कृषि विधेयक: डिप्टी चेयरमैन की यह बात भी झूठी निकली कि मत विभाजन की मांग करते समय सदस्य नहीं थे अपनी सीट पर

नई दिल्ली। राज्य सभा में रविवार को दो कृषि बिलों के मामले में विपक्ष के मत विभाजन की मांग को ठुकराकर डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह उन्हें ध्वनि मत से पारित करा दिया था। इसके पीछे उनका तर्क था कि सदस्यों ने मांगें अपनी सीटों से नहीं की थीं। हंगामे के बीच सदन में उन्हें यह कहते हुए सुना गया था कि मत विभाजन की मांग करते समय सदस्यों को अपनी सीट पर होना चाहिए।

राज्य सभा टेलीविजन के आधिकारिक फुटेज का इंडियन एक्सप्रेस ने परीक्षण किया है। जिसमें कुछ और ही बात दिखती है।

वास्तव में घटनाओं का क्रम 1 बजे- जब डिप्टी चेयरमैन ने बैठक को आगे बढ़ाया- से 1.26 तक, जब चेयरमैन ने सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित किया, दिखाता है कि कम से कम दो सदस्य डीएमके के तिरुची सिवा औऱ सीपीएम के केके राजेश, जिन्होंने दोनों विधायी प्रस्तावों और अमेंडमेंट को पेश किया था, मत विभाजन की मांग करते समय अपनी सीटों पर थे।

नीचे के क्रम को देखकर इस बात को और स्पष्ट तरीके से समझा जा सकता है:

1 पीएम: डिप्टी चेयरमैन दो बिलों पर जवाब देने वाले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बताते हैं कि एक बज गया है। संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी सदन की कार्यवाही को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव देते हैं।

इस पर डिप्टी चेयरमैन पूछते हैं कि क्या सदन बिल के हला-भला होने तक बैठने के लिए तैयार है। कांग्रेस के सदस्य आनंद शर्मा और जयराम रमेश प्रक्रिया को सोमवार को जारी रखने के पक्ष में होते हैं। वे और सिवा डिप्टी चेयरमैन से सदन की भावना का सम्मान करने की अपील करते हैं। इस पर डिप्टी चेयरमैन कहते हैं कि सदन में आम सहमति है और तोमर से जारी रहने के लिए कहते हैं।

इस पर सदस्य नारा लगाते हुए वेल में घुस जाते हैं।

1.03 पीएम: सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद कहते हैं अगर सदन की कार्यवाही जारी रखनी है तो उसे आम सहमति के आधार पर होना चाहिए। आगे वह जोड़ते हैं कि ज्यादातर राजनीतिक दल यह “कह रहे हैं कि समय को आज नहीं बढ़ाया जाना चाहिए कल मंत्री जवाब दे सकते हैं…..” 

1.07 पीएम: विपक्षी दलों के सदस्यों के नारेबाजी के बीच बिल के पास होने से पहले डिप्टी चेयरमैन विधायी प्रस्तावों को निपटाना शुरू कर देते हैं। सीपीएम के केके राजेश को बुलाते हैं जिन्होंने एक विधायी प्रस्ताव रखा था। वेल में मौजूद एक न पहचाने जा सकने वाले सदस्य को अपनी सीट पर जाने के लिए कहते हैं।

1.08 पीएम: विधायी प्रस्ताव को ध्वनिमत से खारिज कर दिया जाता है। उसके बाद वह एक प्रस्ताव को लेते हैं जिसमें राजेश बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजना चाहते हैं । यह प्रस्ताव भी ध्वनिमत से खारिज कर दिया जाता है।

1.09 पीएम: उसके बाद वह तृणमूल कांग्रेस के डेरेक-ओ-ब्रायन के बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने के विधायी प्रस्ताव को लेते हैं। इस प्रस्ताव को भी ध्वनिमत से खारिज कर दिया जाता है। इसमें मत विभाजन की मांग बिल्कुल साफ-साफ सुनी जा सकती है।

उसके बाद ऑडियो कुछ सेकेंड के लिए बंद हो जाता है।

डिप्टी चेयरमैन कहते हैं कि मत विभाजन के लिए मांग अपनी सीट से की जानी चाहिए।

1.10 पीएम: उसके बाद वह डीएमके सदस्य तिरुची सिवा के विधायी प्रस्ताव को लेते हैं जिसमें बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने की मांग होती है। प्रस्ताव को ध्वनिमत से रद्द कर दिया जाता है। दृश्य बिल्कुल साफ-साफ दिखाते हैं कि सिवा अपनी सीट पर हैं जिसमें वह एक हाथ उठाकर मत विभाजन की मांग कर रहे हैं। ओ ब्रायन चेयरमैन के पोडियम की तरफ रूल बुक की एक कॉपी हाथ में लहराते हुए दौड़ते हैं और चिल्लाते हुए कहते हैं कि “आप ऐसा नहीं कर सकते हैं……नियम क्या है?” दृश्य दिखाते हैं सिवा अभी भी अपनी सीट पर हैं।

