पूर्व मंत्री परमिंदर ढींढसा बगावत की राह पर, अकाली नेताओं ने शुरू की मनाने की कवायद

लुधियाना। पंजाब विधानसभा में शिरोमणि अकाली दल विधायक दल के नेता और हाल ही में बागी हुए राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा के बेटे, राज्य के पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींढसा भी पार्टी से बगावत की राह पर हैं। भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक वह कभी भी शिरोमणि अकाली दल के तमाम पदों से किनारा कर सकते हैं। परमिंदर पार्टी के महासचिव भी हैं। उनके संभावित ‘झटके’ के पुख्ता संकेतों से सकते में आया शिरोमणि अकाली दल का शीर्ष नेतृत्व उन्हें मनाने की कवायद कर रहा है।

पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया और प्रदेश प्रवक्ता डॉ दलजीत सिंह चीमा देर रात बादलों के विशेष दूत बनकर परमिंदर सिंह ढींढसा के संगरूर स्थित निवास पर पहुंचे। वहां डिनर के बहाने मुलाकात तो हुई लेकिन ‘मकसद’ पूरा नहीं हुआ।

सूत्रों के मुताबिक परमिंदर ने अपने पिता सुखदेव सिंह ढींढसा के साथ जाने और बादलों की अगुवाई वाले अकाली दल से अलहदा होने का पक्का मन बना लिया है। शिरोमणि अकाली दल के शताब्दी दिवस से ऐन पहले वह विधायक दल नेता और महासचिव का पद छोड़ने की घोषणा कर देंगे। इसकी फौरी पुष्टि उनके कुछ करीबियों ने की है। यह सियासी तौर पर शिरोमणि अकाली दल के लिए बहुत बड़े संकट का सबब होगा। प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल किसी भी सूरत में परमिंदर सिंह ढींढसा की रुखसती को टालने की कोशिश में हैं।                       

दोनों बादल अभी सुखदेव सिंह ढींढसा के दिए झटके से नहीं उभरे कि अब इस नए धमाके के रूबरू होने को हैं। बड़े ढींढसा बादलों के विरोध में गठित अकाली दल टकसाली से हाथ मिला चुके हैं। बागी अकाली नेताओं का यह समूह 14 दिसंबर को शिरोमणि अकाली दल के समानांतर, स्वर्ण मंदिर में सभा करने जा रहा है और इसके लिए उसने बाकायदा एसजीपीसी के मुख्य सचिव रूप सिंह से तेजा सिंह समुद्री हाल की मांग की है। खुद सुखदेव सिंह ढींढसा और अकाली दल टकसाली के वरिष्ठ नेता वीर दविंदर सिंह ने इसकी पुष्टि की है। इस सभा की अगुवाई सुखदेव सिंह ढींढसा करेंगे।

माना जा रहा है कि इसी दिन प्रकाश सिंह बादल के कुछ पुराने साथी और सीनियर-जूनियर नेता भी सुखबीर की अध्यक्षता वाले अकाली दल को अलविदा कह कर टकसाली दल का दामन थाम लेंगे। यह एक तरह से शिरोमणि अकाली दल का दो फाड़ होना होगा। इन दिनों बादलों सहित उनके अन्य विश्वासपात्र नेताओं का सारा जोर परमिंदर सिंह ढींढसा सहित अन्य नेताओं की संभावित बगावत को किसी भी तरह रोकने पर लगा हुआ है। ढींढसा परिवार शिरोमणि अकाली दल के गढ़ मालवा में बादलों के बाद सबसे ज्यादा प्रभावी माना जाता है।

सुखदेव सिंह ढींढसा की सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ खुली बगावत के बाद पार्टी ने उनके बेटे लहरागागा से विधायक परमिंदर को दल के विधायक दल का नेता बनाया था और संगरूर से लोकसभा का उम्मीदवार भी। यह सब इसलिए भी किया गया था कि वह अपने पिता की बागी राह न अख्तियार करें। लेकिन अब आलम बदल रहा है।       

ढींढसा पिता-पुत्र के नागरिकता संशोधन बिल पर भी बादलों के साथ खुले मतभेद हैं। सुखबीर सिंह बादल की ‘तानाशाही’ और मनमर्जियां तो बड़ी वजहें हैं ही। जूनियर ढींढसा के तेवरों ने शिरोमणि अकाली दल की बेचैनियां और दिक्कतें बढ़ा दी हैं। 

(लुधियाना से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

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