, न ही संवैधानिक। यह इन आंदोलनकारियों को बदनाम करने और उन्हें मानसिक पीड़ा पहुंचाने का षड्यंत्र है, जिससे इनका जीवन संकट में पड़ सकता है। यह असहमति का गला दबाने और बदला लेने जैसी कार्रवाई है, जिसकी इजाजत लोकतंत्र में कतई नहीं दी जा सकती। इससे मौजूदा सरकार की मानसिकता और नागरिक अधिकारों के प्रति दुर्भावना का भी पता चलता है। 

पार्टी ने रिहाई मंच अध्यक्ष को बिना शर्त रिहा करने, चौराहों पर लगाई गई आंदोलनकारियों की फोटो समेत नोटिसों को फौरन हटाने, वसूली आदेश रद्द करने और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकारों का सम्मान करने की मांग की।

आपको बता दें कि लखनऊ पुलिस ने आज मोहम्मद शोएब को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। शोएब उन लोगों में भी शामिल हैं जिनकी तस्वीरें लखनऊ के चौराहों पर चस्पा की गयी हैं। ऐसा माना जा रहा है कि योगी सरकार उन सामाजिक कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न कर शांत कर देना चाहती है जो अभी तक नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सबसे आगे थे।

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