1.11 पीएम: डिप्टी चेयरमैन क्लाज वार के हिसाब से विधेयक पर विचार करना शुरू करते हैं। वह राजेश द्वारा पेश किए गए अमेंडमेंट को लेते हैं। विजुअल दिखाते हैं कि राजेश अपनी सीट पर हैं और मत विभाजन की मांग कर रहे हैं। लेकिन अमेंडमेंट को ध्वनिमत से खारिज कर दिया जाता है।

1.12 पीएम: विजुअल दिखाते हैं कि राजेश अपनी सीट पर और शिवा अपनी सीट पर पेपर फाड़ते हैं। उबाल और तेज हो जाता है।

1.13 पीएम: एक न पहचानने योग्य शख्स चेयरमैन के पोडियम के पास लगे माइक्रोफोन को उखाड़ने लगता है।

1.14 पीएम: आडियो ऑफ हो जाता है- और फिर ऑफ ही रहता है।

1.26 पीएम: सदन 15 मिनट के लिए स्थगित हो जाता है।

जब संपर्क किया गया तो डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि उन्होंने मत विभाजन की मांग अपनी सीट से की थी जब बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का हमने प्रस्ताव दिया था।

उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “हम लोगों के बीच सिवा और मैं 30 सालों के संसद का अनुभव रखता हूं। हम जानते थे कि हमने प्रस्ताव पेश किया है और हमने अपने हेडसेट भी आन कर रखे थे। निश्चित तौर पर हम लोग अपनी सीटों पर थे। मत विभाजन की हमारी मांग को कई बार जान-बूझ कर दरकिनार किया गया। वीडियो और ऑडियो प्रमाण हैं। कम से कम संसद के चार नियम तोड़े गए।”

संपर्क करने पर राजेश ने कहा कि “मैं वेल में तब गया जब चेयरमैन ने समय को बढ़ा दिया। लेकिन जब मंत्री ने अपना भाषण खत्म कर दिया और डिप्टी चेयरमैन ने विधायी प्रस्तावों पर विचार करने की प्रक्रिया शुरू की मैं तुरंत भागकर ऊपर की सीट पर पहुंच गया……जब सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने वाले प्रस्ताव को लिया गया तो उस समय मैं अपनी सीट पर था। मैं मत विभाजन के लिए चिल्लाया लेकिन डिप्टी चेयरमैन ने मेरी तरफ देखा तक नहीं। ओ ब्रायन और सिवा के प्रस्ताव के बाद जब डिप्टी चेयरमैन ने मेरे अमेंडमेंट को लिया तो मेरा माइक्रोफोन आन हो गया। डिप्टी चेयरमैन ने मेरी तरफ देखा……जब चेयर आपकी तरफ देखता है…..तभी कैमरा आप पर फोकस होता है……मैं दोबारा विभाजन के लिए चिल्लाया…….उन्होंने ध्वनिमत के रास्ते को अपनाया और मेरे अमेंडमेंट को खारिज कर दिया।”

यह पूछे जाने पर कि विपक्ष बिल को सोमवार तक के लिए क्यों बढ़ाना चाहता था, राजेश ने कहा कि “क्योंकि राज्य सभा के आधे सदस्य लोकसभा में बैठे हुए थे। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग संभव नहीं थी। वोटिंग केवल पेपर बैलेट से ही हो सकती थी। इसलिए एक बार भी वोटिंग के लिए 30 मिनट लगता। इसीलिए हम लोगों ने कार्यवाही को सोमवार को जारी रखने की मांग की थी क्योंकि लोकसभा की सिटिंग 3 बजे से शुरू होनी थी।”

जब सिवा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि “मैं पहले दिन से ही कह रहा हूं कि मैं अपनी सीट पर था और जब सेलेक्ट कमेटी के पास बिल को भेजने का मेरा प्रस्ताव सामने आया तो मैंने मत विभाजन की मांग की। सेलेक्ट कमेटी हम लोगों का मुख्य मुद्दा थी। मैं पूरी तरह से अपनी सीट पर था और मैं कई बार मत विभाजन के लिए चिल्लाया। वह (डिप्टी चेयरमैन) हमारी तरफ नहीं देखे। वह जब मेरी तरफ देखते तभी तो उनको पता चल पाता कि मैं उसकी मांग कर रहा हूं।”

एक्सप्रेस ने डिप्टी चेयरमैन के पास इससे संबंधित सवाल भेजे थे लेकिन उन्होंने किसी का भी जवाब नहीं दिया। लेकिन सचिवालय के सूत्रों का कहना है कि सदस्यों ने उनका ध्यान भटका दिया था। और वह इस बात की कोशिश में जुट गए थे कि कहीं सदस्य उनके पेपर न छीन लें।

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